Monday, October 25, 2010

छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍म

मनु नायक
छत्‍तीसगढ़ी की पहली फिल्‍म, अप्रैल 1965 में रिलीज मनु नायक की 'कहि देबे संदेस' थी, इसी दौर में विजय पांडे-निरंजन तिवारी की 'घर द्वार' भी बनी। वैसे सन 1953 में आई फिल्मिस्‍तान की 'नदिया के पार' के आरंभिक दृश्‍यों में मल्‍लाहों के किशोर साहू लिखित संवाद में छत्‍तीसगढ़ी पुट है। इस पृष्‍ठभूमि और इतिहास के साथ छत्‍तीसगढ़ के फिल्‍मोद्योग, जिसे रालीवुड फिर छालीवुड कहा जा रहा है, का सही मायनों में सिलसिलेवार आरंभ, छत्‍तीसगढ़ राज्‍य गठन 1 नवंबर 2000 के हफ्ते भर पहले आई फिल्‍म मोर छइंहा भुंइया' से हुआ। इस दशक की बात करें तो अजीब जान पड़ता है कि छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍मों की सूची के लिए काफी मशक्‍कत करनी पड़ती है और फिर भी फिल्‍म संबंधी तथ्‍य को लेकर भ्रम बना रहता है। मैंने एक पोस्‍ट में छत्तीसगढ़ी फिल्मों और गीतों पर गंभीर, अधिकृत अध्ययन किए जाने की बात लिखी है। छत्‍तीसगढ़ी गीतों पर किसी अनाम ब्‍लॉगर ने 'छत्‍तीसगढ़ी गीत संगी' आरंभ किया, लेकिन छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए लगा कि सुझाव जैसी यह गुहार अनसुनी रही, इसलिए आधा-अधूरा ही सही, शुरू कर देना जरूरी लगा, सो अंग्रेजी अकरादिक्रम में अब तक रिलीज छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍मों की सूची -

01 अब मोर पारी हे, 02 अंगना, 03 ए मोर बांटा, 04 बैर, 05 बंधना, 06 बनिहार, 07 भांवर, 08भुंइया के भगवान, 09 भोला छत्तीसगढ़िया, 10 छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया,
 11 छत्तीसगढ़ महतारी, 12 गजब दिन भइगे, 13 घर द्वार, 14 गुरांवट, 15 जय मां बम्लेश्वरी, 16 जय महामाया, 17 झन भूलौ मां बाप ला, 18 कहि देबे संदेश, 19 कंगला होगीस मालामाल, 20 कारी,
 21 किसान मितान, 22 लेड़गा नं 1, 23 महूं दीवाना तहूं दीवानी, 24 मया, 25 मया देदे मया लेले, 26 मया देदे मयारू, 27 मया होगे रे, 28 मया के बरखा, 29 मयारू भौजी, 30 मोंगरा,
 31 मोर छइंहा भुंइया, 32 मोर धरती मईया, 33 मोर गवंई गांव, 34 मोर संग चलव, 35 मोर संग चल मितवा, 36 मोर सपना के राजा, 37 नैना, 38 परसुराम, 39 परदेशी के मया, 40 प्रीत के जंग,

41 रघुबीर, 42 संगवारी, 43 तीजा के लुगरा, 44 तोर आंचल के छइयां तले, 45 तोर मया के मारे, 46 तोर मया मा जादू हे, 47 तोर संग जीना संगी तोर संग मरना, 48 तुलसी चौरा, 49 टुरा रिक्शावाला, 50 टुरी नं 1.

