Saturday, December 25, 2021

गुरु घासीदास बाबा

सन 2006 गुरु घासीदास जी की 250वीं वर्षगांठ का अवसर था। इस वर्ष 18 से 31 दिसंबर तक संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पूरे राज्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए साथ ही परिचयात्मक पुस्तिका प्रकाशित की गई। प्रदर्शन और पुस्तक प्रकाशन में भूमिका निर्वाह के सुअवसर का स्मरण करते हुए, पुस्तिका के अंश प्रस्तुत-

गुरु बाबा घासीदास जी की 250वीं जयंती
लोक कला महोत्सव
(18 से 31 दिसंबर 2006)

राज्य शासन द्वारा गुरु घासीदास जी की 250वीं वर्षगांठ के अवसर पर जिला एवं राज्य स्तरीय वृहद लोक कला महोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके अंतर्गत रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जांजगीर एवं कवर्धा जिले में 3 दिन, महासमुंद, धमतरी, रायगढ़, कोरबा में 2 दिन तथा बस्तर, कांकेर, दांतेवाड़ा, कोरिया, सरगुजा एवं जशपुर में 1 दिन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के सतनामी समाज के प्रशंसित लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। इन कार्यक्रमों में पंथी नृत्य प्रतियोगिता के साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखने को मिलेंगे।

राष्ट्रीय स्तर के कलाकार दलों का चयन कर प्रत्येक दल को तीन जिले में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुतीकरण का अवसर प्राप्त होगा। ये दल संत कबीर, संत रैदास आदि के भजन एवं गुरु घासीदास जी का महिमामय उपदेशों का गायन प्रस्तुत करेंगे। इन कार्यक्रमों के तहत जिला स्तरीय समिति द्वारा अनुशंषित सतनामी समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों के श्रीफल, शाल एवं जैतखाम स्मृति धारकर जिला स्तरीय कार्यक्रम में सम्मान दिया जाएगा।

स्टेट स्तरीय समारोह की घटना रायपुर में 30 व 31 दिसंबर को किया जाएगा, जिसमें पंथी नृत्य प्रतियोगिता के पुरस्कार के साथ-साथ संस्कृति विभाग की स्थापना स्व. देवदास बंजारे स्मृति पुरस्कार भी दिया जाएगा। मारा पंथी पार्टियों को जिला स्तर पर 50, 25 व 15 हजार और राज्य स्तर पर एक लाख, 75 हजार व 50 हजार रुपये की राशि पुरस्कार के साथ पंथ नृत्य की प्रतिकृति (ढोकरा शिल्प) प्रदान करने की सोच। इस समारोह में सतनामी समाज के राजगुरूओं का सम्मान किया जाएगा।

पूज्य संत गुरु बाबा घासीदास 
सत-नामी वसुंधरा का अनमोल रत्न

पूज्य गुरु घासीदास का अवतरण 1756 में सत की पूर्ण स्थापना एवं समाज में उपेक्षितों को सामाजिक न्याय के द्वारा एकात्मता एवं समरसता स्थापित करने के लिए हुआ था। यही उद्देश्य सतनाम के रूप में प्रचलित हुआ। इस पंथ का अभ्युदय समाज एवं संस्कृति के नवजागरण की एक अलौकिक घटना है। इस महान संत के अवतरण से छत्तीसगढ़ की धरा आत्मगौरव सम्पन्न हुई। समरसता के इस अग्रदूत के जीवनगाथा, उनके उपदेश आज भी समाज के लिए अनुगामी हैं। उनके उपदेशों में आध्यात्मिकता, दार्शनिकता, सामाजिक दृष्टि और जीवन दर्शन का विशाल भण्डार समाहित है। सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास एक महामानव थे, जिनमें मानवता, प्रेम, दया, दया, करुणा, समता, सामाजिक समरसता भरी थी। वे सभी समानता को समझते थे।

पूज्य गुरु घासीदास सन् 1807 में सत्य की खोज में जगन्नाथ पुरी की यात्रा पर निकल पड़े अपने साथियों के साथ। सारंगढ़ तक ही पहुंचें और कि उन्हें आत्मबोध हुआ और सत्यनाम की मणि मिली। चक्र से सतनाम, सतनाम का उच्चारण करते हुए वापस लौटें और लोक मंगल में लीन हो गए।

युगप्रवर्तक संत गुरु घासीदास गिरौदपुरी से सोनाखान के जंगल छातापहाड़ में 6 माह के लिए अंर्तध्यान हो गया तथा जंगल के एकांत में विवेक और तपस्या करते-करते, औंरा-धौंरा, तेन्दू वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान की कमीशन में लीन हो गए। छातापहाड़ के सघन वन के बीच स्थित विशाल शिला के ऊपर वे ध्यानमुद्रा में ध्यानस्थ हो गए। इसी बीच संतगुरु को सत्यपुरुष साहेब के दर्शन हुए। वे बाबा को सत्य का संदेश देकर, सतनाम के प्रचार के लिए आदेशित कर अंतध्यान हो गए। पूज्य गुरु घासीदास को उसी समय सत्य की अनुभूति हुई और नई चेतन ऊर्जा प्राप्त करके ताप समाप्त कर 28 संलग्नक 1820 को प्रतीक्षारत् के रूप में उन्होंने 'सतनाम' का दिव्य संदेश दिया।

