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Sunday, July 28, 2013

केदारनाथ

यह पिण्ड- धरती, कभी आग का धधकता गोला थी, धीरे-धीरे ठंडी हुई। पृथ्‍वी पर जीवन, मानव और आधुनिक मानव के अस्तित्व में आने तक कई हिम युग बीते, दो-ढाई अरब साल पहले, इसके बाद बार-बार, फिर 25 लाख साल पहले आरंभ हुआ यह दौर, जिसमें हिम युग आगमन की आहट सुनी जाती रही है। ... गंगावतरण की कथा में उसके ''वेग को रोकने के लिए शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर, नियंत्रित किया, तब गंगा पृथ्वी पर उतरीं'' केदारनाथ आपदा-2013, कथा-स्मृति या घटना-पुनरावृत्ति तो नहीं ... एक बार फिर बांध के मुद्दे पर बहस है, अब मुख्‍यमंत्री बहुगुणा और पर्यावरणरक्षक बहुगुणा आमने-सामने हैं। निसंदेह पर्यावरण में पेड़, पहाड़, पानी पर आबादी और विकास का दबाव तेजी से बढ़ा है।

आपदा में मरने वालों में 15 मौत की पुष्टि से गिनती शुरू हुई। पखवाड़ा बीतते-बीतते मृतकों का आंकड़ा 1000 पार करने की आशंका व्यक्त की गई। खबरों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष ने मृतकों की संख्‍या 10000, केन्द्रीय गृहमंत्री ने 900, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 580 और गंगा सेवा मिशन के संचालक स्वामी जी ने 20000 बताई। मुख्‍यमंत्री ने यह भी कहा है- कभी नहीं जान पाएंगे कि इस आपदा में कितने लोग मारे गए हैं। मृतकों का अनुमान कर बताई जाने वाली संख्‍या और उनकी पहचान-पुष्टि करते हुए संख्‍या की अधिकृत घोषणा में यह अंतर हमेशा की तरह और स्वाभाविक है।

देवदूत बने फौजी और मानवता की मिसाल कायम करते स्थानीय लोगों के बीच लाशों ही नहीं अधमरों के सामान, आभूषण और नगद की लूट मचने के खबर के साथ जिज्ञासा हुई कि मृतकों के शरीर पर, उनके साथ के आभूषण, सामग्री आदि के लिए सरकारी व्यवस्था किस तरह होगी? सामान राजसात होगा? यह जानकारी सार्वजनिक होगी? ... खबरों से पता लगा कि अधिकृत आंकड़ों के लिए मृतकों के अंतिम संस्कार के पहले उनके उंगलियों के निशान लिये जा रहे हैं। व्यवस्था बनाई गई है कि उत्तराखंड के लापता निवासी 30 दिनों के अंदर वापस नहीं आ जाते तो उन्हें मृत मान लिया जाएगा। इस आपदा में मारे गए लोगों के मृत्यु प्रमाण-पत्र घटना स्थल से जारी किए जाएंगे।

मुस्लिम संगठन 'जमीउतुल उलमा' ने सभी शवों का हिंदू रीति से अंतिम संस्कार करने पर आपत्ति जताई है और घाटी में जा कर शवों की पहचान करने के लिए इजाजत दी जाने की बात कही है ताकि मुस्लिम शवों को दफन किया जा सके। ... खबरें थीं कि आपदा बादल फटने से नहीं भारी बारिश के कारण हुई, से ले कर मंदिर में पूजा आरंभ किए जाने के मुद्दे पर हो रही बहसों के बीच न जाने कितनी लंबी-उलझी प्रक्रिया और जरूरी तथ्य नजरअंदाज हैं। ... इस घटना में अपने किसी करीबी-परिचित के प्रभावित होने की खबर नहीं मिली, शायद इसीलिए ऐसी बातों पर ध्यान गया।