छत्तीसगढ़, रायपुर-बिलासपुर राजमार्ग क्रमांक - 200
20 किलोमीटर दूर गांव चरौदा-धरसीवां
सड़क पर बांई ओर द्वार दिखाई देता है
इस द्वार से अंदर जाने पर
मंदिर के सामने जल कुंड में गज-ग्राह दिखते हैं
मंदिर के अंदर मंडप में शिलान्यास का फलक लगा है
मुक्तेश्वर शिव मंदिर
कही जाने वाली संरचना के
शिलान्यास फलक पर तो रस्म अदायी खुदी है
लेकिन लोगों के मन में आज भी
श्री बाबू खान का नाम स्थापित है
जिनकी पहल और अगुवाई में
गांव और इलाके भर के श्रमदान से
यह मंदिर बना
धरसीवां से थोड़ी दूर कूंरा उर्फ कुंवरगढ़ गांव है
यहां दो संरचनाएं एक ही चबूतरे पर साथ-साथ हैं
मंदिर-मस्जिद
वापस चरौदा के शिव मंदिर में
मंडप की भीतरी दीवार सचित्र दोहों से सजी है
चित्र के साथ दोहा है-
''राधा जी के हाथ में, ऐसा फूल सफेद।
हंसी हंसी पूछे राधिका, कृष्ण नाम नहीं लेत॥''
दोहे का संदर्भ खोजा जा सकता है
किंतु बात लोक मन की है.
राधा लौकी के फूल का नाम पूछ रही हैं
कृष्ण बूझकर भी प्रचलित छत्तीसगढ़ी नाम
तूमा (राधा को 'तू मां') कैसे उचारें ?
अकथ, ओझल लोक मन के
श्रृंगार, भक्ति, औदार्य-ग्राह्यता का
भाव और रस-सौंदर्य (एस्थेटिक) सहज होता है.
धमतरी के श्री दाउद खान रामायणी को याद करते हुए
लंबी सूची के बिना भी महसूस किया जा सकता है.
टीप - इस आलेख का उपयोग बिना पूर्व अनुमति के किया जा सकता है, किंतु उपयोग की सूचना मिलने पर आपको अपने धन्यवाद का भागी बना सकूं, इस अवसर से वंचित नहीं करेंगे, आशा है.
chitra katha se nayi jankari mili aur photographs ka collection bahut hi achchha laga. Sir Aapke Sabhi Post Gyanvardhak hota hai.
ReplyDeleteभाई साहब,
ReplyDeleteअब आप आ ही गए है मुझे मालूम है कि छत्तीसगढ़ के बारे में लोगों को नई-नई जानकारी मिलेगी.
फिलहाल ताजा जानकारी के लिए आपको धन्यवाद.
मेरा भी एक ब्लाग है बिगुल
सोनीराजकुमार डाट ब्लागस्पाट डाट काम
कभी वक्त निकालकर आएंगे तो अच्छा लगेगा।
इसी तरह जानकारी मिलती रहेगी तो मेरा ज्ञान तो बढ़ेगा ही
आपको फिर से एक बार धन्यवाद.
Enlightening Post!
ReplyDeletebhaiya me kai bar wo rasta se gev fer oti nai jhankev. ab jarur jahu. jankari bahut accha lagis. prakash awasthi (actor)
ReplyDelete- Dr.Rajesh Tandon,Bilaspur
ReplyDeleterahul ji,
national highway 200 se kam se kam 200 bar gujra hun.....kabhi pata hi nahi chala .... ya yun kaha jay dhyan nahi gaya ... ye aap jaise jigyasu, khoji aur samarpit log hi kar sakte hain. babu khan ji ko shat shat naman aur aapko jankari ke liye dhayanyad ...aise hi gyanvardhan karte rahiye....