इसके साथ कुछ ऐसे नाम भी मिले, जिनके लिए बताया गया कि इनमें वीडियो फिल्‍म/ बिना सेंसर सर्टिफिकेट की/ डब की गई हैं, ये नाम हैं -
01 अनाड़ी संगवारी, 02 चंदन बाबू, 03 हर हर महादेव, 04 लेड़गा ममा, 05 लोरिक चंदा, 06 मन के बंधना, 07 मया मा फूल मया मा कांटे, 08 माटी मोर म‍हतारी, 09 पुन्‍नी के चंदा, 10 सीता, 11 संग म जीबो संग म मरबो, 12 मोर सैंया



छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍मों के निर्माता - मनु नायक, विजय पान्‍डे, शिवदयाल जैन, प्रेम चन्‍द्राकर, राकी दासवानी, अलक राय, मोहन सुन्‍दरानी, मधुकर कदम, दुष्‍यंत राणा, मनोज वर्मा, क्षमा‍निधि मिश्रा, संतोष जैन, रूपाली-संदीप तिड़के, संतोष सारथी, निर्देशक - निरंजन तिवारी, सतीश जैन, प्रेम चन्‍द्राकर, क्षमानिधि मिश्रा, मनोज वर्मा, डॉ. पुनीत सोनकर, असीम बागची, मनु नायक। संगीत - मलय चक्रवर्ती, कल्‍याण सेन, सुनील सोनी, दुष्‍यंत हरमुख, भूपेन्‍द्र साहू, गीत - हनुमंत नायडू, हरि ठाकुर, लक्ष्‍मण मस्‍तुरिया, राकेश तिवारी, कुबेर गीतपरिहा, प्रीतम पहाड़ी, कैलाश मांडले, रामेश्‍वर वैष्‍णव, गिरवरदास मानिकपुरी गायन - लता मंगेशकर, मोहम्‍मद रफी,महेन्‍द्र कपूर, साधना सरगम, कुमार शानू, अनूप जलोटा, विनोद राठौर, उदित नारायण, सुदेश भोंसले, कविता कृष्‍णमूर्ति, सुमन कल्‍याणपुर, मीनू पुरषोत्‍तम, मन्‍ना डे, बाबा सहगल, अनुराधा पौडवाल, सोनू निगम, अभिजीत, बाबुल सुप्रियो और सुरेश वाडकर जैसे बालीवुड वालों के साथ स्‍थानीय प्रतिभाओं में ममता चंद्राकर, अलका चंद्राकर, मिथिलेश साहू, सुनील सोनी, अनुज शर्मा, प्रभा भारती आदि की लंबी सूची है।

अभिनय - अनुज शर्मा, प्रकाश अवस्‍थी, करन खान, अनिल शर्मा, प्रदीप शर्मा, लोकेश देवांगन, रा‍जू दीवान, मनोज जोशी, योगेश अग्रवाल, संजय बत्रा, चंद्रशेखर चकोर, शशिमोहन सिंह, अंकित जिंदल/ निशा गौतम, पूनम नकवी, प्रीति डूमरे, विभा साहू, शिखा चिदाम्‍बरे, रीमा सिंह, स्‍वप्निल कर्महे, सीमा सिंह, सिल्‍की गुहा/ मनमोहन ठाकुर, अनिल वर्मा, रजनीश झांझी, पुष्‍पेन्‍द्र सिंह, उपासना वैष्‍णव, सुमित्रा साहू, संजू साहू, रंजना नोनहारे/ शिवकुमार दीपक, कमल नारायण सिन्‍हा, संजय महानंद, शैलेष साहू, निशांत उपाध्‍याय, बसंत दीवान, प्रमोद भट्ट, हेमलाल कौशिक, क्षमानिधि मिश्रा।

ऊपर आए नाम महत्‍व या प्राथमिकता के अनुसार नहीं हैं, न ही सूची, यह मात्र कुछ उदाहरण हैं।

छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍मों का तथ्‍यात्‍मक, पक्‍का लेखा-जोखा बनाने के लिए इस शुरूआत के साथ प्रस्‍ताव है कि निम्‍नानुसार बिंदुओं पर जानकारी-सूची तैयार करने की तुरंत आवश्‍यकता बनने लगी है, प्रस्‍तावित बिंदु हैं - फिल्‍म का नाम, मुहूर्त दिनांक, सेंसर सर्टिफिकेट का वर्ग और दिनांक, रिलीज दिनांक, निर्माता/बैनर, निर्देशक, कहानी-पटकथा-संवाद, संगीत, गीत, गायक-गायिका, अभिनेता इसके साथ तकनीशियनों और फिल्‍म की सफलता आदि अन्‍य पक्ष।