सत्य ही ईश्वर है, सत्य ही मानव का जेवर है, मांसाहार पाप है, सभी जीव समान हैं, पशुबलि, जीवत्या है, विहीन पदार्थों का सेवन मत करो, मूर्तिपूजा बंद करो, जड़ सेता आता है, लड़कों को हल में मत जोतो, दोपहर में जोड़ने या भोजन ले जाने बंद करो, निराकार सतनाम साहेब का जप करो, पर नारी को माता मानो, सूर्य के भिन्न, सुबह-शाम सतनाम का जप करने से मन पवित्र होगा, मानव जाति के नाम यही उनके जीवन का मूल संदेश है ।

इसी दिव्य संदेश को सुनने एवं उनके दर्शन पाने के लिए स्थान भक्तजन गिरौदपुरी में एकत्रीकरण होने लगे। उनके दर्शन पाकर, उनके उपदेश श्रवण, भक्तजन भाव-विभोर एवं मुग्ध हो जाते थे। पूज्य गुरु घासीदास जी ने सतनाम का गांव-गांव घूमकर लोकभाषा छत्तीसगढ़ी में उपदेश दिया। उनके उपदेशों से जनजागृति एवं जनचेतना का विकास हुआ। इससे विशाल जनसमूह उनके अनुयायी बने। आज भी उनके यशगाथा और उपदेशक देश भर में वरीयता प्राप्त लाखों अनुयायी हैं।

आपने सतनाम पंथ के यात्रियों को जैतखाम स्थापित करने का संदेश दिया। शुभ्र वस्त्र, ध्वल, उज्ज्वल ध्वज आकाश में फहराये, जो विश्वशांति, सत्य व अहिंसा का संदेश देते हैं। जैतखाम समाज में फैली हुई बुराई, अंधविश्वास, रूढ़िवाद, अज्ञानता पर विजय का प्रतीक है जो धरा से ऊर्जा लेकर सूर्य, चंद्र किरणों से समाज को शक्तिशाली, ऊर्जावान बलशाली और प्रज्ञा बनाता है।

पूज्य गुरु घासीदास का जीवन दर्शन युगों-युगों तक मानवता के संदेश देगा। राष्ट्रीय जागरूकता को विकसित करने में आपकी अविश्वसनीय योगदान हो रहा है। आप वर्तमान युग के विद्युत क्रांति गुरु हैं, आपका व्यक्तित्व एक ऐसा प्रकाश स्तंभ है, जिसमें सत्य, अहिंसा, करूणा तथा जीवन का ध्येय उदासीन रूप से प्रकट होता है। आपके उपदेशों की विशेषता यह है कि आपने अपने संपूर्ण उपदेश छत्तीसगढ़ी में ही दिए गए आपके उपदेशों के सार पंथी गीतों व मंगल गीतों में मिलते हैं।

पंथी में प्रमुख रूप से बाबा घासीदास के जीवन चरित्र पर केंद्रित इन गीतों में जहां एक ओर प्रेम, करुणा, श्रद्धा और शांति जैसे भावों की प्रेरणाएं पिरोई होती हैं वहीं दूसरी ओर अहिंसा, सद्भावना, एकता, मानवता आदि के संदर्भ में तारक, मूल्यपरक और शिक्षा स्नातक के नगीने भी जुड़े हुए हैं। 

अमर वाणी
संत गुरु के दिव्य संदेश

  • सत्य ही ईश्वर है, ईश्वर ही सत्य है।
  • ब्रह्म निर्गुण निराकार है।
  • सत्य आचरण पर उतरें।
  • जीव हत्या पाप है।
  • सभी जीव समान हैं।
  • मांस भक्षण पाप है।
  • पशु बलिन्ध अविश्वास है।
  • पूजा पूजा जड़ता है। मूर्ति पूजा निषेध है।
  • शराब, धूमपान करना मानव के लिए अहितकर है।
  • नारी एवं पुरुष समान है, पर नारी को माता जानो।
  • चोरी करना पाप है।
  • समाज में नियोजित, संगठित करो।
  • जात पात, छुआछूत मानव द्वारा बनाया गया है।
  • सतपुरुष सतनाम साहेब के सभी सन्तोष है।
  • सभी धर्मों का आदर करो।
  • गुरु एवं अनुदान का सम्मान करें।
  • संदीप लाइफ टाइम करो।
  • जैतखाम प्रत्येक शिष्यों के लिए पूज्यनीय एवं आदर्श है।
  • विधवा विवाह नारियों के लिए समाज में लागू करो, नारी समाज में सहभागी बनाकर जी सके।
  • समाज में महंत, भंडारी, छडीदार का पद रखें जो समाज का उच्च व्यक्ति होगा, गुरु के बताए मार्ग पर चलेगा।
  • सतनाम धर्म का पालन गृहस्थ में रहकर भी किया जा सकता है।
  • मानव, काम क्रोध, लोभ, मोह का परित्याग करे।
  • सभी मानव को भाई चारे का संदेश दें।
  • सत्य अहिंसा मानवता का संदेश है।
  • कंठी धारण करो।
  • नाम की कमाई करके, आत्मा को परमात्मा से मिलाय करके सतनाम साहेब के पास जाने का प्रयास करे।

1 comment:

  1. Merkur Progress Futur Adjustable Safety Razor | Dovo
    The Merkur Progress Futur is a 메리트카지노 timeless design with a classic design. The Merkur 온카지노 Progress is a stylish, reliable and adjustable adjustable safety 바카라 razor.

    ReplyDelete