सार्थक जानकारी। चरौदा के शिव मंदिर तो कई साल पहले जाना हुआ था लेकिन आपके इन तस्वीरों ने मानो जीवंत ही वहां पहुंचा दिया।
ReplyDeleteग्राम कूंरा के एक ही चबूतरे पर मंदिर-मस्जिद होने की जानकारी नहीं थी। फिर से एक बार जाना ही होगा अब तो इस इलाके में।
शुक्रिया भाई साहब इस जानकारी भरी पोस्ट के लिए।
आपके ब्लॉगजगत में आने से यही सबसे बड़ी खुशी है कि छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी के बारे में नित-नई जानकारियां यहां आएंगी।
Dear Singh Saheb,
ReplyDeleteI had heard about the temple-mosque, but little. Thanx for sms and please do inform me in future too. The cooks of the AYODHYA-CAKE can and must learn from the work by Janaab Babu Khan. Thanx once more to you and Babu Khan.
VERY USEFUL CONTENTS
ReplyDeleteTHANKS FOR SHARING
राहुल भईया मैं अपने गृह ग्राम जाते हुए कई बार चरौदा से गुजरा हूं किन्तु मुझे भी यह जानकारी नहीं थी. श्री बाबू खान का नाम तो काफी सुना था किन्तु इनका योगदान इस मंदिर में है यह भी ज्ञात नहीं था. धरसीवां में मेरा एक मित्र था उससे हिन्दु मुस्लिम प्रेम एवं सद्भाव के किस्से सुनता रहता था. आज इस जानकारी को पढ़ कर खुशी हुई.
ReplyDeleteजब तक आप जैसे घुमंतु प्रवृत्ति के लोग इस प्रदेश में हैं, इसकी संस्कृति में इस तरह की नई-नई खोज और जानकारियां देशभर के लोगों को मिलती रहेंगी और प्रदेश के बारे में वे और ज़्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहेंगे। ज़ाहिर है यह प्रदेश के विकास में आपका महत्वपूर्ण योगदान है। हमारी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ हैं।
ReplyDeleteरवीन्द्र गोयल
राहुल जी आपकी यह प्रस्तुति कम्पलीट ग्रासरूट न्यूज़ अपडेट पर अटैच की गई है। जिसके लिए आप http://www.cgnewsupdate.com पर log on कर सकते हैं।
ReplyDeleteOn an Avrage 6 time in month i use to cross said route,& hv seen the wecome gate, but never gone inside, rahul bhaiya have not written "ganga se volga" but for sure he can be called "Rahul Sanskritayan of chhatisgarh" if travel and discovey is concern. CONGRATE to him since
ReplyDeletethis is touching to me kind of testless person
VERY AKALTARA BAKHRI STERIOTYPE cult presentation -DEVRAJ- EVERONN SYSTEM INDIA
story karane ka man ban pada hai.
ReplyDeletesms ke liye dhanyavad agali bar sadak se raipur jane par avashaya dekhunga.Awasthiji ka chhattisgarhi me comment achcha laga- Prathmesh
ReplyDeletedekh liya rahul bhai. badhai. pata hi nahi chalaa ki aap bhi yahaan sakriy hai. achchaa hua, sms aane se pataa chalaa. ab apun ka blog bhi dekh hi lo. ''girish pankaj'' nam se hai. iska url hai. http://sadbhawanadarpan.blogspot.com
ReplyDeleteCHROUDA K SHIV MANDIR TO BHHUT PAHLE SE HAI LEKIN ISE BANANE KA PAHAL EK MUSLIM K DWARA KIYA GAYA YAH JANKARI DEKAR APNE SAMAJIK SADBHAWNA KO BADANE KA PRAYAS KIYA SHAYAD APKO JANKARI HO KI MOHHAMD AKABAR VIDHAYAK K DWARA KRISHI UPAJ MANDI K SAMNE RAM MANDIR KA NIRMAN KRAYA HAI JO DARSNIY HAI AWLOKAN KARNA CHAHENGE
ReplyDeleteYUGAL TIWARI
ANUWADK
SANSKRITI VIBHAG RAIPUR
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ReplyDeleterahul bhaiya, aapki kalam chalegi to aisi hi jaankariyaan saamane aayegi. aapki jaankariyon se rajya ki sanskriti samriddh hogi.
