दिल्ली-6 पर मिली टिप्पणियों के बाद 'सास गारी ... ' पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोक गीत का मूलतः रिकार्डेड 'ऑडियो' और 'टेक्स्ट' देना जरूरी लगा, इसी दौरान एक छत्तीसगढ़ी फिल्म में फिर से यह गीत आया है। हबीब तनवीर जी की टीम द्वारा गाये इस गीत के बोल हैं -
सास गारी देवे, ननंद मुंह लेवे, देवर बाबू मोर।
संइया गारी देवे, परोसी गम लेवे, करार गोंदा फूल।
केरा बारी में डेरा देबो चले के बेरा हो॥
आए बेपारी गाड़ी म चढ़िके।
तो ल आरती उतारव थारी म धरिके हो॥ करार...
टिकली रे पइसा ल बीनी लेइतेंव।
मोर सइकिल के चढ़इया ल चिन्ही लेइतेंव ग॥ करार...
राम धरे बरछी लखन धरे बान।
सीता माई के खोजन बर निकलगे हनुमान ग॥ करार...
पहिरे ल पनही खाये ल बीरा पान।
मोर रइपुर के रहइया चल दिस पाकिस्तान ग॥ करार...
इस सिलसिले में बात करते हुए सर्वश्री लाल रामकुमार सिंह, मिर्जा मसूद, दीपक हटवार, महेश वर्मा, अनूप रंजन पांडे, राकेश तिवारी, अनुज शर्मा, अनुमोद राजवैद्य आदि ने और भी कई जानकारियां दीं। जैसे - आज से लगभग 50 साल पहले छत्तीसगढ़ी का पहला 78 आरपीएम (तवा) रिकार्ड बना, जिसके 'ए' साइड में श्री अमृतलाल परमार का गाया गीत 'हाय रे डुमर खोला, छतिया ल बान मारय, तरसत हे चोला' तथा 'बी' साइड में 'नरवा तीर म मोर कारी संवरेंगी संवर पंडरी, टोरथे भाजी नरवा तीर म' गीत था।
लगभग 40 साल पुराने रिकार्ड के 'ए' साइड में 'तो ल जोगी जानेंव रे भाई, तो ल साधु जानेंव ग' था, जिसके 'बी' साइड में यह गीत 'सास गारी देवे' था, इस गीत के समूह स्वर में हबीब जी की आवाज साफ पहचानी जा सकती है।
पूरे क्रम में इस गीत के गीतकार रूप में श्री गंगाराम शिवारे अथवा गायिकाओं के रूप में जोशी बहनों का एकदम सीधा कोई ताल्लुक नहीं जुड़ सका। श्री शिवारे के गीतों और जोशी बहनों की गायकी, विशेषकर सुश्री रमादत्त, जो गायकी के साथ लोक कलाकार कल्याण में भी अत्यंत सक्रिय हैं, की सराहना आमतौर पर सभी ने की।
फौरी जरूरत नहीं हुई इसलिए व्यक्तिगत तौर पर किसी जानकारी की मैंने स्वयं पुष्टि नहीं की है। बहरहाल अब, जब कम से कम 50 छत्तीसगढ़ी फिल्में बन चुकी हैं और छत्तीसगढ़ी गीतों के रिकार्ड बनने का 50 साल का इतिहास है तब जरूरत बनने लगी है कि इस पर कोई गंभीर, अधिकृत अध्ययन हो।