Friday, June 24, 2022

सीधी सी फिल्मी बात

पुराना फिल्मी गीत है, ‘सीधी सी बात न मिर्च मसाला, कह के रहेगा कहने वाला, दिल का हाल सुने दिलवाला।‘ यहां बात, हो सकता है सीधी न लगे, कुछ मसालेदार लग सकती है, मगर इरादा दिलवालों को दिल का हाल सुनाने का है। बात बस इतनी कि कविता और संगीत की मेरी समझ, आम फिल्मी गीतों के स्तर वाली, सीमित है।

हुआ कुछ यूं कि मधुसूदन ढाकी जी (बाद में पद्मभूषण सम्मानित) कभी बिलासपुर आए थे। भारतीय कला और चिंतन परंपरा के मूर्धन्य, अभ्यास से हिन्दुस्तानी और कर्नाटक संगीत में सिद्ध थे। मानते थे कि पारंपरिक कला की समझ के लिए संस्कृत और संगीत आना चाहिए। मैं यह अच्छी तरह जानता था कि मुझे संस्कृत नहीं आती और संगीत से भी कोई यों रिश्ता नहीं है। उन्होंने जोर दे कर पूछा, संगीत नहीं आता!, कुछ भी पसंद नहीं?, सुनते भी नहीं? संकोचवश, थोड़ी अपनी इस लाचारी पर स्वयं क्षुब्ध मैंने कहा, फिल्मी गीत सुनता हूं, पसंद भी हैं। उन्होंने पूछा, उसमें क्या, कौन? यों सहगल साहब और बेगम अख्तर पसंद आने लगे थे, पर अब पास-फेल की परवाह नहीं थी, सो पहला नाम जबान पर आया, कह दिया- किशोर कुमार। कुछ समय सोचते खामोश रहे, फिर उन्होंने पूछा- ‘जगमग जगमग करता निकला, चांद पूनम का प्यारा‘ सुना है?, मेरे इनकार पर बताया कि यह किशोर कुमार का गाया गीत उन्हें बेहद पसंद है और मुखड़ा गा कर भी सुना दिया।

घर में यदा-कदा फिल्मी चर्चा पर रोक-टोक नहीं थी। कमाल अमरोही, गुरुदत्त और राजकपूर की क्लासिक फिल्में और उनके गीतों की बातें सुनने को मिलतीं। फिल्मी गीत सुनते-गुनते अपनी काव्य-संगीत रुचि को इतना चलताउ मानता रहा कि उसे रुचि कहने में भी संकोच होता था। मगर इस तरह धीरे-धीरे, पता नहीं कब अपनी यह सोच बदली।

फिल्मी गीतों जैसी सीधी-सी बातें याद करते हुए कुछ पंक्तियां ध्यान आती है।

सरल, सपाट, संक्षिप्त-
सुनो, कहो, कहा, सुना, कुछ हुआ क्या।
अभी तो नही, कुछ भी नहीं।
चली हवा, झुकी घटा, कुछ हुआ क्या
अभी तो नही, कुछ भी नहीं।
(आपकी कसम-1974, आनंद बक्शी)

और यही यहां कुछ औपचारिक सा-
सुनिए, कहिए, कहिए, सुनिए
कहते सुनते, बातों बातों में प्यार हो जाएगा।
(बातों बातों में-1979, अमित खन्ना)

एक कहा-सुनी ऐसी भी-
ये तूने क्या कहा, कहा होगा
ये मैंने क्या सुना, सुना होगा
अरे ये दिल गया, गया होगा।
(इंसाफ-1966 अख्तर रोमानी)

इसी तरह गीत है-
‘बैठ जा, बैठ गई, खड़ी हो जा, खड़ी हो गई,
घूम जा, घूम गई, झूम जा, झूम गई, भूल जा, भूल गई‘।
गीत का पूरा मुखड़ा बस इतना सा।