पहले भी निवेदन कर चुका हूं कि यह मेरी प्राथमिक जानकारी का क्षेत्र और विषय नहीं है इसलिए प्रारूप, सूची, जानकारी में संशोधन-सुझाव का स्‍वागत रहेगा। कृपया जानकारी सिर्फ नाम जोड़ने-काटने वाली नहीं, बल्कि उक्‍तानुसार बिंदुओं पर तथ्‍यात्‍मक हों, अगर संभव हो तो फिल्‍मवार जानकारी का सहयोग दें, यानि किसी एक फिल्‍म से संबंधित उक्‍त सभी बिंदुओं पर एक साथ अधिकृत जानकारी।

बिना खास तैयारी के उत्‍साह के चलते शुरू तो कर दिया है, लेकिन कोई यह बीड़ा उठाना चाहे तो उनके लिए हरसंभव सहयोग सहित आभारी रहूंगा। यहां उल्लिखित सभी नामों के प्रति आदर।

32 comments:

  1. bahut badhiya jaankaariyon se bharaa post...aabhaar.

    ReplyDelete
  2. काफ़ी जानकारी एकत्रित कर रखी है आपने
    आपके संग्रह में एक से एक खजाना भरा पड़ा है।

    ReplyDelete
  3. सराहनीय. छत्तीसगढ़ी रंगमंच पर भी ऐसा कुछ प्रयास होना चाहिए.

    ReplyDelete
  4. बहुत ही उम्दा जानकारी ,इस तरह की जानकारी की वाकई काफी जरुरत थी,बेहद सराहनीय प्रयास

    ReplyDelete
  5. 'कही देबे संदेस' का नाम तो सुना है पर देख नहीं पाया. नाम भावुक लगता है, भोजपुरी वाली 'गंगा मैया तोहे पियरी चढैबो' की तरह. अभी की CG फिल्मों में तकनीक और मौज मज़ा अधिक हावी हो गया लगता है. कथ्य को बौद्धिक दृष्टि से समझने में आप का लेख अच्छी सहायता कर रहा है.

    ReplyDelete
  6. राहुल जी आपका यह लेख भी किसी शोध से कम नहीं है। शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर ज्ञान दिया है इस पोस्ट के माध्यम से।

    ReplyDelete
  8. Apki is prayas bahot informative he.Jabse mein Chhattisgarh me sodh karna suru kia tab mein pehele Chhattisgarhi culture ko samjhne kelie kosis kia.Islie mein kosis kia Chhattisgarhi cenima,drama,lokgit adi ko dekhne kelie ebam samghne kelie,Kyunki kisi vi lokgit ebam cinema me usi pradesh ka culture dekhai deta he.Abhi tak mein aath(8)Chhattisgarhi picture dekhachuka hun.Moor Chhaiaya Bhuia is the first revenue earning film of the state and Hareli and Laurik are the telifilm of Chhattisgarh which produced by Delhi Doordarshan. Fortunately I had a chance to see the telefilms like Parbudia,Anjor,Parra Bhawar etc which produced by Doordarshan.Islie Apki sujhab bilkul sehi he ki sabhi picture ka suchi prastut karna chahie ebam is disa me pryasa karna chahie.

    Apki is rochak blog kelie bahot bahot dhanyabad.

