ये कैसे अपने कि अब तक रू-ब-रू भी न हुए, लेकिन अब तो बहुतेरे अपने जाने-पहचाने नाम, लिखे-उचारे शब्दों और चित्र के परोक्ष-यथार्थ से ही 'मूर्तमान' होते हैं। ''ब्लागर्स पार्क'' के अंक, ऐसे ही एक परिचित, इस पत्रिका से जुड़े, अश्फ़ाक अहमद जी के माध्यम से देखने को मिले। भोपाल-नोएडा से प्रकाशित पत्रिका का पहला अंक अगस्त 2009 में आया था, जिसमें मुख्य संपादक की टीप है कि इस पत्रिका को मैगज़ीन के बजाय ब्लागज़ीन कहना संगत होगा।
ब्लागर्स पार्क के प्रवेशांक का संपादकीय - ताजे अंक का मुखपृष्ठ |
इस नये शब्द 'ब्लाग-जीन' का 'ब्लाग' भी तो नया शब्द ही है। सन 1997 के अंत तक वेब-लॉग web-log बन गया we-blog फिर we छूटा तो बच रहा blog-'ब्लॉग' या 'ब्लाग'। 'मैगज़ीन' शब्द मूलतः संग्रह या भंडार अर्थ देता है सो किताबों को ज्ञान का भंडार मान कर मैगज़ीन कहा जाने लगा, लेकिन वर्तमान मैगज़ीन, उन्नीसवीं सदी से सीमित हो कर मात्र पत्रिकाओं के लिए रूढ़ है। इस तरह ब्लाग-blog और मैगज़ीन-magzine के मेल से बना, ब्लागज़ीन-blogazine। अब ब्लागर्स पार्क पत्रिका के मुखपृष्ठ पर सबसे ऊपर World's First Blogazine अंकित होता है। सोचना है, ब्लागजीन शब्द पहले अस्तित्व में आया होगा या यह पत्रिका, मुर्गी-अंडा में पहले कौन, जैसा सवाल है।
कुछ और छान-बीन करते ब्लाग-जीन के पहले अंश blog शब्दार्थ के लिए यहां 56 प्रविष्टियां मिलीं, इसमें से पहली पर गौर फरमाएं- ''Short for weblog. A meandering, blatantly uninteresting online diary that gives the author the illusion that people are interested in their stupid, pathetic life. Consists of such riveting entries as "homework sucks" and "I slept until noon today." और यहीं blog से मिल कर बनने वाले कोई 431 शब्द मिले यानि इस पर चर्चा की जाए तो पूरा लेख क्या, शास्त्र तैयार हो सकता है। इनमें एक Bloggerhood भी है, लगा कि ब्लाग संबंधी अन्य शब्दों सहित 'ब्लागबंधु' या 'ब्लागबंधुत्व' जैसा मिठास भरा शब्द हिन्दी ब्लागिंग में कितना कम प्रचलित है।
ब्लागर्स पार्क पत्रिका के ताजे जुलाई 2012 के अंक-28 में कुछ लेखकों के परिचय के साथ 'ब्लागर' उल्लेख भी है और एक लेखक कुणाल मेहता के परिचय में उनके शहर का नाम और 'ब्लागर' मात्र है। नाम के साथ अपनी ब्लागर पहचान अपनाए हिन्दी ब्लागिंग में गिनती के, एक हैं 'ब्लॉ.' उपाधिधारी ललित शर्मा और दूसरी बिना लाग लपेट के ब्लॉग वाली, ''ब्लागर रचना''। ब्लागर्स पार्क में www.scratchmysoul.com पर किए गए पोस्ट में से चयनित सामग्री विषयवार, सुरुचिपूर्ण, स्तरीय और सुंदर चित्रों सहित शामिल की जाती है। अश्फ़ाक जी से चर्चा में मैंने छत्तीसगढ़ से प्रकाशित दैनिक ''भास्कर भूमि'' समाचार पत्र और साप्ताहिक पत्रिका ''इतवारी अखबार'' का उल्लेख किया, जिनमें नियमित रूप से ब्लाग की रचनाएं छापी जाती हैं। छत्तीसगढ़ की तीन उत्कृष्ट वेब पत्रिकाएं ''उदंती डाट काम'', ''रविवार'', ''सृजनगाथा डाट काम'' सहित छत्तीसगढ़ के ब्लाग एग्रिगेटर ''छत्तीसगढ़ ब्लागर्स चौपाल'', ''ब्लॉगोदय'' और गंभीर हिन्दी ब्लागरों पर भी बातें हुईं, इन चर्चाओं का सुखद निष्कर्ष रहा, उन्होंने बताया है कि ब्लागर्स पार्क, छत्तीसगढ़ की ब्लाग गतिविधियों पर खास सामग्री जुटाने, प्रकाशित करने की तैयारी में है।
