ग्राम तलवा, बिलासपुर से लगभग 105 कि.मी. दूर बाराद्वार-जैजैपुर मार्ग पर बस्ती बाराद्वार के निकट सक्ती-तहसील, थाना- बाराद्वार के अंतर्गत प.ह.नं.- 16 में स्थित है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम तलवा के तीन कृषि मजदूर क्रमशः हरिहर व हरिसिंह आ. कार्तिक तथा बुधराम आ. भोकलो को कृषि कार्य के दौरान खेत से धातु पिण्डों की प्राप्ति हुई थी जो माह मई 95 के प्रथम सप्ताह में जब्त कर तहसील कार्यालय सक्ती में लाकर जमा किये गये हैं।
उक्त सिक्कों का कथित प्राप्ति स्थल ग्राम-तलवा के दक्षिणी भाग में स्थित पनखत्ती तालाब के निकट है। तालाब के दक्षिण-पूर्वी पार के फूट जाने से इस मार्ग से तालाब की जा निकासी हुई थी जिससे संलग्न खेत में मिट्टी पट गई थी। खेत को पुनः समतल बनाते हुए उक्त सिक्के प्राप्त हुए बताये जाते हैं। सिक्कों का अवलोकन करने पर ज्ञात हुआ कि उक्त सिक्के 5वीं-6वी सदी ईसवी काल से संबंधित है। अवलोकन विवरण निम्नानुसार है :-
0 हरिहर आ. कार्तिक से मिले 56 स्वर्ण सिक्के विभिन्न आकार के सिक्के 1.9 से.मी. से 2.8 से.मी. तक के हैं। सिक्कों के ऊपरी भाग पर गरूड़ अंकित है तथा निचले भाग पर तत्कालिन पेटिकाशीर्ष शैली की ब्राह्मी में शासकों के नाम महेन्द्रादित्य तथा प्रसन्नमात्र अंकित है। सिक्के-उत्पीड़ितांक या ठप्पांकित (Repousse) शैली के है।
0 हरिसिंह आ. कातिक से मिले 24 नग सिक्के जिनका न्यूनतम आकार लगभग 1.8 से.मी. तथा अधिकतम 2.2 से.मी. है। अंकित लिपि एवं चिन्ह पूर्व वर्णित सिक्कों के अनुरूप है।
0 बुधराम आ. भोकलो से मिले एक सिक्का तथा दो सलाई (Sticks) हैं। यह सिक्का भी पूर्व वर्णित सिक्कों के अनुरूप है जिस पर श्री महेन्द्रादित्य उत्कीर्ण है। दो सलाइयां संभवतः स्वर्ण सिक्कों को ही गलाकर बनाई गई होगी जिनका आकार 5.3x.7x.5 से.मी. तथा 2.5x.5x.35 से.मी. है।
इस प्रकार उक्त प्राप्तियों में कुल 81 स्वर्ण सिक्के तथा 2 सलाइयां है जिसका कुल वजन लगभग 125 ग्राम है। जिनमें से सिक्के पुरातत्वीय महत्व के है, किन्तु सलाइयों का कोई पुरातात्विक-ऐतिहासिक कलात्मक महत्व नहीं है। पुरातात्विक महत्व के 81 सिक्कों के अधिक विस्तृत व गहन अध्ययन की आवश्यकता है जो उक्त सिक्कों की रसायनीकरण (साफ-सफाई) के पश्चात संभव हो सकेगी।
ठप्पाकित शैली के अब तक प्राप्त सिक्कों के परिप्रेक्ष्य में तलवा से प्राप्त निधि की स्थित इस प्रकार हैः-
ठप्पांकित प्रकार के सिक्के हमारे देश में सर्वप्रथम 1926-27 में प्रकाश में आये बहरामपुर, जिला-कटक (उड़ीसा) से 47 प्रसन्नमात्र के सिक्के (स्वर्ण) सर्वप्रथम दर्ज ठप्पांकित सिक्के हैं।
अब तक कुल 306 ठप्पांकित सिक्के प्राप्त हुए है। तलवा निधि से प्राप्त सिक्कों को जोड़ने पर यह संख्या अब 387 हो गई है। इस प्रकार के सिक्के मूलतः दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) तथा सीमावर्ती क्षेत्रों से प्राप्त हुए हैं।
रायपुर जिले के खैरताल से 54 सिक्के पितईबंद से 49 सिक्के, ग्राम रीवां से 39 सिक्के सिरपुर उत्खनन से 1? सिक्का तथा महासमुन्द व सिरपुर क्षेत्रों में फुटकर 4 सिक्के प्राप्त हुए हैं। बस्तर जिले के एडेंगा से 32 सिक्के, दुर्ग जिले के कुलिया से 30, रायगढ़ जिले के साल्हेपाली से 1 सिक्का तथा बिलासपुर जिले के मल्हार से 2 (1 स्वर्ण व 1 ताम्र), ताला से 1 (रजत) तथा नन्दौर से 1 सिक्का प्राप्त हुआ है।