    ReplyDelete
  9. आप के पास तो जानकारियो का खजाना हे जी, हमे तो सच मै एक भी फ़िल्म के बारे याद नही रहता, इस अति बेशकिमती जानकारी के लिये
    आप का धन्यवाद

    ReplyDelete
  10. abhilekhikaran ka yah prayaas achha hai. darasal apni bhaashaa ki cinema ko bachaane aur behatar banaane ke liye us par gambhir lekhan honaa chaahiye jiskaa aksar abhaaw paya jata hai.aapne iski purti ki hai ise jari rakhe.
    rangwimarsh.blogspot.com

    ReplyDelete
  11. "सास गारी देवे" पर आए comments पर प्रतिक्रिया देते हुए आप ने कहा था की यह आप की रूचि का क्षेत्र है विशेषज्ञता का नहीं, पर इस लेख में आपने उस विनम्रता को विद्वत्ता और अधिकार पूर्वक सकारात्मक रूप से विखंडित किया है| तथ्यों के बेजोड़ संकलन में आप माहिर रहे ही हैं, प्रस्तुतीकरण भी लाजवाब है| और इससे भी बढ़कर यह बात लगी कि "सास गारी देवे" में जिस जरुरत को आपने हल्के से रेखांकित किया था, उस space को भरने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई आप नें|

    जिन बिंदुओं पर जानकारी-सूची तैयार करने का प्रस्ताव आप ने रखा है उनमे फिल्म की Genre, उसकी कुल लम्बाई (मिनट में), ध्वनी और फिल्मांकन सम्बन्धी कुछ तकनीकी जानकारियाँ, संक्षिप्त कथाक्रम और कुल बजट संबंधी जानकारियाँ भी शामिल किया जा सके तो..........................|

    आशा है आपने इस पोस्ट में जो परिश्रम किया है वह एक दिन एक वृहत डाटाबेस के रूप में विकसित हो सकेगा|

    Last but not least फिल्मों के पोस्टरों का प्रस्तुतिकरण शानदार लगा| हिमांचल के धरमशाला में एक छोटा मगर सुंदर रेस्टोरेंट देखा था जो फिल्मों पर आधारित थीम रेस्टोरेंट था| वहां के हिंदी-अंग्रेजी फिल्मों के पोस्टरों का कलेक्शन याद आ गया| रेस्टोरेंट खोलने का सपना देखा करता हूँ अब भी, पर कभी सच में रेस्टोरेंट खोल सका तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों के पोस्टरों/तस्वीरों के लिए कहाँ संपर्क करना है यह बताने के लिए धन्यवाद सर जी|

    ReplyDelete
  12. आपकी विनम्रता के बावजूद आपकी यह पोस्ट इन्टरनेट पर छत्तीसगढ़ी फिल्मो का डाटाबेस कहलाएगी एक लम्बे समय तक, यह मेरा विशवास ही नहीं बल्कि आत्मविश्वासपूर्वक कथन है, यकीन करें.

    दर-असल भले ही आप अपना क्षेत्र या विशेषज्ञता न कहें लेकिन आपका पोस्ट लिखने से पूर्व किया गया हल्का सा भी शोध ही आपकी पोस्ट की विश्वनीयता को कायम रखता है बाकि जो आपको जानते हैं वे तो जानते ही हैं भाई साहब.
    इस से अलहदा एक बात कहूँ तो किशोर साहू जो कि छत्तीसगढ़ से ही थे लेकिन उन पर एक भी शोधपूर्ण लेख मेरी नज़र से इन्टरनेट पर नहीं गुजरा है जो भी पढने मिला बस हल्का फुल्का , खासतौर से तब से जब से वे मुंबई में सक्रिय हुए, तो क्या मैं आपसे यह निवेदन करूँ कि किशोर साहू जी के राजनंदगांव में हुई प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा से लेकर पूरा विवरण कभी न कभी आपके ब्लॉग पर पढने मिलेगा?

