छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बहने वाली छोटी सी नदी 'अहिरन' का नाम जटाशंकरी भी है, लेकिन फिलहाल यह पर्याय की तरह याद आ रही है इंदिरा गोस्वामी के लिए, जो मामोनी रायसम गोस्वामी के नाम से भी जानी जाती थीं। लगभग 35 साल पहले रचित उनके इस असमिया उपन्यास का हिन्दी अनुवाद 'अहिरन' 2007 में प्रकाशित हुआ।
कोई छः माह पुरानी बात है (वे लगभग इतने समय से अस्वस्थ्य थीं), जब इंदिरा जी के छत्तीसगढ़ के साथ इस रिश्ते को जानने के बाद मैंने प्रयास शुरू किया। अपनी सीमा में अधिकतम संभव हुआ कि उनके पिछले छत्तीसगढ़ प्रवास के बारे में कुछ जानकारियां मिल पाईं।
रायपुर में 14-16 अक्टूबर 2005 में आयोजित अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन के छठें अधिवेशन में आई थीं। चित्र में उनके साथ मुख्यमंत्रीजी की पत्नी श्रीमती वीणा सिंह और कवयित्री-अभिनेत्री सुश्री नीलू मेघ हैं।
अहिरन पढ़ रहा हूं, अपने घर-पड़ोस की बातें हैं- चांपा, कोरबा, चारपारा, कठघोरा, हसदेव, शिवनाथ, पाली, कुदुरमाल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़..., फिलहाल अधूरी है...
पढ़ा कि उनके जन्म पर भविष्यवाणी की गई थी- ''इस लड़की के सितारे इतने खराब हैं, इसे दो टुकड़े करके ब्रह्मपुत्र में फेंक दो'' और इसके बाद जीवन भर जिन चुनौतियों से मुकाबिल वे साहित्य, असम, राष्ट्र और खुद को रचती रहीं कि उनसे मिलने का मन बना कर पिछले दिनों दिल्ली तक गया, मुलाकात न हो सकी, फिर भी पोस्ट पूरी करता ही, अपनी गति से..., लेकिन सुबह-सुबह उनके निधन का समाचार मिला, सो फिलहाल इतना ही, इस अधूरी पोस्ट और पूरे मन के साथ उन्हें छत्तीसगढि़या श्रद्धांजलि।
संबंधित पोस्ट - सतीश का संसार पर अहिरन और अहिरन के साथ...
इंदिरा जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर उनकी रचनाओं के अंश हिन्दी में विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने पर पढे थे, हालांकि उनकी कोई किताब अब तक पूरी नहीं पढ़ी है। असमिया साहित्य एवं संस्क़ति के संवर्द्धन में उनकी महती योगदान के लिए हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि, अहिरन की अभिव्यक्ति को।
ReplyDeleteशायद कुछ साल पहले बलि प्रथा के विरोध में इनकी बातों को पढा था……और तस्वीरों में ललाट पर गोल, बडी-सी बिन्दी…भविष्यवाणी का तो कचूमर निकला ही…
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDelete'अहिरन' पढ़ना चाह रही थी कि यह दुखद खबर मिल गई. बड़ी क्षति है. भावभीनी श्रद्धांजलि इंदिरा जी को...
ReplyDeleteविनर्म श्रद्धांजलि इंदिरा जी को .
ReplyDeleteइंदिरा गोस्वामी: विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteजब यह पोस्ट पढ़ना सुरू किया तो अनुमान ही नहीं था कि अंत में आप ऐसा समाचार देंगे!! विनम्र श्रद्धांजलि!!
ReplyDeleteइंदिराजी को विनम्र श्रद्धांजली.
ReplyDeleteओह,नदी रुक गयी .... श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteशब्दार्थ जानने की इच्छा हो रही है !
ReplyDeleteइंदिराजी को विनम्र श्रद्धांजली.इनके बारे में सतीश जी से कुछ जाना था.