ऐसे ही थोड़े से साफ-सीधे शब्दों का मुखड़ा है -
मैं जो बोलूं हां तो हां मैं जो बोलूं ना तो ना
मंज़ूर, मंज़ूर मुझे है मेरे सजना
तू जो बोले हां तो हां तू जो बोले ना तो ना।

दूसरी तरफ-
हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है।
एक मेम शाब है, शाथ में शाब भी है।

कभी गाया गया था-
ओ बाबू साब, ओ मेम साब
क्या रखा इस तक़रार में
ज़रा तो आंखें देखो मिला के
बड़ा मज़ा है प्यार में।

और बातचीत की तरह -
अच्छा तो हम चलते हैं
फिर कब मिलोगे? जब तुम कहोगे
जुम्मे रात को, हां हां आधी रात को
कहां? वहीं जहाँ कोई आता-जाता नहीं
अच्छा तो हम चलते हैं।

फिर रोमांटिक होता सवाल-जवाब -
की गल है, कोई नहीं
तेरी आंखों से लगता है
कि तू कल रात को सोई नहीं
नींद है क्या है कौन सी चीज़
जो मैंने तेरे प्यार में खोई नहीं
की गल है, कोई नहीं।

थोड़े से शब्दों वाला एक मुखड़ा-
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी, ओ, ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना...

तब विरक्त गमगीनी के ऐसे बोल -
ये क्या हुआ, कैसे हुआ,
कब हुआ, क्यूं हुआ,
जब हुआ, तब हुआ
ओ छोड़ो, ये ना सोचो। 

या - 
कभी न कभी, 
कहीं न कहीं, 
कोई न कोई

बात प्रेम, प्यार, इश्क, मुहब्बत की, जो इलु इलु तक पहुंची। न जाने कितने रंग दिखे-

वो हैं ऐसे बुद्धू ना समझे रे प्यार/
दिल विल, प्यार व्यार/
प्यार किया तो डरना क्या/
खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे/
धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है/
यदि आप हमें आदेश करें, तो प्यार का हम श्रीगणेश करें/
प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है/
मैं तेरे प्यार में क्या क्या न बना दिलबर/
हम बने तुम बने इक दूजे के लिए/
दिल धड़के, नजर शरमाए तो समझो प्यार हो गया/
मिलो न तुम तो हम घबराएं/
क्या यही प्यार है, हां यही प्यार है/
क्या प्यार इसी को कहते हैं/
तू ये ना समझ लेना कि मैं तुझसे मुहब्बत करता हूं/
तुमको भी तो ऐसा ही कुछ होता होगा/
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है/
दिल एक मंदिर है, प्यार की जिसमें होती है पूजा/
छोटा सा फसाना है तेरे मेरे प्यार का/
वो जवानी जवानी नहीं, जिसकी कोई कहानी न हो/
चलो दिल में बिठा के तुम्हें, तुमसे ही प्यार किया जाय/
मैं प्यार का राही हूं/
आओगे जब तुम ओ साजना, अंगना फूल खिलेंगे/
कस्मे वादे प्यार वफा सब बात है बातों का/
आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे/
हंस मत पगली प्यार हो जाएगा...

सच बता तू मुझपे फिदा, क्यूं हुआ और कैसे हुआ... प्यार के इजहार के बाद, प्रेमी युगल एक-दूसरे से पहला सवाल ऐसा ही कुछ करते हैं, दुहराते रहते हैं। जवाब नहीं जानते, बता नहीं पाते या बताना नहीं चाहते। वैसे तो क्लिक, बेस्ट सेलर, बॉक्स ऑफिस हिट का फार्मूला होता नहीं लेकिन यहां आशंका कि अगला इसे फिर से न आजमाने/दुहराने लगे। 

इस सबके साथ ऐसा सबको लगता है, लगता रहेगा- ‘तेरे मेरे प्यार का अंदाज है निराला ...

3 comments:

  1. Information and entertainment in one capsule

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  2. Hi I read your blog and found that your blog is full of informative content. So keep posting thanks for share this article. Your article is very amazing. I like your article. thanks you ones again.

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  3. बहुत ही सुंदर और पठनीय।वाह।

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