अगस्त 1947 में भारत को दोहरी आजादी मिली। चाही थी एक, मिल गई दो (अब बांगला देश सहित तीसरी भी)। मानों एक के साथ एक जबरन फ्री। एक हिस्सा पाकिस्तान बन कर 14 तारीख को पहले आजाद हुआ और दूसरा भारत उसके बाद 15 तारीख को। जिन्ना पाकिस्तान डोमिनियन के पहले गवर्नर जनरल बन गए, नेहरू ने स्वतंत्र भारत के पहले प्रध्यनमंत्री पद की शपथ ली, गांधी ने अपना वह दिन उपवास और प्रार्थना र्में बिताया। 1946 से शुरू हुए दंगे, काश इतिहास में दफन रह जाते। आजादी के टुकड़ों में बंट जाने की त्रासदी के घावों पर भाईचारे के मरहम की चर्चाएं कम हों, लेकिन मिल जरूर जाती हैं।
सत्तर बसंत पार कर चुके बिलासपुर के हरदिल अजीज जनाब हिदायत अली 'कमलाकर' आजादी-बंटवारे के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि पिता जनाब वासित अली खां, पिछोर, ग्वालियर में नायब तहसीलदार थे, दिन में 200 पान खाते थे, फिर भी 91 साल की उम्र तक दांत सलामत रहे। बड़े भाई इनायत अली खां 'डालडा' व्यंग्य-तंज लिखते थे, नियमित गणेश पूजा करते और गणेशोत्सव के दस दिन पूरे समय इसी में मशगूल होते। वैवाहिक संबंध अब हिन्दू परिवारों से भी हैं। कहते हैं- परिवार में हम चार भाई, दो बहन, माता, पिता और बिस्सी महराज थे। बिस्सी महराज पिताजी के सहयोगी थे, दंगों और अशांति के दौरान मौके आए, लेकिन दोनों एक दूसरे के लिए जान पर खेलने को तैयार रहते।
शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, बिलासपुर के क्रीड़ा अधिकारी रहे कमलाकर जी को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2008 में खेल विभूति सम्मान दिया गया है। साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ बिलासपुर में बातें अक्सर कमलाकर जी के इर्द-गिर्द होती हैं। बंटवारे की पृष्ठभूमि पर उनका लिखा 'आज़ादी का पहिला दिन' नाटक प्रकाशित है। इसके साथ बाल साहित्य, नाटक, कविताओं की 15 पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा 'अर्जुन का मोहमर्दन', 'कैकेयी का संताप', 'पाली का मंदिर' जैसी रचनाएं शीघ्र प्रकाश्य हैं। आपको 1998 में 'वीणा' खंडकाव्य पर मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का पं. हरिहर निवास द्विवेदी पुरस्कार भी मिल चुका है।
कमलाकर जी की एक चर्चित कृति 'समर्थ राम' हैं। पुस्तक में अंकित रामनवमी 06 अप्रैल 2006 तिथि के साथ 'अपनी बात' में आप लिखते हैं कि-
'समर्थ राम' लिख कर मेरे जीवन का एक महती लक्ष्य पूर्ण हुआ है। विगत अनेक वर्षों से ''मर्यादा पुरुषोत्तम राम'' पर कुछ लिखने की ललक थी। परन्तु जिस राम पर अनगिनत लेखनियों की स्याही चलते-चलते सूख गई हो और राम के जीवन का विषय क्षेत्र न बचा हो जिस पर लेखनी चल सकें तब मेरे जैसा अकिंचन राम पर लिखने का साहस कहां से बटोर पाता?
आगे वंदना की पंक्तियां हैं-राम महासागर से उपजी 'समर्थ राम' मम हृदय।
'कमलाकर' गा रहे कृपा से मां सरस्वती सदय॥
इस साल आजादी की सालगिरह के सप्ताह में आई ईद पर बिस्सी महराजों के साथ हिदायत अलियों, कमलाकरों, दोनों आजाद मुल्कों के लिए मुबारकबाद इसी मंच पर।
कमलाकर जी और उनका राम-प्रेम वंदनीय हैं।
ReplyDeleteआज भी ऐसे लोग हैं जिन पर हमें नाज़ होता है जिनकी जीवन शैली हमारा मार्गदर्शन करती है और बड़े ही गौरव के साथ उनके रस्मों रिवाज में हम शामिल हो जाते हैं तब कहाँ हिन्दू मुसलमान सिक्ख ईसाई . आपके समृद्ध खजाने का एक मनका ज़नाब हिदायत अली 'कमलाकर' जी को आप सहित प्रणाम ..
ReplyDeleteजनाब हिदायत अली कमलाकर जी को कैंटन मिशिगन के शतश : प्रणाम ,आज़ादी के ज़ज्बे और कौमी भावना को कमलाकर ही ज़िंदा रखे हुए हैं . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
कमलाकर जी की एक चर्चित कृति 'समर्थ राम' हैं-सचमुच समर्थ!
