तिलयार नाम सुनते ही रोहतक की झील (और ब्लागर मीट) याद आती है, लेकिन यह एक चिड़िया का भी नाम है। मैना परिवार की इस चिड़िया का नाम तिल्यर या तेलियर जैसा भी उच्चारित होता है। गुलाबी मैना कही जाने वाली इस चिडि़या का मधुर कन्नड़ नाम है, मधुसारिका। अंगरेजी नाम रोजी स्टारलिंग, रोजी पास्टर या रोजकलर्ड स्टारलिंग है।
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नवा-नइया तालाब के आसमान पर शाम का नजारा
इनसेट में 24 मई 2000 को जारी डाक टिकट |
संकरी-पेन्ड्रीडीह बाइपास मार्ग पर बिलासपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर बेलमुड़ी (बेलमुण्डी) गांव में नवा तालाब को घेरे, अर्द्धचंद्राकार लंबाई में फैला नइया तालाब सड़क से दिखता है। तालाब के 'पुंछा' वाले हिस्से में 'पटइता' घास है। नइया तालाब का यह भाग लाख संख्या में अनुमान की जाने वाली गुलाबी मैना का डेरा बना और इन तालाबों के ऊपर शाम करीब पांच बजे से साढ़े छः बजे तक आकाश में पक्षी-झुंडों की करतबी उड़ान का नजारा और उसकी चर्चा मार्च के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक रही।
2 अप्रैल 2013 के दैनिक नवभारत, बिलासपुर में प्रकाशित सचित्र समाचार में इन पक्षियों का मूल एशिया, यूरोप, रसिया(!) और कनाडा बताया गया है। यहां डीएफओ हेमंत पाण्डे के हवाले से इन्हें ब्लैक हेडेड गुल(!?गल) कहा गया है। 6 अप्रैल 2013 के दैनिक भास्कर, बिलासपुर में सचित्र समाचार प्रकाशित हुआ, जिसमें पक्षियों को मध्य यूरोप, एशिया और कनाडा से आए तथा पक्षियों के जानकार केके सोमावार और पर्यावरण प्रेमी अनुराग शुक्ला का उल्लेख करते हुए उनके हवाले से इन्हें रोजी पेस्टर या ब्लैक हेडेड गुल प्रवासी पक्षी बताया गया।
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पेड़ पर पत्तियां नहीं, चिडि़यों का झुंड है. |
प्राण चड्ढा जी बताते हैं कि बसंत पंचमी (इस वर्ष 15 फरवरी) को आ जाती है, नवरात्रि में (इस वर्ष 18 अप्रैल तक) लौटती है। कमल दुबे जी ने अवधि फरवरी तीसरे हफ्ते से मार्च अंत तक बताई है। कुछ फोटो रमन किरण जी से मिले। गांव वालों ने बताया कि फरवरी में ही आने लगी थीं, लेकिन शिवरात्रि, 10 मार्च के आसपास बड़े झुंडों में दिखने लगीं और 10 अप्रैल तक वापसी हुई।
इस पक्षी की कुछ जानकारी पुस्तकों और नेट पर तो मिली, लेकिन इन विवरणों से उस दृश्य का अनुमान भी नहीं होता, जो यहां रहा-
यह रिकार्डिंग चि. यश, सौ. शुभदा और विवेक जोगलेकर जी ने की है।
दूसरी रिकार्डिंग कमल दुबे जी की है, लेकिन इसके पहले 35 सेकंड का हिस्सा बीत जाने दें।
एक अन्य रिकार्डिंग राजेश तिवारी जी ने लगाई है।
इन्हें देखकर Bezier Screensaver याद आता है।
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पक्षियों से भरा तालाब अब रीता है. |
बेलमुड़ी पहुंचा हूं, तालाब मौजूद है और गांव वालों में पिछले दिनों की यादें, किस्से, उसका रोमांच भी। चिड़ियों को जगह भा गई और लगता है पक्का रिश्ता बन गया है। मुझे पहुंचने में देर हो गई या शायद समय से दस-ग्यारह महीने पहले आ गया।