Saturday, April 8, 2017

शहर

शहर में शहर रहता है
शहर में सिर्फ शहर होता है
हर शहर का अपना वजूद है
उसका अपना वजूद, अपने होने से

चिरई-चुरगुन, तालाब-बांधा, मर-मैदान
गुड़ी-गउठान, पारा-मुहल्ला
बाबू-नोनी, रिश्ते-नाते
शाम-ओ-सहर सब
या समाहित या शहर बदर
अब शहर में बस शहर ही शहर