Showing posts with label गरमी के पेय. Show all posts
Showing posts with label गरमी के पेय. Show all posts

Sunday, April 3, 2022

गरमी के पेय

बड़े-बुजुर्गों के सत्संग के दौरान कभी गरमी के छत्तीसगढ़ी पेय पर बात हुई थी। छत्तीसगढ़ में ऐसे पेय के प्रचलन पर ढेरों जानकारियां मिली थीं, उनमें से कुछ याद रह गई हैं, इस तरह- 

* मेमरी, घास का बीज, सरसों दाने के आकार का काला, पानी में डालने पर सफेद लिसलिसा हो जाता है। पानी अथवा दूध में शक्कर के साथ मिलाकर शर्बत बनाकर पीते हैं। पित्तनाशक है। 

* गिन्दोल लासा या अन्य नाम कतील गोंद, मार्च-अप्रैल में गोंद फूटता है। रात भर भिगाकर सुबह शक्कर मिलाकर पिया जाता है। यह भी पित्तनाशक है। 

* हल्दी फूल को रात में भिगाकर सुबह सिलबट्‌टे में चिकना पीस कर शर्बत बनाकर पिया जाता है। 

* तिखुर शरबत, आम पना, सत्तू, बेल शर्बत, सलफी, छिन्द, ताड़, नगदौना, मड़िया/मड़ुआ आदि।