ReplyDeleteतुलसी @ रामबोला के जन्म पर भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी हुई थी, लेकिन तकदीर और तदबीर दोनों अपनी अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं।
ReplyDeleteसुबह जब इंदिरा गोस्वामी जी के देहावसान की खबर पता चली, मुझे पहला ध्यान दिल्ली में आपसे हुई मुलाकात का आया। ध्यान है मुझे, आपने यह छत्तीसगढिया नाते वाला प्रसंग भी बताया था और उनसे मुलाकात की इच्छा भी। शशिकांत जी से उस दिन फ़ोन पर संपर्क भी नहीं हो पाया था आपका।
'so many slips, between cup & lips'
विनम्र श्रद्धांजलि इन्दिरा गोस्वामी जी को।
काश इंदिरा से आपकी बात हुई होती,और हमें अ ध्कि जानकारी उनको और छत्तीसगढ़ को लेकर मिलती.....नमन.....
ReplyDeleteश्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteओह!!बहुत ही दुखद खबर..
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
दुखद ......! विनम्र श्रद्धांजलि ....!
ReplyDeleteइंदिरा गोस्वामी को हार्दिक श्रद्धांजिल....कभी सुना था इंदिरा गाँधी और रायबरेली का भी कोई प्रसंग उनसे जुड़ा है,याद हो तो बताइयेगा !
ReplyDelete*श्रद्धांजलि
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि......
ReplyDeleteVinamr shraddhanjali.
ReplyDeleteइनकी लिख छिन्नमस्ता पढ़ी है। कामाख्या देवी के मंदिर और वहां चले बलि प्रथा को लेकर बेहद सशक्त रचना है।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजली।
विनम्र श्रध्दांजलि....
ReplyDeleteअभी थोड़ी देर पहले ही अखबार में इंदिरा गोस्वामी जी के निधन के बारे में पढ़ा..
ReplyDeleteश्रद्धांजली!
इंदिरा जी को विनम्र श्रद्धांजलि, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
ReplyDeleteसोचता हूं, इन्दिरा जी को पढ़ा जाये! पोस्ट के लिये धन्यवाद!
ReplyDeleteइंदिरा जी को इस तरह याद करते हुए हम भी आपके साथ हैं।
ReplyDeleteइंदिरा गोस्वामी जी को खूब पढ़ा हूं... छिन्मस्तिका उपन्यास बेहतरीन है... लाल नदी एक कहानी संग्रह है... बढ़िया कहानिया हैं उसमे... इंदिरा गोस्वामी की कहानियों पर एक रेडियो सीरियल पर भी काम कर रहा हूं... इसी सिलसिले में कापीराईट अनुमति के लिए उनसे मिलना हुआ था.... अभी प्रोजेक्ट आकाशवाणी दिल्ली में लंबित है.. शायद अब हो जाये.... विनम्र श्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से भी विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की खबर हमने ली है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग जगत से कोहरा हटा और दिखा - ब्लॉग बुलेटिन
आप ने इतना अधिक पढ़ रखा है की अप विश्वकोश हो गए लगते हैं ...
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ReplyDeleteआप ने इतना अधिक पढ़ रखा है कि आप विश्वकोश हो गए लगते हैं .
ReplyDeleteश्रद्धांजलि !
ReplyDeleteमेर नए पोस्ट 'राही मासूम रजा' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमैंने इन्दिराजी को नहीं पढा। ज्ञानजी की तरह ही विचार आया - अब तो पढ लिया जाना चाहिए।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढते-पढते 'सुरसतिया' की याद हो आई। उसमें भी छत्तीसगढ छाया हुआ है।
@ विष्णु बैरागी जी-
ReplyDeleteजी हां, अमृता प्रीतम और इंदिरा गोस्वामी से कहीं अधिक घनिष्ठ विमल मित्र रहे हैं, छत्तीसगढ़ से.
विनम्र श्रद्धांजलि.
ReplyDeleteउल्फा से वार्ता और रामायण से जुड़े उनके संस्थान के बारे में जानकारियां मिलती रहती थीं. छत्तीसगढ़ से उनसे जुडी नई जानकारियों का धन्यवाद.
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