    बाकि आपने एक महत्वपूर्ण बात पर नज़र नहीं डाली, इसलिए जिद कर के लिंक यहाँ दे रहा हूँ जो कि मेरी आदत में नहीं है फिर भी मुआफी के साथ

    http://sanjeettripathi.blogspot.com/2010/10/blog-post_25.html

    ReplyDelete
  13. कहने को बात छोटी से लगे , पर है बडी और बहुत महत्वपूर्ण ! मामला ये कि अनदेखी किये गये इतिहास को सहेजने जैसा ! यहां फिल्में बनना शुरु हुईं और बनती रहीं लेकिन हमने संज्ञान नहीं लिया ! भला इससे बढकर अनुत्तरदायी / उदासीनतापूर्ण रवैय्या और क्या हो सकता था कि हम छत्तीसगढ में रंगकर्म के सेल्यूलाइड में अवतरित होने की महती घटना को लेकर भी निरपेक्ष बने रहे !

    सिंह साहब इतने सजग कैसे रह पाये , ईर्ष्या सी होती है पर गर्व की अनुभूति भी कि वे हमारे मित्र हैं , जिन्होने छत्तीसगढ की फिल्मों और कलाकारों के दस्तावेजीकरण का पहला अध्याय लिख लिया है ! साधुवाद !

    वैसे आदरणीय सुब्रमनियन जी ने उन्हें एक नया असाइन्मेंट सौंप कर अच्छा ही किया !

    ReplyDelete
  14. राहुल भैया अलग अलग इन सब बातों की जानकारी छत्‍तीसगढी फिल्‍मों से जुडे लोगों को रही होगी लेकिन आपने एक साथ संजोकर सबके सामने रखने में तो कमाल कर दिया। एक साथ इतनी सारी जानकारी सचमुच मजा आ गया।

    ReplyDelete
  15. माननीय श्री राहुल जी,
    क्षेत्र विशेष की फिल्मों पर कई स्थानों पर जानकारी मिल जाएगी लेकिन जिस तरीके से आपने इसे संजोया है वह काबिले तारीफ है। मुझे अभी तक नहीं पता था कि छतीसगढ़ का फिल्म संसार इतना अधिक स्मृद्ध है। बधाई। आपसे काफी कुछ सीखने जानने को मिल रहा है।

    ReplyDelete
  16. छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में यह लेख अपने आप में एक मिसाल रहेगा.शायद इतनी जानकारी एक साथ अन्यत्र उपलब्ध नहीं होगी.
    कई नयी जानकारी मिलीं.

    ReplyDelete
  17. आपने बहुत मेहनत की है इस पोस्ट के लिए.. काफी समय भी दिया है.. मुझे नहीं पता था की छत्तीसगढ़ में इतनी फिल्में बनी है .. हमारे राजस्थान में तो ४-५ वर्ष में एक राजस्थानी फिल्म आती है.. जो भी ऐसे कसी सिनेमाघर में प्रदर्शित होती है जो बी ग्रेड फिल्में ही चलाता है.. सबसे बड़े प्रदेश की भाषा की फिल्में ना बनना काफी दुःख पहुंचाता है...

    ReplyDelete
  18. Aadarniya bhaiya,
    bahut hi rochak aur gyanvardhak jankari hai, aapke is samagra sangrah me chhattisgarhi filmo ke sath hi yaha ki samriddh sanskriti ki sahaj pravah ka bodh hota hai....
    dhanyavad...

    ReplyDelete
  19. शानदार जानकारी। आप जानकारियों का खजाना लेकर आये हैं। मुझे क्षेत्रीय फ़िल्में देखना अंग्रेजी फ़िल्म देखने से बहुत बहुत बेहतर लगता है। दूरदर्शन पर जब क्षेत्रीय फ़िल्में आती थीं, यानि जब हम दूरदर्शन देखते थे तो मैं बहुत शौक से देखता था। सब टाईटिल्स रहने से भाषा की समस्या इतनी बड़ी नहीं रहती। क्षेत्रीय सिनेमा को प्रोत्साहन मिलने से हम अपने देश की विविध संस्कृति को जान सकते हैं जोकि बहुत जरूरी है।
    छत्तीसगढ़ी सिनेमा के बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन इस लेख से काफ़ी कुछ सीखने समझने को मिला।
    आभार स्वीकार करें।