प्रसंगवश-
अंगरेजी में भी संस्कृत की तरह शब्दों के लिए, वस्तु-व्यक्तियों के नामकरण, शब्द बनाने-गढ़ने-बरतने का शास्त्रीय और कोशीय चरित्र है लेकिन इस दृष्टि से हिन्दी कृपण भाषा साबित होती है। मुझे लगता है हम हिन्दीभाषी शब्द गढ़ने में देर करते हैं, बन गए शब्द को जल्दी अपनाते नहीं, कई बार अपने-पराये का ज्यादा ही मीन-मेख करने लगते हैं या शब्द वापरने के बजाय अविष्कारक होने के महत्वाकांक्षी बन जाते हैं, और शायद इसीलिए शब्द को अपना भी लिया तो मानक का सवाल उलझ जाता है।
दैनंदिन लेखा या नियमित अद्यतन किया जाने वाला लेखा 'ब्लाग', इस शब्दशः अर्थ में मेरी जानकारी में एकमात्र ब्लाग ''BACHCHAN BOL'' की जुलाई 30, 2012 की पोस्ट ''DAY 1564'' शीर्षक हमेशा की तरह तिथि संख्यावार है।
एक नया ही प्रयास होगा, उस प्रवाह को सम्हालने का जो व्यक्त होने को उद्धत है..
ReplyDeleteवाह! ये तो नयी बात पता चली.. कि भारत में ब्लॉगजीन निकल रही है... बधाई इसके प्रबंधकों को...
ReplyDeleteहिन्दी में नए शब्दों को तो छोड़िये कम प्रचलित कठिन शब्दों को भी लोग कम स्वीकारते हैं आजकल..
यह नयी जानकारी है. 'ब्लोगर्स पार्क' के बदले 'ब्लागर्स ब्लागजीन' शायद अधिक उपयुक्त होता. यदि ब्लागजीन शब्द नया है तो पत्रिका की लोकप्रियता के बढ़ते बढ़ते उसे रूढ़ बनने में सहायता मिलती.
ReplyDeleteजल्दी ही अपना लिये जाएंगे ये शब्द यही आशा है ....वैसे बोलने और पढ़ने,समझने में भी तो आसान लग रहे हैं ...
ReplyDeleteइस पत्रिका के प्रवेशांक की संक्षिप्त समीक्षा आप यहाँ पर पढ़ सकते हैं -
ReplyDeletehttp://raviratlami.blogspot.in/2009/11/blog-post_23.html
मेरी तो शुरुआत ही 2010 में हुई, इसलिए यह देख नहीं पाया था, आपने लिंक दे दिया, उपयोगी है, धन्यवाद.
Deleteवाह! नयी जानकारी के लिए शुक्रिया...वैसे भी यहाँ आने पर कुछ न कुछ नया तो मिलता ही है :)
ReplyDeleteउपयोगी, सुन्दर, ज्ञानवर्धक पोस्ट जिसके बारे में इतनी जल्दी कुछ भी कह पाना संभव नहीं लेकिन एक बात तो निर्विवाद है कि जिस परिवार में हम हैं उसकी जानकारी या कहें वंशावली का ज्ञान आवश्यक है .
ReplyDeleteआपने जितने बिन्दुओं का उल्लेख किया है उन्हें स्मरण रखा जायेगा ... आपका अति आभार
बहुत अच्छा विषय लिया आपने, इसी हफ्ते संभवतः किसी अखबार के अवकाश अंक में चार्ल्स डिकेंस द्वारा गढ़े अंग्रेजी के शब्दों के संबंध में जानकारी मिली, मानक के नाम पर हमने कितने भाषाई प्रयोग छोड़ दिए, यह हिंदी के लिए शुभ संकेत नहीं है।
ReplyDeleteसंयोगवश मैंने भी आज ही रवि जी की सबंधित पोस्ट पढ़ी है| काश महीना भर पहले इस पत्रिका की जानकारी मिली होती, पूरा सप्ताह भर भोपाल में शामें और रातें कमरे में बिताईं, वक्त और अच्छा बीतता:)
ReplyDeleteइस तरह के प्रयास सराहनीय हैं.
