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Saturday, September 10, 2022

'घर-द्वार' समाचार

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के इतिहास में 'घर-द्वार' महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसके बारे में ढेरों जानकारियां असानी से विस्तारपूर्वक मिल जाती हैं। यहां देखने का प्रयास है कि इस फिल्म निर्माण संबंधी माहौल, उस दौर के समाचारों को पढ़कर कैसा महसूस होता है। राष्ट्रबंधु समाचार पत्र को यहां आधार बनाया गया है, जिसके सम्पादक हरि ठाकुर ने इस फिल्म के लिए गीत लिखे थे। 


28-1-71 अंक के सचित्र समाचार का चित्र और टेक्स्ट यहां प्रस्तुत- 

फिल्म-संसार में नयी सम्भावनाओं के साथ प्रस्तुत 
जे.के. फिल्म्स का
घर-द्वार 
छत्तीसगढ़ी में 
एक अभूतपूर्व फिल्म 


छत्तीसगढ़ी में फिल्म व्यवसाय और स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा को उजागर करने की नई संभावनाओं के साथ छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘घर द्वार‘ का निर्माण कार्य जे.के. फिल्म्स के युवा निर्माता श्री जयकुमार पांडे ने पूरा कर लिया है। इस फिल्म के माध्यम से समर्थ तथा अनुभवी निर्देशक श्री निर्जन तिवारी ने छत्तीसगढ़ की आंचलिक समस्याओं और विशेषताओं को सार्वभौमिक स्तर पर अभिव्यक्ति देने का अद्भुत प्रयास किया है। 

कथा - बिंदु 

छत्तीसगढ़ की धान बहुल शस्य श्यामला धरती के महमहाते ग्रामीण वातावरण में मालगुजारी परंपरा के प्रतीक के रूप में दीनानाथ (भगवतीचरण दीक्षित) का चरित्र अपने समस्त पुरातन संस्कारों और विश्वासों के साथ प्रकट होता है। उनके दो पुत्र हैं- महेश (कान मोहन) और रमेश (शिशिर)। इन तीनों को लेकर आधुनिकता और पुरातन का संघर्ष चित्रित करते हुए कथा का बुनाव चालू होता है। परंपरागत भारतीय परिवार के टूटने बिखरने के मार्मिक प्रसंगों के साथ कथा आगे बढ़ती है और मामा जगत नारायण (शिवकुमार) एक सुखी परिवार की शांति के लिए अभिशाप बनकर पदार्पण करता है। मामा गांव के सेठ (बसंत दीवान) के साथ मिलकर दोनों भाइयों में फूट डालने, उनके परिवार को तबाह करने, गांव में दंगा कराने के षड्यंत्र में सफल होता है। खलनायक मामा ने षड्यंत्र को अपनी हास्यपूर्ण भूमिका के साथ बड़ी विचित्रता के साथ प्रस्तुत किया है। अंत में बड़े भाई को गांव छोड़कर शहर की शरण लेनी पड़ती है। 

फिल्म में हरिठाकुर के मादक गीतों को जमाल सेन ने संगीतबद्ध कर छत्तीसगढ़ी लोक धुनों के माधुर्य में वृद्धि की है। अनिल साहा ने बड़ी सूझबूझ के साथ फोटोग्राफी की है। फिल्म की नायिका नवोदित कलाकार रंजित ठाकुर हैं। अन्य कलाकार हैं दुलारी, गीता कौशल, कालेले, जोगलेकर, बल्लू रिजवी, मीनाकुमारी (जूनियर) नशीने, जे.पी. पांडे, जयकुमार आदि। 

इसके अतिरिक्त ऊपर आए दिनांक 3.12.70 अंक के समाचार ‘निर्देशक श्री निर्जन तिवारी से भेंट-वार्ता‘ में बताया गया है कि फिलहाल फिल्म के केवल 4 प्रिंट तैयार होंगे। ... ... ... श्री तिवारी ने बताया कि उन्हें स्थानीय कलाकारों से जिन्होंने कैमरे का कभी मुंह नहीं देखा था, न केवल सराहनीय सहयोग मिला बल्कि उनके निष्ठा पूर्ण कार्यों से उन्हें भरपूर संतोष भी हुआ। उन्होंने कहा कि कुछ कलाकारों का अभिनय तो इतना मर्मस्पर्शी, नयापन और खुलापन लिए हुए है कि वे अनुभवी, व्यवसायी कलाकारों को भी पछाड़ सकते हैं। निश्चय ही यह फिल्म छत्तीसगढ़ के नये कलाकारों को नई प्रेरणा प्रदान करेगी। ... ... ... दिनांक 29 नवंबर को होटल नटराज में एक प्रेस वार्ता में श्री तिवारी ने बताया कि फिल्म की लागत लगभग दो लाख रुपये है और इसकी लंबाई 14 है। उन्होंने बताया कि वे शीघ्र ही एक हिंदी फिल्म स्थानीय कलाकारों के सहयोग से बनाने की घोषणा करेंगे। पत्रकारों ने फिल्म के गीत सुने और उन्हें पसंद किया। श्री तिवारी ने सराईपाली के कुमार साहबों- श्री बीरेंद्रकुमार सिंह और श्री महेंद्रकुमार सिंह जी के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया जिन्होंने शूटिंग के समय हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया। ... ... ... फिल्म छत्तीसगढ़ के चार बड़े शहरों में एक साथ रिलीज होगी दयाल फिल्म रायपुर फिल्म के वितरक हैं।

5 comments:

  1. इस फिल्म के निर्माता कौन थे

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  2. दुर्लभ जानकारी के लिए आभार, घरद्वार का प्रीमियर शो रायपुर में....पढ़ने में नहीं आ रहा है...साफ वाली कॉपी हो तो शेयर कीजिएगा...

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  3. 🎬 बहुत अच्छी जानकारी दी आपने, जयकुमार पांडे जी का रायपुर के भनपुरी में निवास स्थान है, घर द्वार फिल्म के लिए संभवतः पार्श्व गायक मोहम्मद रफी साहब के गाने है, इस फिल्म की तारीफ बहुत सुनी है.. छत्तीसगढ़ की माटी में बहुत प्रतिभावान कलाकार देश को मिले है..!📽️🎥👌👌🙏🙏

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  4. फिल्म घर द्वार अपने आप में संपूर्ण था हालाकि उसके बाद आने वाली छत्तीसगढ़ी फिल्मों की कहानी में कमी तो नहीं है लेकिन कहीं कहीं कलाकारों ने अतिसंयोक्ति प्रदर्शन किए हैं जो हमारे सामाजिक दृष्टि से संभव नहीं होता वर्तमान में तो हमारी क्षेत्रीय फिल्मों में आधुनिक परिवेश प्रवेश कर चुका है ।

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