कुछ दृश्य ऐसे होते हैं, जिन्हें देखते ही मन, ब्लाग पोस्ट गढ़ने लगता है मगर वह पोस्ट न बन पाए तो तात्कालिक रूपरेखा धूमिल पड़ जाती है पर तस्वीरें कुलबुलाती रहती हैं। कुछ साथी हैं, जो मामूली और अकारण सी लगने वाली एक तस्वीर पर पूरी पोस्ट तान सकते हैं या पोस्ट किसी विषय पर हो, उसमें उपलब्ध तस्वीर के अनुकूल प्रसंग रच लेते हैं, जैसा कई बार फिल्मों में गीत के सिचुएशन के लिए होता है। स्वयं में वैसी रचनात्मक क्षमता का अभाव पाता हूं, इसलिए यहां फिलहाल honesty को best policy माना है।
परिस्थितिवश अनुपयोगी साबित हो रही तस्वीरें उसी तरह हैं जैसे कुछ कम कुछ ज्यादा बची, कुछ ताजी, कुछ बासी सब्जियां, जिनके बारे में तय नहीं हो पाता कि क्या बनाया जाय तो अक्सर इसका आसान हल निकलता है, मिक्स वेज। यह किसी की रुचि और जायके का हो न हो, नापसंद शायद ही कोई करता है। इसी भरोसे तस्वीरों वाली, मसाला फिल्मों की तरह भक्त और भगवान, भ्रष्टाचार-घोटाला, परी, दिल, शिक्षा, पैसा, ज्योतिष, इलाज, राजनीति और गांधी तक शामिल यह पंचमेल तस्वीरों वाली पोस्ट।
बजरंग बली मंदिर पर शिव, गांधीजी के बंदर और अशोक स्तंभ (सरकार का सिक्का) बगल में गिरोद मेला में युवक के बाजू पर गुरु घासीदास का गोदना |
परी, जनाना या नचकारिन (नचकहारिन या नहचकारिन भी) छत्तीसगढ़ के पारम्परिक लोकमंच 'नाचा' के पुरुष कलाकार |
नीचे ''भ्रष्टाचार एवं घोटाला'', प्रेस- प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ और ऊपर एक ही जगह तीन दल व कहीं चार अखबार साथ-साथ |
ऊपर सौतन से छुटकारा, लव मैरिज, वशीकरण स्पेशलिस्ट, बीच में ''किसी प्रकार के दर्द से छुटकारा पाऐं बैध बीबी ...? (वैद्य बी बी श्रीवास्तव) और नीचे जी हां, शादी ब्याह के लिए ... दिल कटिंग 15 मिनट में |
बिना कहे ये चित्र भी बहुत कुछ कह देते हैं !
ReplyDeleteरोचक कोलाज हैं आपके ये चित्र! मजा आ गया इनको देखकर!
ReplyDeleteशब्द से अधिक चित्र कह देते हैं।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteयहां भी ये स्पेशलिस्ट मौ्जूद हैं. :)
ReplyDeleteचित्रों ने तो कमाल कर दिया मन्दिर में भक्ति, आध्यात्म,दर्शन और देशभक्ति!! और अन्त में कलेजा काट कर रख दिया :)
ReplyDeleteपनीर, गोभी, आलू, मटर, करेला... सभी का स्वाद मिल गया इस मिक्सवेज में!
ReplyDeleteपोस्ट को देख-पढ़ कर दिमाग में यह लोकोक्ति कौंध गई -
"कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानमती ने कुनबा जोड़ा!"
चलिए. मन्त्र मिल गया. हमने भी कोल्ड स्टोरेज में रखा है. कभी काम आयेंगे. अनूप शुक्ला जी को मजा आ गया तो समझिये प्रयोग सफल ही रहा लेकिन अवधिया जी बाज नहीं आये. मंदिर गजब का है. एक अलग पोस्ट, बनाने वाले बना ही देते. नाचा के नचकारिनों का भी उद्दधार हो सकता था.
ReplyDeleteइतना स्टॉक होता तो कई पोस्ट तानने का काम हम भी कर सकते थे पर ये भी नहीं कहेंगे कि आपने माल ज़ाया (व्यर्थ) किया क्योंकि मिक्स्ड वेज स्वास्थ्य के लिए गुणकारी माना जाता है :)
Deleteपहले से कुछ सोच कर तो लिखना हो ही नहीं पाया, लिखना प्रारम्भ करते हैं, विचार आने लगते हैं। चित्र सब कह रहे हैं...
ReplyDeleteइस लेख का उद्देश्य अपने को कुछ कम पता चला।
ReplyDelete"कुछ साथी हैं, जो मामूली और अकारण सी लगने वाली एक तस्वीर पर पूरी पोस्ट तान सकते हैं या पोस्ट किसी विषय पर हो, उसमें उपलब्ध तस्वीर के अनुकूल प्रसंग रच लेते हैं"
ReplyDeleteहम भी उसमें से एक हैं.. लेकिन इस मिक्स वेज का तो स्वाद ही निराला है!!