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteनयी जानकारी मिली .... बहुत बढ़िया
ReplyDeleteमुझे पहली ही बार इसकी जानकारी मिली, आपसे। अच्छा लगा। रविजी की पोस्ट भी पढी। मुझ जैसे 'कमसमझों' की चिन्ता न तो रविजी ने की न ही आपने। दोनों ने इसका अता-पता नहीं दिया (मुझे नजर नहीं आया)। यदि मैं इसकी एक प्रति प्राप्त करना चाहूँ तो किसे और कहॉं सम्पर्क करूँ - बताने का उपकार करें।
ReplyDeleteकम से कम नेट की दुनिया के लिए तो आप और आप का ब्लॉग विश्वकोशीय स्तर बना हुआ है ...हमेशा ही नयी जानकारी से भरपूर ...
ReplyDeletehindi blog jagat me har shabd ko hindi me denae kaa riwaaj haen
ReplyDeleteblog ko bhi yahaan chittha kardiyaa
waese hi yahaan blogger kaa striling bhi bahut din khojaa gayaa
phir yahaan bhai behan pitaa mataa ke sambandho ki hod haen
bloggar shayad hi koi apne ko likhtaa aur kehtaa haen
aap ko mera blog yaad rahaa thanks
एक सुंदर ज्ञानवर्धक लेख !
ReplyDeleteविमर्श को उकेरती हुई अच्छी पोस्ट है "जीन "शब्द का क्षेपक "ब्लॉग "के साथ जीवन खंडों का भ्रम पैदा कर सकता है रूढ़ हो चुका है यह शब्द और एक जीन तो पैरहन भी है "ब्लॉग सत्ता /ब्लॉग सन्देश /बाग़ पोस्ट सीधा और दो टूक लगता है .ब्लॉग नामा भी हो सकता है एक नाम .बहरसूरत आपकी पोस्ट उत्प्रेरक है .
ReplyDeleteएक सार्थक प्रयास
ReplyDeleteसमीर लाल जी ने एक पोस्ट लिखी थी, उस पर डिग्रियों को लेकर विमर्श चल रहा था। मैने कहा था कि ब्लॉगर भी एक डिग्री ही है, इसे ब्लॉगरों द्वारा सहर्ष प्रयोग में लाना चाहिए। दूसरे दिन खुशदीप सहगल ने ब्लॉगर शब्द पर चिंता व्यक्त करते हुए एक पोस्ट लिखी। पर हमने 9 जून 2011 से अपने नाम के साथ उपाधि के रुप में ब्लॉगर का उपयोग शुरु कर दिया। तब से अब तक बदस्तुर जारी है। इसके बाद किसने इस शब्द का अपने नाम के साथ इस्तेमाल किया वह ध्यान नहीं है।
ReplyDeleteसहज बोले और समझे जाने वाले शब्दों को भाषाएं अंगीकार करते रही हैं। अन्य भाषाओं के शब्दों के समानार्थी रुप कभी-कभी हास्यास्पद भी हो जाते हैं। पनियाब और पंजाब में निकट का ही अंतर हैं। जोगिंदर कहते-कहते जलंधर हो जाता है। बढिया पोस्ट के लिए आभार।
हा हा हा
Deleteन ब्ला ना ब्लॉ
हम तो हैं बला
पा-बला
इस ब्लागजीन का स्वागत है !
ReplyDeleteइस बार भोपाल जाने पर ब्लॉगर पार्क जरुर लेकर आऊंगा.. अच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली.हम तो भारत से बाहर हैं जान कर खुश हो लिये पढ़ने को मिलती तो और अच्छा रहता !
ReplyDeleteआच्छी जानकारी मिली है। मुझे भी इस पत्रिका को प्राप्त करने का पता चाहिये ,ागर भेज सकें तो मेल कर दें। धन्यवाद।
ReplyDeleteरवि जी ने अपनी टिप्पणी में अपनी पोस्ट का उपयोगी लिंक दे दिया है और उस पोस्ट में पत्रिका के पीडीएफ प्रति का लिंक
Deletehttp://scratchmysoul.com/BloggersparkMagzine.pdf भी उन्होंने दिया है. मैंने पोस्ट की शुरुआत में ही पत्रिका के नाम पर उसका लिंक दे दिया है.
उत्साहित करने वाली जानकारी। सार्थक पहल पर सुंदर आलेख प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteसार्थक पहल !
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