ReplyDeletedhanvendra jaiswal
श्रद्धांजलि....
ReplyDeleteमंगलौर में हुए विमान हादसे ने देश ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है..वाकई जिन लोगों की जाने गयी हैं, उनके परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है..इस दुख की घडी में प्रभु उन्हें शक्ति प्रदान करे...ब्लॉग जगत कि तरफ से ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि मृतात्माओं को शांति मिले....हार्दिक श्रद्धांजलि....
छत्तीसगढ के माटी पुत्र को नमन.इस वय में भी लिखने का जज्बा काबिले तारीफ है.
ReplyDeleteWah Wah Rahul,Essa bahut kuchh hai jo ojhal hai lekin ab jise hajir karna bahut aawashyak hota jaa raha hai,Hindustaan jise kahte hain us tapestry mein bahut se rang, log, parmparayen aur mithak guthey hue hain lekin unke rang lagatar dhundhale hoker apni pahchan khote jaa rahe hain isliye jo tumne dekha hai use likhne ka,sabko batane ka shayad yah sabse sahi samay hai,hamari ichchha hai ki esse dher se prasaqng tumhari lekhni se samane aayen aur ye silsila ab ruke nahin,ab yah tumhari jimmedari banati hai ..
ReplyDeleteRaage aur Ranju ,Raipur Se ..
सुन्दर जानकारी. हमें भी खान बंधु के बारे में जानकारी नहीं थी.
ReplyDeleteDear RAhul
ReplyDeleteIt is awhery informative post. The land of Chhattisgarh is not only rich in the aspacts related to Intangible Cultural Heritage It also has innumerably structures of tangible Cultural Heritage too.This post is an important example of cultural syncritism also. My best wish .keep up your endeavour of unfolding beautiful pages from the reportoire of the young but most promising state *CHHATTISGARH*
श्री विवेक पारख रायपुर तथा श्री बसंत साहू बिलासपुर ने इस ब्लाग की जानकारी अपने अन्य परिचितों को भी अग्रेषित की है, उनके प्रति तथा अन्य पाठक जिन्होंने फोन पर तथा ईमेल व एसएमएस द्वारा प्रतिक्रिया भेजी है सभी का आभार.
ReplyDeleteRahul sir
ReplyDeletei saw ur blog about Shiv mandir of Chrauda today it is fabulous.Now i wil visit daily on ur blogspot.thanks for giving us so knowledgeful information.
Manoj Kumar
Ambikapur
बाबूखान के प्रति मन में बहुत श्रद्धा उमड़ती है।
ReplyDeleteऔर उनके बारे में जानने पर वर्तमान दशा को नये कोण से देखने का नजरिया भी मिलता है। धन्यवाद।
गजग्राह से सोनपुर की याद आती है और राधा-कृष्ण से कुछ बातों की। कह डालता हूँ। राधा कृष्ण की मामी लगती थी, ऐसा सुना है और पढ़ा भी। राधा-कृष्ण मध्यकालीन भारत के बाद जाने जाते हैं। प्राचीन भारत में राधा का नाम शायद नहीं जाना जाता था। जयदेव के गीतगोविंद के बाद ही राधा का नाम सामने आया वरना राधा कोई महत्वपूर्ण पात्र नहीं है। पुराणों में भी शायद राधा का नाम नहीं है लेकिन यह मनुष्य की या कहें भारत के लोगों की छद्म व्यवस्था है जिसमें राधा को इतना महत्व दिया गया। यानि राधा मीडिया प्रचारित है न कि सत्य लेकिन भारत में तो कृष्ण का अर्थ ही है राधा।
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