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Monday, December 13, 2021

पत्र- 10.10.98

डॉ. कल्याण कुमार चक्रवर्ती जी को मेरे द्वारा यह पत्र लिखा गया था। चक्रवर्ती सर, मध्यप्रदेश के दौरान पुरातत्व के संचालक, फिर आयुक्त रहे। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव रहते हुए संस्कृति विभाग का जिम्मा उनके पास रहा। इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और परंपरा के प्रति उत्तरदायित्व उनमें, बतौर अधिकारी ही नहीं, जिम्मेदार नागरिक जैसा रहा है। सरकार और विभाग अर्थात राज्य हित तथा उसके साथ लोक हित के प्रति, विशेषकर छत्तीसगढ़ के लिए, उनकी परवाह, पद-निरपेक्ष रही है, आज भी है। (इस पत्र में आई बातों पर आगे चर्चा होगी, यह ध्यान में रखते हुए तब छायाप्रति रख लिया था, संयोगवश बची रह गई।)


दिनांक 10-10-98

आदरणीय सर,
सादर प्रणाम

21 अगस्त को विभागीय बैठक के लिए भोपाल का अवसर मिला था, किन्तु उस दौरान आपका प्रवास होने से भेंट न कर सका। इसी बैठक में AVRC, इन्दौर के लिए मुझे ताला पर स्क्रिप्ट लिखने का निर्देश प्राप्त हुआ था, जितना बन पड़ा, कामचलाऊ आलेख तैयार कर पिछले सप्ताह भेज दिया हूं।

डा. शंकर तिवारी जी पर प्रस्तावित प्रकाशन का पत्र मिला था, आपसे भेंट करने का प्रयास इस संबंध में भी जानकारी के लिए था, कि इस हेतु मैं किस प्रकार की सामग्री तैयार कर सकता हूं, आपसे मागदर्शन मिल जाता। पिछले वर्षों में हुई findings पर लिखने का प्रयास कर रहा हूं, किन्तु वह पूरा नहीं हो सका है, इस प्रकार की कोई सामग्री उपयोगी हो सकेगी अथवा नहीं और भेजने की निर्धारित तिथि करीब आ जाने से असमंजस में हूं।

इस बीच बिलासपुर में कुछ विभागीय कार्य कमिश्नर श्री उपाध्याय के मार्गदर्शन में हो रहे हैं, उनके, आदेशानुसार मुझे प्रति सोमवार कार्य की प्रगति की जानकारी देने और मार्गदर्शन प्राप्त करना होता है। कलेक्टर श्री सुशील त्रिवेदी जी भी रुचि लेते हैं, किन्तु इस स्थिति में मैं स्वयं को जिला प्रशासन के नियंत्रण का अंग महसूस करने लगा हूं, इसके लिए विभाग जब तक, उदार बना रहे, तब तक तो यह चल सकता है, अन्यथा खींचातानी की स्थिति बनते देर नहीं लगेगी। श्री उपाध्याय साहब, संचालक महोदय से और साथ-साथ श्री रायजादा जी, श्री अजय शंकर जी, EPCO आदि से लगातार सम्पर्क बनाये रखकर सभी कार्य मेरे माध्यम से कराये जाने के इच्छुक हैं, अभी फिलहाल ताला, जेठानी मंदिर के रसायनिकरण का काम हो रहा है और conservation, development कार्य आरंभ किया जाना है, रास्ते और वृक्षारोपण का कार्य भी कमिश्नर साहब ने करवाया है और नदी घाट निर्माण की भी तैयारियां हैं।

#रतनपुर पुल में लगी प्रतिमाएं निकाली जाकर कुल 88 प्रतिमाएं संग्रहालय हेतु संकलित कर ली गई हैं।

#डिडिनेश्वरी मंदिर, मल्हार का संरक्षण समाप्त कर दिये जाने की अधिसूचना प्रकाशन की जानकारी मिली है ।

#डीपाडीह के तीन कर्मचारियों के इस वर्ष की मजदूरी भुगतान के लिए राशि प्राप्त हो गई है। स्वर्गीय पल्टन राम की विधवा के भुगतान का प्रकरण अभी भी लंबित है।

#रूद्र शिव की फोटो के cover page वाला प्रकाशन किन्हीं नीलिमा चितगोपेकर की पुस्तक की जानकारी सुवीरा जायसवाल की लिखी समीक्षा, HINDU में प्रकाशित हुई, देखने में आई। पुस्तक मध्यप्रदेश में शैव धर्म पर है, मुखपृष्ठ पर रूद्र शिव के साथ इस पर कोई सामग्री है या नहीं, जानकारी नहीं है।

#इसी बीच आपके पत्र की मुझे मेजी गई प्रति (मूलतः रायकवार साहब को संबोधित) मिली। इस संबंध में रायकवार साहब से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रहा था, उनसे फोन पर बात हुई, पत्र उन्हें अभी नहीं प्राप्त हुआ है।

#निगम सर के ताला वाले काम के लिए एक प्रस्तावित रूपरेखा बनाकर दिया था, इसी सिलसिले में फोन पर डॉ. प्रमोदचन्द्र जी से भी बात हुई थी, वे दिसंबर में आने की योजना बता रहे थे। रायपुर से नियमित सम्पर्क न रह पाने से आपके पत्र में उल्लिखित बातों को पूरी तरह से नहीं समझ सका हूं। श्री रायकवार जी व डॉ. निगम से आमने-सामने बात होने पर समझने का प्रयास करूंगा और ताला लेख को अंतिम रूप देने का प्रयास करूंगा, उसमें जैसी पहले आपसे चर्चा हुई थी, मैंने प्रतिमा को, क्षेत्रीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर, उसे सोम-शैव संप्रदाय की मान्यताओं के आधार पर निर्मित होने की संभावना होने का पक्ष रखने का प्रयास कर रहा हूं।

शेष कुशल है। डा. शंकर तिवारी जी संबंधी आपके प्रकाशन योजना की जानकारी पिताजी को दी है, वे अत्यंत प्रसन्न हुए हैं और इसके लिए विशेष रूप से शुभकामनाओं के लिए मुझे कहा है। कुशलता की कामना तथा सभी के प्रति अभिवादन निवेदन सहित।

पुनश्च- दीपावली की शुभकामनाओं के लिए रूद्र शिव का छायाचित्र (श्री के.पी.वर्मा, रसायनज्ञ द्वारा खींचा गया) साथ है।

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