संग्रहालय विज्ञान का परिचय
लेखक - राहुल कुमार सिंह
प्रकाशक - छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी, रायपुर, 2017
मुद्रक - महावीर ऑफसेट, रायपुर, छत्तीसगढ़
पृष्ठ संख्या - 59 (श्वेत - श्याम चित्र-27) मूल्य-50 रूपये ISBN-978-93-82313-26-7
‘‘किसी देश अथवा काल की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाली मानव निर्मित अथवा प्राकृतिक, जड़ या चेतन वस्तुओं का संग्रह, संग्रहालय में हो सकता है। ये वस्तुएं जहां भूत व वर्तमान संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं वहीं सांस्कृतिक अभिरूचि की परिचायक भी होती हैं। संग्रहालय एक आदर्श एवं सर्वांग संपूर्ण सांस्कृतिक केन्द्र होता है। संग्रहालय का प्रमुख कार्य व उद्देश्य संस्कृति की पहिचान है। संस्कृति जो मानव की अस्मिता, अस्तित्व व उपलब्धि का रेखांकन होती है।‘‘
उपरोक्त वाक्य ‘‘संग्रहालय विज्ञान का परिचय‘‘ शीर्षक पुस्तक के प्रथम अध्याय के अंश हैं, जिसमें संग्रहालयों से संबंधित तमाम किस्म की जानकारियों को समेट कर उपलब्ध कराने की उद्देश्यपूर्ण और सुन्दर कोशिश की गई है। संग्रहालय विज्ञान पर हिन्दी में बहुत सारी पुस्तकें तो नहीं लिखी गई है, और खासकार ऐसा हैण्डबुक जैसी छोटी पुस्तिका, का तो लगभग अभाव सा है। लेखक श्री राहुल कुमार सिंह ने इस पुस्तक में संग्रहालयों के उद्देश्य एवं कार्य, संग्रहण व अधिग्रहण, भवन, पंजीकरण, प्रदर्शन, संरक्षण, सुरक्षा आदि विविध अध्यायों में संग्रहालय प्रबंधन से संबंधित विविध आयामों को जिस तरह से वर्णित किया है, वह इस विषय को पढ़ने वाले विद्यार्थियों तथा संग्रहालयों में कार्य करने वाले कर्मियों के लिए संक्षेप में सभी बातों को दृष्टिगोचर करता है। संग्रहालय प्रबंधन की विधा यूं तो संग्रहालय में कार्य करने वाला व्यक्ति, खुद काम करते हुए अपने अनुभव से रचता है किन्तु यदि इस पुस्तक में लिखी गई बातों को भी संग्रहालय कर्मी संदर्भित करते हुए कार्य करे तो निश्चित ही उसके प्रबंधन में अधिक गुणवत्ता आयेगी।
छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी जिन्होंने इसका प्रकाशन किया है और श्री राहुल कुमार सिंह जिन्होंने इसे लिखा है, दोनों ही इस हेतु बधाई के पात्र हैं। यद्यपि इस पुस्तक में संग्रहालय विज्ञान के विविध आयामों का संक्षिप्त वर्णन किया गया है एवं जो बातें कही गई हैं वे पुरातात्विक संग्रहालयों से अधिक संबंधित हैं, तथापि लेखक ने अन्य विशेषीकृत संग्रहालयों जिसमें मुक्ताकाश संग्रहालय भी सम्मिलित हैं, को भी स्पर्श की सार्थक कोशिश की है। लेखक ने जहां संग्रहालय को संस्कृति पर ज्ञान का भण्डार निरूपित किया है, वहीं इस ज्ञान को दर्शकों तक संप्रेषित करने के तरीकों का भी बखूबी उल्लेख किया है। हालाकि वर्चुअल म्यूजियम, इन्टरेक्टिव डिस्पले, रेडियो टूर, नव संग्रहालयवाद तथा संग्रहालय विज्ञान से संबंधित आधुनिक तकनीक नवाचार आदि पर विस्तारण नहीं किया गया है तथापि इस क्षेत्र में थोड़ा सा झरोखा को लेखक ने खोला ही है। अपेक्षा है जब इसका दूसरा संस्करण आएगा तो लेखक इन सभी के साथ संग्रहालय शिक्षा, संग्रहालय आऊटरीच तथा संस्कृतियों के ‘इन सीटू‘ परिरक्षण पर भी प्रकाश डालेंगे।
पुस्तक के अंत में संलग्न परिशिष्ट छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित संग्रहालयों के बारे में परिचयात्मक जानकारी उपलब्ध कराता है। छत्तीसगढ़ के लिए यह गौरव की बात है कि यहां पर आज से 140 वर्ष से भी पहले एक संग्रहालय की स्थापना की गई थी, तब शायद पूरे देश में एक दर्जन संग्रहालय नहीं रहे होंगे। पुस्तक में ‘महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय‘ के नाम से इस संग्रहालय के बारे में पढ़ना एक सुखद अनुभूति है। छत्तीसगढ़ में पुरातात्त्विक उत्खनन स्थलों पर विकसित स्थल संग्रहालय तथा रायपुर शहर में लगभग 200 एकड़ में निर्मित किये जा रहे ‘पुरखौती मुक्तांगन‘ नामक मुक्ताकाश संग्रहालय के साथ ही राज्य के अनेक जिला मुख्यालयों और अन्य स्थानों पर स्थापित किये गये संग्रहालयों पर उपलब्ध कराई गई जानकारी इस पुस्तक की महत्ता में अभिवृद्धि करता है। अपेक्षा है कि पाठक इस पुस्तक से संग्रहालय विज्ञान पर संक्षिप्त किन्तु सटीक और समेकित जानकारी प्राप्त कर सकेंगे ।
-अशोक तिवारी, रायपुर
(इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल के सेवानिवृत्त अधिकारी)
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