कुछ वर्ष पहले ‘छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठ‘ पुस्तिका छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा, आलेख डॉ. मन्नूलाल यदु, प्रकाशित की गई थी। अपनी सीमाओं के बावजूद पुस्तिका में आई जानकारी महत्वपूर्ण है, समय-समय पर तलाशी जाती है। पुस्तिका की मुख्य जानकारियां यहां सुलभ कराने के लिए प्रस्तुत है।
पुस्तिका के आरंभिक परिचय में सूची इस प्रकार है-
छत्तीसगढ़ की देवी शक्तियाँ- महामाया, महामाई, मनकादाई, बमलेश्वरी, सम्लेश्वरी, दन्तेश्वरी, बूढ़ीमाता, घूमामाता, मावलीमाता, तुलजा भवानी, खल्लारी माता, बंजारी माता, बगदेई माता, सरई श्रृंगारिणी, चंडी दाई, डिंडेश्वरी, सरंगढ़िन, सरगुजहिनदाई, मरही माता, चन्द्रसेनी, नाथन दाई, अम्बिकादाई, कुंवर अछरिया दाई, अष्टभुजी माता (अड़भार), कोसगईदाई, मंड़वारानी, सर्वमंगला, पतईदाई, लखनी देवी, शभरीनदाई, करमामाता, राजिम तेलीन दाई, कालीमाता, जरहीमाता, माताचैरा, गरवाईन दाई, बैंजिन डोकरी, सती चैरा, सतबहिनिया दाई, बिलाईमाता, कंकाली माता, गंगाजमुना देवी (झलमला), संतोषी माता, गायत्री माता, बीसो भवानी देवीदाई (लिमतरा), शंखनी, डंकनी, तुरतुरिया दाई, शारदा माता (परसदा), पद्मसेनी (पद्गपुर), कोसलाई (सरसीवां), घाठादुवारिन समलाई, सतिमाई (रायगढ़), लालादाई (कुटरा-जांजगीर), मनकेशरी देवी (तरौद अकलतरा)। छत्तीसगढ़ में शक्तिपीठ के रूप में माँ बम्लेश्वरी, शीतला, महामाया, दंतेश्वरी, सम्लेश्वरी, खल्लारी माता, बिलाईमाता, चंद्रहासिनी, गंगामैय्या, सीयादेवी, बजारी माता व कंकाली रुप मान्यता है। इन प्राचीन शक्तिपीठों में माँ बम्लेश्वरी प्रमुख है।
साथ ही//मां बम्लेश्वरी देवी, डोंगरगढ़//मां दंतेश्वरी देवी, दंतेवाड़ा (बस्तर)//मां महामाया देवी, रतनपुर//मां महामाया देवी, रायपुर//छत्तीसगढ़ के अन्य शक्तिपीठ एवं प्रमुख देवियों का उल्लेख है। मां बम्लेश्वरी देवी, डोंगरगढ़ के साथ मां रणचंडी देवी (टोनही बमलाई) और इस क्षेत्र के दंतेश्वरी मंदिर का उल्लेख है। मां दंतेश्वरी देवी, दंतेवाड़ा के साथ फागुन मड़ई की जानकारी है। मां महामाया देवी, रतनपुर के साथ धार्मिक, ऐतिहासिक जानकारियां हैं। इसी प्रकार मां महामाया देवी, रायपुर के साथ बंजारी धाम, कंकाली माता मंदिर और शीतला माता मंदिर की जानकारी है।
छत्तीसगढ़ के अन्य शक्तिपीठ एवं प्रमुख देवियां शीर्षक अंतर्गत जानकारी संक्षेप में इस प्रकार है-
महासमुंद से 10 किलोमीटर उत्तर में आदि शक्ति मां चंडी सिद्ध शक्ति पीठ, बिरकोना में है। चन्दरपुर की चंद्रहासिनी देवी महानदी और मांद (पुस्तिका में केलो) नदी के संगम पर स्थित है। सरगुजा, रमकोला के पास पिंगला नदी के पास झरिया देवी हैं। अंबिकापुर में महामाया मंदिर है। बागबहरा के पास खल्लारी (प्राचीन खल्वाटिका) ग्राम में खल्लारी माता का मंदिर है, यहीं लखेश्वरी गुड़ी भी है।
सरगुजा में पहाड़ी पर मां बागेश्वरी, कुदरगढ़ी देवी है। जशपुर, बगीचा में कोरवा जनजाति में विशेष मान्य खुड़िया रानी है। धर्मजयगढ़ में मांद नदी के किनारे अम्बे टिकरा मंदिर है। चांपा और कोरबा के बीच पहाड़ी पर मड़वा रानी हैं। चांपा में समलेश्वरी देवी का मंदिर है। चांपा-बम्हनीडीह के पास ग्राम लखुर्री में भूरी ठकुराइन देवी का मंदिर है। जांजगीर-चांपा जिले से दक्षिण में 52 किलोमीटर दूर महानदी के तट पर देवरी मठ गांव में मां शीतला देवी का मंदिर है। बलौदा-कोरबा मार्ग पर डोंगरी गांव में सरई सिंगार देवी की मान्यता है। सक्ती से 15 किलोमीटर दूर दमउदहरा महामाई मंदिर है। सक्ती से 11 किलोमीटर दूर अड़भार में अष्टभुजी देवी का प्राचीन मंदिर है। चांपा से 5 मील दूर मदनपुर में मनकादाई मंदिर है। चांपा से 5 किलोमीटर दूर खोखरा में मनकादाई एवं मां शारदा देवी मंदिर है। चांपा से 5 किलोमीटर दूर पिसौद में अन्न धन्वंतरी मां का मंदिर है।