होली है होलो हुलस, हाजिर हफ्ता-हाट ।
ReplyDeleteचर्चित चर्चा-मंच पर, रविकर जोहे बाट ।
रविवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
सही बात है ... जब से ब्लागिग शुरू की है, बात- बात पर यही लगता है कि दन्न्न से फोटो खींच कर ब्लाग पर लगा दूं
ReplyDeleteबाईस्कोप छत्तीसगढ़ी
ReplyDeleteमिक्स वेज बने लागिस.
ReplyDeleteबहुत कुछ कह रहे हैं चित्र।
ReplyDeleteचित्र तो यूँ भी शब्दों पर भारी ही पड़ते हैं...... सब कह गए ....
ReplyDeleteshayad yahi hamare characterstics
ReplyDeletehon .bhale hi hum alag alag hon lekin mil jayen to swad hi nirala.
घासपातभक्षी होने के कारण मिक्सवेज पर हमें भी बहुत भरोसा रहा है। वैसे ये ब्लॉग जगत भी तो पचरंगा\सतरंगा\बहुरंगा अचार जैसा है।
ReplyDeleteयूँ तो सभी चित्र जोरदार हैं, मंदिर वाला चित्र ’सर्वसमर्थ समभाव’ समेटे है, वाकई अनोखा लगा।
मिक्स वेज अच्छी लगी।
ReplyDeleteमिक्स वेज....बट...टेस्टी.............
ReplyDeleteकभी कभी एक तस्वीर इतना बयाँ कर देती हैं कि एक पूरी उपन्यास भी कम पड़े ! फिर आपने तो एक से बढ़कर एक तस्वीरें लगाई है ये पोस्ट नहीं महाग्रंथ हो गया ! छायांकन की दृष्टि से बेहतरीन तस्वीरें तो नहीं कहूँगा लेकिन संदर्भों की नजर से देखें तो लाजवाब तस्वीरें ! यकीन इन्ही तस्वीरों के लिए ही ये जुमला बना है .. " तस्वीरें बोलती हैं !" आपके कैमरे में नहीं आपकी पारखी नजर में कमाल का जादू है ! मैं इसे शाही मिक्स वेज कहूँगा !
ReplyDeletesabka apna-apna kona..
ReplyDelete....badiya mix-veg...bolti tasveer..
सर होली की शुभकामनायें |बहुत ही उम्दा पोस्ट |
ReplyDeleteपोस्ट तो पंचमेल है ही, प्रत्येक तस्वीर भी पंचमेल का नमूना है, खास कर गिरौदपुरी मेले वाला युवक।
ReplyDeleteROCHAK ...bahut badhia post ...
ReplyDeleteशीर्षक से 100% मेलखाती सामग्री....मुझे भी मिक्स वेज पसंद है.
ReplyDeleteशीर्षक से 100% मेलखाती सामग्री....मुझे भी मिक्स वेज पसंद है.
ReplyDeleteआपकी हर पोस्ट संग्रहणीय होती है
ReplyDeleteरंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें भाई जी !
राहुलजी, कुछ तस्वीरें स्वयं इतनी मुखर होती हैं कि कुछ बोलने की जरूरत नहीं होती। ये तस्वीरें आजकल के जीवन और समाज का आइना हैं।
ReplyDeleteसही बात, इंसान को पसंद आये या न आये, खा तो लेता ही है एक बार मिक्स वेज. पर ये तो ऐसा मिक्स वेज है जिसको खाने के बाद अपाच्य एकदम नहीं लगा. सुपाच्य मिक्स वेज..
ReplyDeleteधन्यवाद स्वादिष्ट रेसेपी के लिए.
प्रणाम
धन्यवाद, आपका मेल मिल जाने से अब आप unknown नहीं, बिकास(कुमार शर्मा), यानि known हैं.
Deleteतस्वीरों का मिक्स वेज में तड़का बहुत ही अच्छा लगा. बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDelete:)
ReplyDeleteपहले से सोच कर लिखना आज तक नहीं हो पाया। इसीलिए 'प्रासंगिक लेखन' नहीं कर पाया।
ReplyDeleteवैसे, 'मिक्स वेज' तो बहुत ही अच्छी है लेकिन इसकी व्याख्या देकर आपने अच्छा नहीं किया। बनती मिठाई देखने उसका स्वाद कम हो जाता है। ऐसी ईमानदारी भी किस काम की जो रसानुभति में बाधक बन जाए। भगवान के लिए आगे से ऐसा बिलकुल मत कीजिएगा। ऐसा करते हुए आप अच्छे नहीं लगते।
दुनिया - 'मिक्स वेज' का भाँडा .
ReplyDeleteअचछा है मिक्स वेज ।
ReplyDeleteचित्रों में कविता कर दी आपने। एक रस विशेष नहीं ये तो सबरंग है।
ReplyDeleteशायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चाआज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
ReplyDeleteसूचनार्थ