
स्वर्गीय प्रवीर के जीवन की महत्वपूर्ण तिथियां
२५ जून १९२९-प्रवीरचंद्र भंजदेव का शिलांग में जन्म
९ मार्च १९३४-प्रवीर के लघु भ्राता वर्तमान महाराजा श्री विजयचंद्र भंजदेव का इंग्लैंड में जन्म।
फरवरी १९३६- प्रवीर की माता महारानी प्रफुल्ल कुमारी का इंग्लैंड में देहावसान।
१६ जुलाई १९४७- प्रवीर का विधिवत राज्याभिषेक।
१ जनवरी १९४८- बस्तर का रियासत का विलीनीकरण।
१९५३-शासन द्वारा प्रवीर की सारी संपत्ति कोर्ट आफ वार्डस के अधीन करने की घोषणा
१९५५- प्रवीर द्वारा आदिवासी किसान मजदूर संघ की स्थापना।
१९५७- प्रवीर का जिला कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होना तथा बाद में आम चुनाव में विधायक निर्वाचित होना। प्रवीर के पिता स्व. श्री प्रफुल्लचंद्र का निधन।
१९५८- प्रवीर द्वारा आदिवासी सेवा दल स्थापना।
१९५९- श्री प्रवीर द्वारा विधानसभा की मान्यता से त्यागपत्र।
११ फरवरी १९६१-धनपूंजी गांव में प्रवीर की गिरफ्तारी
१२ फरवरी १९६१- शासन द्वारा प्रवीर गतिविधियों तथा उनके वक्तव्यों को जनविरोधी बताते हुये उनकी मान्यता रद्द की घोषणा।
२७ मार्च १९६१- तोकापाल अश्रु गैस कांड।
३१ मार्च १९६१- लोहंडीगुड़ा तथा सिरिसगुड़ा में आदिवासियों द्वारा प्रदर्शन तथा प्रवीर की रिहाई की मांग। लोहंडीगुड़ा में पुलिस द्वारा आदिवासियों पर गोली चालन।
२६ अप्रैल १९६१- प्रवीर की नरसिंहगढ़ जेल से रिहाई, शासन द्वारा नियुक्त सलाहकार बोर्ड द्वारा प्रवीर की गिरफ्तारी को अवैध निरूपित किया जाना।
४ जुलाई १९६१-प्रवीर का पाटन की राजकन्या शुभ राजकुमारी से विवाह (प्रवीर द्वारा महारानी वेदवती देवी नामकरण)
अक्टूबर १९६१- प्रवीर द्वारा १४ वर्षों की लंबी अवधि के बाद पुनः विधिवत रथारुढ़ होकर दशहरा समारोह का नेतृत्व (इसके पूर्व वे १९४७ में रथारुढ़ हुये थे।)
नवंबर १९६१- प्रवीर द्वारा ‘राजा मड़ई‘ का पुनः शुभारंभ (राजा मड़ई १९३७ से बंद थी)
दिसंबर १९६१-प्रवीर दूद्वारा ‘महाराजा पार्टी‘ की स्थापना।
फरवरी १९६२- कांकेर तथा बीजापुर के अतिरिक्त शेष सभी क्षेत्रों से महाराजा पार्टी के प्रत्याशियों की विजय।
६ अक्टूबर १९६२- महारानी वेदवती देवी का बस्तर आगमन।
८ तथा ९ अक्टूबर १९६२- महाराजा प्रवीर तया महारानी वेदवती देवी, दोनों के द्वारा रथारुढ़ होकर दशहरा समारोह का नेतृत्व।
८ मई १९६३-जगदलपुर राजमहल में प्रवीर की संपत्ति कोर्ट आफ वार्डस से मुक्त करने के लिये आदिवासियों द्वारा कोर्ट आफ वार्डस के कार्यालय पर हमला।
९ मई १९६२- महारानी वेदवती द्वारा महल का त्याग तथा पाटन को प्रस्थान।
१० मई १९६३- म. प्र. शासन द्वारा प्रवीर की संपत्ति कोर्ट आफ वार्डस से मुक्त करने का निर्णय।
३० जुलाई १९६३- प्रवीर की ३० लाख की संपत्ति कोर्ट आफ वार्डस से मुक्त
१६ नवंबर १९६३- प्रवीर द्वारा दीपावली के अवसर पर दान करते समय रिक्शा चालक मोतीलाल का हाथ काट दिया जाना।
१९ नवंबर १९६३- मोतीलाल का हाथ काटने के अभियोग में प्रवीर की गिरफ्तारी तथा ५०० रुपये की जमानत पर रिहाई।
२२ सितंबर १९६४- हाथ काटने के अभियोग में प्रवीर को १००० रु. जुर्माना तथा १८ माह की सख्त कैद की सजा सुनाया जाना एवं प्रवीर द्वारा अपील पेश।
१२ जनवरी १९६५- प्रवीर द्वारा दिल्ली जाकर शांतिवन में अनशन। गृहमंत्री श्री नंदा द्वारा आश्वासन दिये जाने पर अनशन की उसी दिन समाप्ति।
२ नवंबर १९६५-खाद्य संकट से प्रभावित सैकड़ों आंदिवासियों का महल में जमाव।
१६ नवंबर १९६५-आदिवासी महिलाओं द्वारा रुपये में चार सेर चावल तथा सोने की लापता छड़ी की मांगों को लेकर जिलाधीश कार्यालय में धरना तथा प्रदर्शन।
१२ दिसंबर १९६५- प्रवीर द्वारा सोने की लापता छड़ी की मांग लेकर अनशन।
१६ दिसंबर १९६५-कमिश्नर श्री वीरभद्रसिंह के आश्वासन पर अनशन समाप्ति।
४ फरवरी १९६६-केशरपाल में लेव्ही वसूली के समय उपद्रव। पुलिस द्वारा आदिवासियों पर अश्रु गैस लाठी चार्ज।
८ फरवरी १९६६- लेव्ही वसूली के प्रश्न पर प्रवीर द्वारा विजय भवन में अनशन आरंभ।
११ फरवरी १९६६- शासन द्वारा उचित कार्यवाही का आश्वासन दिये जाने पर अनशन की समाप्ति।
१८ मार्च १९६६- राजमहल में पुलिस द्वारा आदिवासियों को पीटे जाने पर आदिवासियों द्वारा तीर कमान संभाल लिया जाना प्रवीर के बीच बचाव से अप्रिय घटना का टल जाना।
२५ मार्च १९६६- आदिवासी कैदियों को न्यायालय ले जाते समय अन्य आदिवासियों द्वारा पुलिस दल पर तीर फेंकना जिसमें एक सूबेदार सहित ९ पुलिसमैन आहत (सरदार अवतार सिंह) की मृत्यु। पुलिस द्वारा आदिवासियों को महल में घेरकर गोली चालन। आधी रात तक संघर्ष।
२५ मार्च १९६६- रात्रि के समय गोलियों से प्रवीर की महल में मृत्यु।
२६ मार्च १९६६- प्रवीर का संध्या समय अंतिम संस्कार।
-इस्माईल जगदलपुरी
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