उड़ीसा में बहरामपुर से प्राप्त 47 सिक्कों के अतिरिक्त कालाहांडी जिले से बहना से 10 सिक्के मारागुडा से 8 सिक्के तथा मदनपुर रामपुर से 1 सिक्का प्राप्त हुआ है। महाराष्ट्र के भंडारा जिले से 12 सिक्के प्राप्त हुए हैं, बिहार में शाहाबाद जिले से 1 तथा अन्य फुटकर 6 सिक्के (नागपुर संग्रहालय को बिहार शासन से प्राप्त) उत्तरप्रदेश में लखनऊ संग्रहालय में 5 सिक्के तथा पश्चिम बंगाल में कलकत्ता के निजी संग्रहालय में 2 सिक्के हैं।
इस प्रकार तलवा से प्राप्त 81 सिक्कों की निधि संख्या की दृष्टि से अब तक प्राप्त सभी निधियों से अधिक है।
पूर्व में प्राप्त ठप्पांकित सिक्कों पर अंकित शासकों का नामवार वर्गीकरण इस प्रकार हैः- महेन्द्रादित्य 137 सिक्के, क्रमादित्य 4 सिक्के, (संभवतः क्रमशः कुमारगुप्त प्रथम व स्कन्दगुप्त), प्रसन्नमात्र के 24 सिक्के (शरभपुरीय शासक), वराहराज के 29 भवदत्त के 3, अर्धपति के 3, नंदनराज के 1, स्तंभ के 1 (सभी नलवंशी शासक) तथा अन्य 4 सिक्के जो संभवतः कुषाण तथा गुप्त शासकों से संबंधित है।
तलवा निधि में प्राप्त सिक्कों में आरंभिक अनुमान के अनुसार 78 सिक्के महेन्द्रादित्य तथा 3 सिक्के प्रसन्नमात्र के हैं। इस प्रकार महेन्द्रादित्य की कुल सिक्कों की संख्या अब बढ़कर 215 तथा प्रसन्नमात्र की कुल सिक्कों की संख्या 127 हो जावेगी।
पूर्व में प्राप्त निधि संयोगों में महेन्द्रादित्य के सिक्के कुषाण व गुप्त शासकों के साथ प्राप्त हुए हैं तथा क्रमादित्य, प्रसन्नमात्र व अन्य नल शासकों के सिक्के साथ भी प्राप्त हो चुके हैं। ठप्पांकित प्रकार के सिक्के सामान्य तौर पर स्वर्ण धातु के ही हैं किन्तु अपवादस्वरूप प्राप्त चांदी तथा ताम्बे के 1-1 सिक्के बिलासपुर जिले के क्रमशः ताला एवं मल्हार से प्राप्त हुए हैं।
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यह प्रतिवेदन संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व, छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर के शोध जर्नल ‘कोसल-12‘ वर्ष 2021 में Notes & News में पेज 214-216 पर प्रकाशित है। इसके साथ संपादकीय नोट इस प्रकार है-टीप :- उल्लेखनीय है कि तलवा के इस महत्वपूर्ण मुद्रानिधि के संबंध में जानकारी का एकमात्र स्रोत लेखक द्वारा प्रस्तुत यह प्रतिवेदन आलेख ही है। इसमें लेखक ने तलवा मुद्रानिधि पर प्रतिवेदन के साथ ही तत्समय देश के विभिन्न क्षेत्रों से ज्ञात ठप्पांकित सिक्कों पर गंभीर शोधपरक जानकारी भी प्रस्तुत की है, जो पुरातत्त्वीय सर्वेक्षणकर्त्ताओं के कार्य हेतु मार्गदर्शी है। - संपादक
मल्हार से दो स्वर्ण सिक्के महेन्द्रादित्य जी की जानकारी मुझे है , दोनों ही स्वर्गिय पिता श्री गुलाब सिंह जी के पास थे
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद वापस से ब्लॉग पार आना हुआ है, उम्मीद है अब आता रहूँगा ।
ReplyDeleteरोचक जानकारी.
ReplyDeleteHazar hazar badhai Rahul sir,yeh mere liy gaurav mai talva ka Tahsildar Raha hun
ReplyDeleteNice post thank you Suzan
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