दुर्ग से 35 किलोमीटर दूर धमधा में त्रिमूर्ति महामाया देवी मंदिर है। बालोद के पास ग्राम झलमला में गंगा मैया मंदिर है। सिंगारपुर-भाटापारा में मौलीमाता मंदिर है। धमतरी में विंध्यवासिनी देवी, बिलईमाता का मंदिर है। कांकेर में कंकालिन देवी का मंदिर है। रायपुर से 55 किलोमीटर दूर कुरुद में मां काली छत्तीसगढ़ महतारी का मंदिर है। रायपुर से 175 किलोमीटर दूर राजमार्ग पर उड़ीसा सीमा के पास सिंघोड़ा में मां रूद्रेश्वरी देवी का मंदिर है। पुस्तिका के अंत में बिलासपुर जिले के प्रसिद्ध पुरास्थल ताला का उल्लेख तारादेवी शक्तिपीठ के रूप में है।
टीप - छत्तीसगढ़ की देवियों में समलई, बमलई के अलावा खमदेई, बगदेई जैसे कई नाम मिलते हैं। पुस्तिका में चंदखुरी का कौशिल्या माता मंदिर, कोमाखान-सुअरमार की पाटमेश्वरी या पटनेश्वरी, गरियाबंद जिले की जतमई और घटारानी देवी, सरायपाली की घंटेश्वरी और रूदेश्वरी, अंजनी-कांकेर की ढुटमुहिन, गंडई की भांवर देवी, कोरबा की सर्वमंगला देवी, देवभोग की लंकेश्वंरी देवी, केसकाल की भंगाराम देवी, सुकमा की रामाराम चिटमटिन दाई, कोरिया जनकपुर की चांग देवी जैसे अन्य कई स्थलों का उल्लेख नहीं हो पाया है, किन्तु पुस्तिका में आई जानकारी आधारभूत सूचना की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
‘कल्याण‘ शक्ति-अंक, भाग-9, अंक 1-2 में पृष्ठ 637 से 643 तक ‘भारतवर्षके प्रधान शक्ति-पीठ‘ शीर्षक लेख, लेखक-श्रीभगवतीप्रसादसिंहजी, एम. ए. ने 47 स्थलों का विवरण निम्नानुसार भूमिका के साथ दिया है-
"भारतीय शक्तिपीठों अथवा प्रधान देवी-मन्दिरोंकी उत्पत्तिके विषयमें पौराणिक तथा तान्त्रिक विचार विस्तारपूर्वक अपने ‘श्रीज्वालामुखीयात्रा‘ शीर्षक लेखके उपोद्घातमें मैं ‘कल्याण‘ की कार्तिक संवत् १९९० की संख्या में दे चुका हूँ। अतः दुबारा उन्हें लिखनेकी आवश्यकता नहीं समझता। केवल इतना ही और कहना है कि ‘तन्त्रचूडामणि‘ में पीठोंकी संख्या बावन दी है, ‘शिवचरित्र‘ में इक्यावन और ‘देवीभागवत‘ में एक सौ आठ। ‘कालिकापुराण‘ में छब्बीस उपपीठोंका वर्णन है। पर साधारणतया पीठोंकी संख्या इक्यावन मानी जाती है। इनमेंसे अनेक पीठ तो इस समय अज्ञात हैं। जिनका पता चलता है, तथा जो अन्य प्रसिद्ध देवीतीर्थ वर्तमान कालमें पूजे जाते हैं उन्हें लेकर मैंने इस लेखके साथ दिये हुए मानचित्रको बनाया है। मानचित्रमें दिये स्थानोंके विषय में अकारादिक्रमसे निम्नलिखित सूक्ष्म विवरण दिया जाता है।"
"छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठ" पुस्तिका के विषय में और छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों के विषय में जानकारी देने के लिये आपका आभार। यदि यह पुस्तिका आज भी उपलब्ध है तो यह कहाँ से खरीदी जी सकती है, यह भी बताने का कष्ट कीजियेगा। किन्तु यदि यह उपलब्ध नहीं है तो इसका पुनप्र्रकाशन राज्य के संस्कृति विभाग अथवा पर्यटन मंडल द्वारा किया जा कर विक्रय हेतु बुक स्टालों में उपलब्ध कराया जाना उपयुक्त होगा। यह एक सुझाव है। इसी तरह "देवलोक बड़े डोंगर" (लेखक : जयराम पात्र एवं घनश्याम सिंह नाग, मोबाईल : 7987008036) और "देवी माँ तेलीन सत्ती" (लेखक : घनश्याम सिंह नाग, मोबाईल : 7987008036) पुस्तिकाओं का भी संस्कृति विभाग अथवा पर्यटन मंडल द्वारा पुनप्र्रकाशन किया जा कर बुक स्टालों के साथ-साथ सम्बन्धित स्थलों (बड़े डोंगर, तेलिन घाटी, केसकाल स्थित तेलिन सती मन्दिर) में विक्रय हेतु उपलब्ध कराया जाना उपयुक्त होगा। ये दोनों ही पुस्तकें बहुत उपयोगी बन पड़ी हैं। "देवलोक बड़ेडोंगर" पुस्तिका का प्रकाशन कांकेर के भाई श्री सुशील शर्माजी ने किया था और "देवी माँ तेलिन सत्ती" पुस्तिका का प्रकाशन माँ भंगाराम देवी समिति, केसकाल द्वारा। वर्तमान में इनकी प्रतियाँ उपलब्ध नहीं हैं।
ReplyDeleteआपका पुन: आभार पुस्तिका के विषय में जानकारी देने के लिये।
Jai Mata Di
ReplyDelete