    ReplyDelete
  20. अच्छा संग्रह ।

    ReplyDelete
  21. छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर विस्तृत और शोधपरक जानकारी आपके माध्यम से हमें प्राप्त हुई, आपका बहुत बहुत आभार।

    ReplyDelete
  22. छत्तीसगढ़ी फिल्मों के बारे में ज्ञानवर्धक प्रस्तुतिकरण के लिए आभार . फिल्मे तो छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत बन रही हैं , लेकिन इनमे से कितनी फ़िल्में 'कहि देबे सन्देश'और 'घर-द्वार' जैसी यादगार साबित होंगी , क्या कोई बता सकता है ? क्या डॉ. हनुमंत नायडू और हरि ठाकुर जैसे धरती से जुड़े श्रेष्ठ गीतकारों को आज के छालीवुडी निर्माता -निदेशक और संगीतकार अपनी फिल्मों में वैसा आदर और सम्मान दे सकेंगे , जैसा उस जमाने में बनी इन फिल्मों में दिया गया था ? क्या पवन दीवान , नारायणलाल परमार , लक्ष्मण मस्तुरिया ,लाला जगदलपुरी ,मुकुंद कौशल जैसे इस भूमि के सर्वोत्तम कवियों की रचनाओं को किसी छत्तीसगढ़ी फिल्म में कभी कोई जगह मिल पाएगी ? हो सके तो आप अपनी इस प्रस्तुति को छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर एक लेखमाला के रूप में आगे बढ़ाते हुए अगली किश्तों में इस पर भी कुछ प्रकाश ज़रूर डालें . इंतज़ार रहेगा .

    ReplyDelete
  23. वाह ईस्ट्मैनिया जानकारी !

    ReplyDelete
  24. SILSILA BADHANE ME KITNE LOG AAYE
    CAMERA PERSON AUR EDITORS KO BHI SUCHI ME SHAMIL KIYA JA SAKTA HAI.
    TAKNIKI RUP SE VIKAS EK PAHLU BHI HO SAKTA HAI

    ReplyDelete
  25. छत्तीसगड फिल्म में सुधार ज़रूरी हे. वास्तविक छत्तीसगढ़ी कहानी पर फिल्म नहीं बन रही हे.

    Ashok Kumar Sharma

    IGRMS, Bhopal

    ReplyDelete
  26. छत्तीसगड फिल्म में सुधार ज़रूरी हे. वास्तविक छत्तीसगढ़ी कहानी पर फिल्म नहीं बन रही हे.

    Ashok Kumar Sharma

    IGRMS, Bhopal

    ReplyDelete
  27. छत्तीसगढ़ी में देखि हुई पहले फिल्म घर द्वार की स्मृतियाँ आज भी दिगम में है जिसमे अपने नगर अकलतरा के ही निवासी श्री ठाकुर दस आहूजा जो बहुत दिनों तक मेरे पडोसी रहे ने हीरो का रोल किया था उनसे इस फिल्म के बनाने के बारे में कई बार हुई चर्चा ने जानकारियां मिली .जो आज भी दिमाग में है. स्व मोह्हमद रफ़ी की आवाज़ में सुना हुआ छत्तीसगढ़ी गीत गोंदा फुल गे मोरे राजा गोंदा फुल गे मोरे बैरी छाती मा लगे बान गोंदा फुलगे की याद हमेशा ही बनी रहती है .
    बहुत ही रोचक जानकारी भरे आपकी इस पोस्ट के लिया हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  28. बिल्लू भईयाNovember 19, 2010 at 1:09 AM

    निरंजन तिवारी, निर्जन तिवारी हो गया है
    कृपया सुधार लेवें

    ReplyDelete
  29. @बिल्‍लू भईया,
    आपके सुझाव और वेब पर अन्‍यत्र भी आपकी दखल से अनुमान है कि छत्‍तीसगढ़ की फिल्‍मों और लोककला के क्षेत्र में अधिकृत जानकारियों के लिए आपका सतत और महत्‍वपूर्ण योगदान रहेगा.

    ReplyDelete