वैसे तो सोचा था कि शीर्षक रखूं 'माई ड्रीम एग्रिगेटर' फिर लगा कि छोटे शीर्षक का हिमायती बने रह कर एक शब्द से भी काम चल सकता है। शीर्षक, प्रस्थान बिंदु ही तो है। यह भी ध्यान आया कि नाम में क्या रखा है, बख्शी जी ने अपने प्रसिद्ध निबंध का शीर्षक दिया 'क्या लिखूं' और क्या खूब लिखा। पं. हजारीप्रसाद द्विवेदी के लिए किसी ने रेखांकित किया है कि उनकी कृतियां हैं- चारुचंद्र का लेखा, बाणभट्ट की आत्मकथा और अनामदास का पोथा, मानों उनका लिखा कुछ नहीं। अज्ञेय याद आ रहे हैं- 'लिखि कागद कोरे' पुस्तक की 'सांचि कहउं ?' भूमिका में लिखा है कि ''असल में शीर्षक देना चाहिए था 'अध सांचि कहउं मैं टांकि-टांकि कागद अध-कोरे' पर'' ... और फिर विनोद कुमार शुक्ल की 'वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह'। शीर्षक कैसे-कैसे, लंबे-छोटे।
बात पटरी पर लाने के लिए बस एक और शीर्षक याद करें, 'नवनीत'। हिन्दी डाइजेस्ट कही गई अपने दौर की श्रेष्ठ पत्रिका। इसके एक पेज पर 'अपने लेखकों से' छपता था। मैं इसे प्रत्येक अंक में पढ़ना चाहता था। देखें कि इस पत्रिका को कैसी सामग्री से परहेज था और ब्लॉग पर उपलब्ध होने वाली सामग्री से इसकी तुलना करें।
अब आएं एग्रिगेटर पर। 'माई ड्रीम एग्रिगेटर' में जिन ब्लॉग्स को शामिल करना चाहूंगा उनमें दस में एक पोस्ट को अपवाद मान कर छूट सहित, वे ऐसी न हो-
• कविता, खासकर प्रेम, पर्यावरण, इन्सानियत की नसीहत या उलाहना भरी, भ्रष्टाचार, नेता आदि वाली पोस्ट, जो लगे कि पहले पढ़ी हुई है। (वैसे भी कविता के प्रति रुचि और समझ की सीमा के बावजूद, मुझे कविता का पाठक मानते हुए, कविता पोस्टों की सूचना मेल/चैट से मिल ही जाती है)
• जिसका कहीं और दिखना संभव न हो ऐसे स्तर वाला घनघोर 'दुर्लभ साहित्य'।
• मैं (और मेरी पोस्ट), मेरी पत्नी, मेरे आल-औलाद, मेरा वंश-खानदान आदि चर्चा या फोटो की भरमार वाली पोस्ट।
• अखबारी समाचारों वाली, श्रद्धांजलि, बधाई, शुभकामनाएं, रायशुमारी वाली पोस्ट।
• ब्लॉग, ब्लॉगिंग, ब्लॉगर, ब्लॉगर सम्मेलन, टिप्पणी पर केन्द्रित पोस्ट।
• लिंक से दी जा सकने वाली सामग्री-जानकारी वाली और पाठ्य पुस्तक या सामान्य ज्ञान की पुस्तक के पन्नों जैसी पोस्ट।
• नारी, दलित, शांति-सद्भाव-भाईचारा आदि विमर्शवादी और 'क्या जमाना आ गया', 'कितना बदल गया इंसान' टाइप पोस्ट।
कल एक एसएमएस मिला- ''सोमवार से शुक्रवार ..... पर 11 पीएम से 01 एएम तक सुनिए अश्लील प्रोग्राम जो आप परिवार के साथ नहीं सुन सकते '' ..... '' सुनेंगे तभी न जागेंगे''। यदि भेजने वाले को नहीं जानता होता तो लगता कि यह चेतावनी नहीं, विज्ञापन संदेश है। अश्लीलता की सूचना, बालसुलभ हो या कामुक, जिज्ञासा तो पैदा करती है। ऐसी सूचना देती, चिंता प्रगट करती पोस्ट से भी एग्रिगेटर को मुक्त रखना चाहूंगा।
इस 'माई ड्रीम एग्रिगेटर' की हकीकत पर सोचना शुरू किया तो उलझ गया कि इसमें 'माई' (सिंहावलोकन ब्लॉग शामिल) होगा या नहीं, बस फिर क्या, छत्तीसगढ़ी में कहूं तो 'अया-बया भुला गे'। मन में एक क्रांतिकारी विचार आया कि एग्रिगेटर में शामिल करने की शर्तें ही ऐसी रखी जाएं, कि उसमें 'माई' जरूर हो। खुद माई-बाप हों तो कौन रोक सकता है आपको। 'अपना हाथ, जगन्नाथ'। आजमाया हुआ नुस्खा, 'रिजर्व आइडिया'।
इस 'माई ड्रीम एग्रिगेटर' की हकीकत पर सोचना शुरू किया तो उलझ गया कि इसमें 'माई' (सिंहावलोकन ब्लॉग शामिल) होगा या नहीं, बस फिर क्या, छत्तीसगढ़ी में कहूं तो 'अया-बया भुला गे'। मन में एक क्रांतिकारी विचार आया कि एग्रिगेटर में शामिल करने की शर्तें ही ऐसी रखी जाएं, कि उसमें 'माई' जरूर हो। खुद माई-बाप हों तो कौन रोक सकता है आपको। 'अपना हाथ, जगन्नाथ'। आजमाया हुआ नुस्खा, 'रिजर्व आइडिया'।
लेकिन अभी इन्हीं शर्तों के साथ एग्रिगेटर के लिए लक्ष्य 50 ब्लॉग का है। अपनी एक पिछली पोस्ट पर 'सामान्यतः टिप्पणी अपेक्षित नहीं' उल्लेख किया था, किंतु यहां इसके विपरीत सभी पधारने वालों से बे-टका सवालनुमा टिप्पणी अपेक्षित है कि क्या ऐसे एग्रिगेटर के 50 का लक्ष्य-
1.पूरा होगा 2.नहीं होगा 3.नो कमेंट 4.'अन्य'
उक्त में से पहले तीन, टिप्पणी के लिए कॉपी-पेस्ट सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से है, लेकिन इसके अलावा कुछ 'अन्य' कहना चाहें, तो थोड़ी उंगलियां चलानी होंगी।
अब ऐसा एग्रिगेटर बन जाए तो हकीकत, न बने तो सपना - 'माई ड्रीम'। गोया, लगे तो तीर, न लगे तो तुक्का और एग्रिगेटर बने न बने, अपनी बला से, पोस्ट तो तैयार हो ही गई, हमारी बला से।