Tuesday, November 29, 2011

इंदिरा का अहिरन

छत्‍तीसगढ़ के कोरबा जिले में बहने वाली छोटी सी नदी 'अहिरन' का नाम जटाशंकरी भी है, लेकिन फिलहाल यह पर्याय की तरह याद आ रही है इंदिरा गोस्‍वामी के लिए, जो मामोनी रायसम गोस्‍वामी के नाम से भी जानी जाती थीं। लगभग 35 साल पहले रचित उनके इस असमिया उपन्‍यास का हिन्‍दी अनुवाद 'अहिरन' 2007 में प्रकाशित हुआ।
कोई छः माह पुरानी बात है (वे लगभग इतने समय से अस्‍वस्‍थ्‍य थीं), जब इंदिरा जी के छत्‍तीसगढ़ के साथ इस रिश्‍ते को जानने के बाद मैंने प्रयास शुरू किया। अपनी सीमा में अधिकतम संभव हुआ कि उनके पिछले छत्‍तीसगढ़ प्रवास के बारे में कुछ जानकारियां मिल पाईं।
रायपुर में 14-16 अक्‍टूबर 2005 में आयोजित अखिल भारतीय कवयित्री सम्‍मेलन के छठें अधिवेशन में आई थीं। चित्र में उनके साथ मुख्‍यमंत्रीजी की पत्‍नी श्रीमती वीणा सिंह और कवयित्री-अभिनेत्री सुश्री नीलू मेघ हैं।

अहिरन पढ़ रहा हूं, अपने घर-पड़ोस की बातें हैं- चांपा, कोरबा, चारपारा, कठघोरा, हसदेव, शिवनाथ, पाली, कुदुरमाल, बिलासपुर, छत्‍तीसगढ़..., फिलहाल अधूरी है...

पढ़ा कि उनके जन्‍म पर भविष्‍यवाणी की गई थी- ''इस लड़की के सितारे इतने खराब हैं, इसे दो टुकड़े करके ब्रह्मपुत्र में फेंक दो'' और इसके बाद जीवन भर जिन चुनौतियों से मुकाबिल वे साहित्‍य, असम, राष्‍ट्र और खुद को रचती रहीं कि उनसे मिलने का मन बना कर पिछले दिनों दिल्‍ली तक गया, मुलाकात न हो सकी, फिर भी पोस्‍ट पूरी करता ही, अपनी गति से..., लेकिन सुबह-सुबह उनके निधन का समाचार मिला, सो फिलहाल इतना ही, इस अधूरी पोस्‍ट और पूरे मन के साथ उन्‍हें छत्‍तीसगढि़या श्रद्धांजलि।

संबंधित पोस्‍ट - सतीश का संसार पर अहिरन और अहिरन के साथ...

39 comments:

  1. इंदिरा जी को ज्ञानपीठ पुरस्‍कार मिलने पर उनकी रचनाओं के अंश हिन्‍दी में विभिन्‍न प‍त्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने पर पढे थे, हालांकि उनकी कोई किताब अब तक पूरी नहीं पढ़ी है। असमिया साहित्‍य एवं संस्‍क़ति के संवर्द्धन में उनकी महती योगदान के लिए हम उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

    ReplyDelete
  2. विनम्र श्रद्धांजलि, अहिरन की अभिव्यक्ति को।

    ReplyDelete
  3. शायद कुछ साल पहले बलि प्रथा के विरोध में इनकी बातों को पढा था……और तस्वीरों में ललाट पर गोल, बडी-सी बिन्दी…भविष्यवाणी का तो कचूमर निकला ही…

    ReplyDelete
  4. सुन्दर प्रस्तुति ||

    ReplyDelete
  5. 'अहिरन' पढ़ना चाह रही थी कि यह दुखद खबर मिल गई. बड़ी क्षति है. भावभीनी श्रद्धांजलि इंदिरा जी को...

    ReplyDelete
  6. विनर्म श्रद्धांजलि इंदिरा जी को .

    ReplyDelete
  7. इंदिरा गोस्‍वामी: विनम्र श्रद्धांजलि

    ReplyDelete
  8. जब यह पोस्ट पढ़ना सुरू किया तो अनुमान ही नहीं था कि अंत में आप ऐसा समाचार देंगे!! विनम्र श्रद्धांजलि!!

    ReplyDelete
  9. इंदिराजी को विनम्र श्रद्धांजली.

    ReplyDelete
  10. ओह,नदी रुक गयी .... श्रद्धांजलि !

    ReplyDelete
  11. शब्दार्थ जानने की इच्छा हो रही है !