ReplyDeleteदोहरी आजादी के बावजूद एक भारतीय बनकर जीवन बिताने वालों ने ही इस राष्ट्र को गंगा-जमुनी संस्कृति का वरदान दिया है।
ReplyDeleteएक संस्कृति के सुपुत्र हैं हम सब..
ReplyDeleteइस साल आजादी की सालगिरह के सप्ताह में आई ईद पर बिस्सी महराजों के साथ हिदायत अलियों, कमलाकरों, दोनों आजाद मुल्कों के लिए मुबारकबाद इसी मंच पर - दिली मुबारकबाद|
ReplyDeleteकिन्हें नाज न होगा ऐसी शख्सियत पर? आज के समय में ऐसे व्यक्तित्व और भी प्रासंगिक हैं| हमारा प्रणाम पहुंचे |
आजादी ? Jawaharlal nehru commented - with no joy in my heart we accepted the vivisection of our mother land.
ReplyDeleteपुराने लोगो की बात और थी... अब तो नफरत भरी पडी है हर ओर... अब भी ऐसे लोग हैं पर बेचारे बहकावे में आसानी से आ जाते हैं....
ReplyDeleteसरहदें आम आदमी नहीं चाहता पर बनाई उसी के लिए जाती हैं
ReplyDeleteखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का
ReplyDeleteसांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी
स्वर शुद्ध लगते
हैं, पंचम इसमें वर्जित
है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है,
जिससे इसमें राग बागेश्री भी
झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
Feel free to surf my site ... खरगोश
बेहतरीन व्यक्तित्व पर बेहतरीन लेख......
ReplyDeleteकल दिल्ली पर एक डिबेट देखने मिली नेशनल चैनल में, एक बुजुर्गवार ने कहा कि मैं ९० साल के एक बुजुर्ग के साथ पुरानी दिल्ली में बैठता था जब छोटा था अब मैं ७० साल का हूँ। मैंने दिल्ली १६० साल की देखी है। छत्तीसगढ़ के इतिहास को आप समेटने में लगे हैं और इस तरह से क्लासिक चीजें सामने आ रही हैं सराहनीय प्रयास
ReplyDeleteसराहनीय!
ReplyDeleteचाही थी एक, मिल गई दो।
ReplyDeleteवाह! गहरा कटाक्ष!
200 पान! खाने के अलावे कुछ नहीं करते होंगे नवाब साहब।
Ek zabardast rachana!
ReplyDeleteसिंह साहब !
ReplyDeleteनमस्ते जी !
अन्य सम्प्रदाय वैदिक संस्कृति से हमे दूर ले जाते हैं; कभी कहीं कोई मौलाना या पादरी तकरीर कर रहे हों तो आप जरा दिमाग खुले रख कर सुनेंगे तो समझ जायेंगे कि असली मुद्दा तो जन्नत में ठिकाने बनाने का है | कुरान और सत्यार्थ -प्रकाश पढिये तब आप जान पाएंगे कि वैदिक संस्कृति और इस्लाम में क्या अंतर है ?
सबके लिए अनुकरणीय !
ReplyDeleteएक महत्वपूर्ण दिवस पर उल्लेखनीय हस्तियों को याद किया है आपने...
ReplyDeleteकमलाकर जी के बारे में जानकारी देने का आभार ।
ReplyDeleteऐसे ही अच्छे लोगों के कारण देश अब भी ठीक ठाक चल रहा है ।
सुन्दर प्रस्तुति | काश आज यह प्रस्तुत होता ? सब एक दुसरे को प्यार करते और उस आजादी को पवित्र बना के रखते ?
ReplyDeleteयह लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा. कमलाकर जी को सलाम.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
I don't know why we feel proud when some people does such as. I also feel same as hiding question in the deepen heart,,,,why????
ReplyDeleteचकबस्त की उर्दू रामायण और कमलाकर की समर्थ राम!!
ReplyDeleteशीर्षक दोहरी आजादी के स्थान पर कमलाकर जी का जीवन वृत होता to अधिक अच्छा होता|
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति. अनुकरणीय.
ReplyDeleteकाश ऐसे ही सारे मुस्लिम होते
ReplyDeleteलगभग सहमत कि इन्कलाब आया पर पहली वाली आजादी से से एक और आजादी की कोंपल निकली . यह आजादी सीजेरियन किस्म की थी .संभला नहीं गया होता तो हमारा पश्चिम बंगाल उसमे जुट जाता और आमार सोनार बांगला बन जाता .शायद सुभाष बोस इस बंगला देश के राष्ट्रपिता होते और रविन्द्र नाथ राष्ट्र कवि ...आजादी की कहानी ---एक दो तीन
ReplyDeleteअच्छा लगा जनाब हिदायत अली 'कमलाकर' जी से पोस्ट में मिलना। धन्यवाद।
ReplyDeleteकमलाकर जी को हमारा भी सलाम पहुंचे. शायद कभी मुलाकात हो सके.
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