छत्तीसगढ़ी सेवक-जागेश्वर प्रसाद
जागेश्वर प्रसाद जी बर कुछ लिखना मो ल बड़ा मुस्किल लगथे। दू कारण से, एक तो निजी कारण कि जेकर संग बहुत आत्मीयता हो जाथे, मन के बहुत सारा भाव रथे, ओ हर शब्द म नई आ पात रहय, त थथक-पथक लागथे अउ दूसर बात कि जागेश्वर जी के बारे म मो ल अंदाजा हे कि उनकर काम कतका अकन हे, लेकिन उनकर बारे म मोर जानकारी कतका कम हे। फिर भी अतका कहि सकत हंव कि उनकर कस ‘छत्तीसगढ़ी के सेवक‘ दुर्लभ हे। ओ अपन पूरा जीवन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी बर समर्पित कर दिहिन। कागज पत्तर, लिखा-पढ़ी, संपादन के साथ-साथ पूरा छत्तीसगढ़ भर म घूम-घूम के लोग मन ल जागृत करना, लोगन के सहयोग लेना अउ उन ल सहयोग करना।
कहूं मौका म उनकर भाषण सुनें, उग्र अउ प्रखर जागेश्वर जी सार्वजनिक मंच म जतका मर्यादित, संयत लेकिन ठोस बात रखथें, त लगथे कि कइसे एक आदमी के पूरा जीवन, ओकर अनुभव के निचोड़ आत हे। उनकर मजबूत काम आधार आय, जेला शायद बहुत झन नइ गम पात होहीं, वो तेन टाइम म साधन-सुविधा के चिंता करे बिना, छत्तीसगढ़ी के सेवा सरलग करत रहिन, जब ए काम करे बर कोनो जादा माहौल नइ रहिस। आज के पीढ़ी उनकर काम से परिचित होही त समझ पाही कि छत्तीसगढ़ी महतारी के अइसनहा भी सेवक होए हे। छत्तीसगढ़ महतारी के कोख ले अइसनहे पूत, सपूत जनमत रहंय। जागेश्वर जी कस छत्तीसगढ़ी सेवक से प्रेरणा ले के हम अपन महतारी के सेवा करत हुए अपन राज ल खुसहाल अउ सुराज बना सकत हन।
जागेश्वर प्रसाद के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है, गत वर्ष उनके 75 वें जन्मदिन के अवसर पर रामेश्वर वैष्णव जी के सम्पादकत्व में ‘जागरण दूत-जागेश्वर‘ शीर्षक से जागेश्वर प्रसाद अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित हुआ, जिसके सहयोगी संपादक डॉ. बिहारीलाल साहू जी, रामेश्वर शर्मा जी और जी.पी. चन्द्राकर जी थे। इस संग्रह में उनके प्रति व्यक्त मेरी उक्त भावना को भी स्थान दिया गया था।
No comments:
Post a Comment