    ReplyDelete
  12. इंदिराजी को विनम्र श्रद्धांजली.इनके बारे में सतीश जी से कुछ जाना था.

    ReplyDelete
  13. तुलसी @ रामबोला के जन्म पर भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी हुई थी, लेकिन तकदीर और तदबीर दोनों अपनी अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं।
    सुबह जब इंदिरा गोस्वामी जी के देहावसान की खबर पता चली, मुझे पहला ध्यान दिल्ली में आपसे हुई मुलाकात का आया। ध्यान है मुझे, आपने यह छत्तीसगढिया नाते वाला प्रसंग भी बताया था और उनसे मुलाकात की इच्छा भी। शशिकांत जी से उस दिन फ़ोन पर संपर्क भी नहीं हो पाया था आपका।
    'so many slips, between cup & lips'
    विनम्र श्रद्धांजलि इन्दिरा गोस्वामी जी को।

    ReplyDelete
  14. काश इंदिरा से आपकी बात हुई होती,और हमें अ‍ ध्कि जानकारी उनको और छत्‍तीसगढ़ को लेकर मिलती.....नमन.....

    ReplyDelete
  15. श्रद्धांजलि ...

    ReplyDelete
  16. ओह!!बहुत ही दुखद खबर..
    विनम्र श्रद्धांजलि

    ReplyDelete
  17. दुखद ......! विनम्र श्रद्धांजलि ....!

    ReplyDelete
  18. इंदिरा गोस्वामी को हार्दिक श्रद्धांजिल....कभी सुना था इंदिरा गाँधी और रायबरेली का भी कोई प्रसंग उनसे जुड़ा है,याद हो तो बताइयेगा !

    ReplyDelete
  19. विनम्र श्रद्धांजलि......

    ReplyDelete
  20. इनकी लिख छिन्नमस्ता पढ़ी है। कामाख्या देवी के मंदिर और वहां चले बलि प्रथा को लेकर बेहद सशक्त रचना है।

    विनम्र श्रद्धांजली।

    ReplyDelete
  21. विनम्र श्रध्‍दांजलि....

    ReplyDelete
  22. अभी थोड़ी देर पहले ही अखबार में इंदिरा गोस्वामी जी के निधन के बारे में पढ़ा..

    श्रद्धांजली!

    ReplyDelete
  23. इंदिरा जी को विनम्र श्रद्धांजलि, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

    ReplyDelete
  24. सोचता हूं, इन्दिरा जी को पढ़ा जाये! पोस्ट के लिये धन्यवाद!

    ReplyDelete
  25. इंदिरा जी को इस तरह याद करते हुए हम भी आपके साथ हैं।

    ReplyDelete
  26. इंदिरा गोस्वामी जी को खूब पढ़ा हूं... छिन्मस्तिका उपन्यास बेहतरीन है... लाल नदी एक कहानी संग्रह है... बढ़िया कहानिया हैं उसमे... इंदिरा गोस्वामी की कहानियों पर एक रेडियो सीरियल पर भी काम कर रहा हूं... इसी सिलसिले में कापीराईट अनुमति के लिए उनसे मिलना हुआ था.... अभी प्रोजेक्ट आकाशवाणी दिल्ली में लंबित है.. शायद अब हो जाये.... विनम्र श्रद्धांजलि ...

    ReplyDelete
  27. आप ने इतना अधिक पढ़ रखा है की अप विश्वकोश हो गए लगते हैं ...

    ReplyDelete
  28. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  29. आप ने इतना अधिक पढ़ रखा है कि आप विश्वकोश हो गए लगते हैं .

    ReplyDelete
  30. मेर नए पोस्ट 'राही मासूम रजा' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  31. मैंने इन्दिराजी को नहीं पढा। ज्ञानजी की तरह ही विचार आया - अब तो पढ लिया जाना चाहिए।

    आपकी पोस्‍ट पढते-पढते 'सुरसतिया' की याद हो आई। उसमें भी छत्‍तीसगढ छाया हुआ है।

    ReplyDelete
  32. @ विष्‍णु बैरागी जी-
    जी हां, अमृता प्रीतम और इंदिरा गोस्‍वामी से कहीं अधिक घनिष्‍ठ विमल मित्र रहे हैं, छत्‍तीसगढ़ से.

    ReplyDelete
  33. विनम्र श्रद्धांजलि.

    ReplyDelete
  34. उल्फा से वार्ता और रामायण से जुड़े उनके संस्थान के बारे में जानकारियां मिलती रहती थीं. छत्तीसगढ़ से उनसे जुडी नई जानकारियों का धन्यवाद.

    ReplyDelete