पत्र प्राप्तकर्ता-पत्नी - श्रीमती नम्रता सिंह, अकलतरा, 3/2/89
देउरकोना मंदिर (संभवतः शिव मंदिर)
लगभग 8 वीं सदी ई. (दक्षिण पूर्व)
त्रिरथ प्रकार का, पंचभूमि शिखर वाला पूर्वाभिमुख मंदिर है अग्रभाग खंडित होने से प्रवेश द्वार अप्राप्त है. अधिष्ठान अंशतः भूमि में दबा, अर्द्धस्तंभयुक्त प्रक्षेप वाली जंघा, चैत्य गवाक्ष, कीर्तिमुख, प्रतिमाओं (गणेश) युक्त शिखर, उपर क्षत शिखर पर आमलक शिला रखी है।
जंघा के निचले भाग पर छोटी उत्कीर्ण प्रतिमाओं युक्त पाषाण मध्य में slit तथा उपर मकर मुख (सम्मुख युग्म) जंघा पर मालाधारी गन्धर्व तथा चैत्य में मुकुल.
कीचक और गज का अंकन शिखर प्रक्षेप के सलिलान्तरों में।
ईब नदी के बायें पार्श्व में लगभग 8 वीं सदी ई. का मंदिर है।
यह स्थान सन्ना से लगभग 12 कि.मी. तथा इतना ही डीपाडीह से दूर है मार्ग के पश्चिम व्यपवर्तन (ग्राम नन्हेसर) से मात्र 1 कि.मी. दूर यहां पहुंचा जा सकता है।
ईब उद्गम- जड़ाकोना ग्राम निकट ही है। रानीझूला पहाड़ी से निकला है। शिवालय पहाड़ी देउरकोना मंदिर के पास वटली पहाड़ी का नाम है।
पोस्ट तथा राजस्व ग्राम - नन्हेसर
पटवारी हल्का - 2 (खेड़ार)
विकास खंड+तहसील - बगीचा
थाना - सन्ना
जिला - रायगढ़
आपकी अर्द्धांगिनी, नम्रता जी को आपके काम का 50% ज्ञान बिल्कुल हो गया होगा, कितने डिटेल में आपने मंदिर के बारे में लिखा है। पूरा मंदिर सामने दिखने लगता है, ज़मीन से धीरे धीरे बाहर आता हुआ।
ReplyDeleteकई दशक पहले का यह पत्र भी पुरातत्व संग्रहालय में रखने वाली अमूल्य निधि है।