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Saturday, August 20, 2022

संविधान सभा में छत्तीसगढ़ के सदस्य

यहां प्रस्तुत जानकारी, मुख्यतः इंटरनेट पर उपलब्ध अधिकृत या विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है। साथ ही अल्पज्ञात प्रकाशित सामग्री तथा स्वयं द्वारा एकत्र जानकारियों का समन्वय किया गया है। यथासंभव तथ्यों का परीक्षण स्वयं किया गया है। भारत शासन द्वारा सन 2000 में पुनर्मुद्रित कराई गई भारतीय संविधान की प्रति, पं. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर के पं. सुन्दरलाल शर्मा ग्रंथागार में उपलब्ध है, सदस्यों के हस्ताक्षर के लिए स्वयं अवलोकन कर इसे आधार बनाया गया है। अन्य जानकारी किसी अधिकृत स्रोत से उपलब्ध होने पर, यहां प्रस्तुत जानकारी में संशोधन/परिवर्धन कर दिया जावेगा।

इंटरनेट पर उपलब्ध कान्स्टीट्युएंट असेंबली ऑफ इंडिया - वाल्युम 1 में सोमवार, 9 दिसंबर 1946 की पहली बैठक में रजिस्टर में हस्ताक्षर के लिए नामों में मद्रास 43, बाम्बे से 19, बंगाल से 26, युनाइटेड प्राविंस से 42, पंजाब से 12, बिहार से 30, सी.पी. एंड बरार के 14, असम के 7, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्राविंस से 2, उड़ीसा से 9, सिंध से 1, दिल्ली से 1, अजमेर-मेरवारा से 1, कुर्ग से 1, इस प्रकार कुल 208 नामों का उल्लेख है, जिसमें सी.पी. एंड बरार के 14 नामों में सरल क्रमांक 1 पर पं. रवि शंकर शुक्ल, 6 पर ठाकुर छेदीलाल, एम.एल.ए., 10 पर गुरु अगमदास अगरमनदास, एम.एल.ए. का नाम छत्तीसगढ़ के सदस्यों का आया है। कान्स्टीट्युएंट असेंबली ऑफ इंडिया - वाल्युम 4 में सोमवार, 14 जुलाई 1947 की बैठक में रजिस्टर में हस्ताक्षर के लिए नामों में इस्टर्न स्टेट्स से राय साहब रघुराज सिंह का नाम आया है।

विकिपीडिया के ‘भारतीय संविधान सभा‘ पेज पर मध्यप्रांत और बरार [संपादित करें] के अंतर्गत दर्ज सदस्य नामों में से छत्तीसगढ़ के नाम, गुरु अगमदास, बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल, पं किशोरी मोहन त्रिपाठी, घनश्याम सिंह गुप्ता, रविशंकर शुक्ल, रामप्रसाद पोटाई, इस प्रकार कुल छह नाम हैं।

विकिपीडिया के कान्स्टीट्युएंट असेंबली ऑफ इंडिया पेज पर सेंट्रल प्राविंसेस एंड बरार के 19 नाम हैं, जिनमें ठाकुर छेदीलाल, घनश्याम सिंह गुप्ता, रविशंकर शुक्ल के अतिरिक्त अंबिका चरण शुक्ल (क्रम 1 पर) तथा गनपतराव दानी (क्रम 19 पर) नाम मिलता है, जो छत्तीसगढ़ से संबंधित हैं, उक्त दोनों नामों की पुष्टि अन्य स्रोतों से नहीं हुई है।

जानकारी मिलती है कि पुनर्गठित संविधान सभा के 299 सदस्यों की बैठक 31 दिसंबर 1947 को हुई, जिन सदस्यों की 2 वर्ष 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक के बाद 24 जनवरी 1950 को हस्ताक्षर कर संविधान को मान्यता दी गई। संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर संविधान की प्रति में पेज 222 पर आठवीं अनुसूची के बाद पेज 231 तक दस पृष्ठों पर हैं। पेज 222 पर 17, 223 पर 30, 224 पर 34, 225 पर 34, 226 पर 34, 227 पर 32, 228 पर 30, 229 पर 34, 230 पर 34, 231 पर 5, इस प्रकार कुल 284? हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षरों के संबंध में ध्यान देने योग्य-

0 कुछ सदस्यों ने दो लिपियों में हस्ताक्षर किए हैं।
0 हस्ताक्षर के साथ कोष्ठक में नाम भी लिखा है।
0 मैसूर के एच.आर. गुरुवरेड्डी का हस्ताक्षर पेज 226 पर तथा पेज 229 पर, इस प्रकार एक ही व्यक्ति का एक जैसा ही दो हस्ताक्षर, कोष्ठक में नाम सहित आया है।
0 पेज 229 पर दो हस्ताक्षर के नीचे दिनांक 24.1.1950 भी अंकित है।
0 राजेन्द्र प्रसाद का हस्ताक्षर जिस स्थान पर है, उसे देख कर लगता है कि अंतिम प्रारूप हस्ताक्षर के लिए सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू को प्रस्तुत किया गया और जैसा कायदा है, लेख और हस्ताक्षर के बीच खाली स्थान न छोड़ते हुए, उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए हैं। अतएव राजेन्द्र प्रसाद द्वारा जगह बनाते जवाहरलाल नेहरू के उपर तिरछे हस्ताक्षर किया गया।
0 संविधान सभा की बैठकों के प्रतिवेदन से जानकारी मिलती है कि 24 जनवरी 1950 को संविधान की प्रति पर हस्ताक्षर के लिए अध्यक्ष द्वारा सदस्यों से आग्रह किया जाता है कि वे एक-एक कर आएं और प्रतियों पर हस्ताक्षर करें। सदस्यगण जिस क्रम में बैठे हैं, उसी क्रम में उन्हें पुकारा जाएगा प्रधानमंत्री को पब्लिक ड्यूटी में जाना है इसलिए हस्ताक्षर के लिए उनसे पहले आग्रह किया गया।
0 ग्रंथागार वाली जिस प्रति का मैंने अवलोकन किया है उसमें कुल 231 पेज में, पेज 228 तथा पेज 229 दो-दो बार हैं, इससे संभव है कि इस संस्करण में मुद्रित किसी प्रति में उक्त दो पेज कम हों।

छत्तीसगढ़ के सदस्यों में, पेज 227 पर रविशंकर शुक्ल और ठाकुर छेदीलाल के हस्ताक्षर 228 पर घनश्याम सिंह गुप्त के हस्ताक्षर (नागरी में), 229 पर रामप्रसाद पोटाई और 230 पर के.एम. त्रिपाठी के हस्ताक्षर (रोमन में) हैं, इस प्रकार कुल पांच व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं। लोक सभा की साइट पर नवंबर 1949 की स्थिति में संविधान सभा के सदस्यों की प्रदेशवार सूची में सेंट्रल प्राविंसेस एंड बरार के 17 नामों में छत्तीसगढ़ के ठाकुर छेदीलाल (क्रम 5 पर), घनश्याम सिंह गुप्त (क्रम 10 पर), रवि शंकर शुक्ल (क्रम 13 पर) तथा सेंट्रल प्राविंसेस स्टेट्स के तीन नामों में छत्तीसगढ़ के किशोरीमोहन त्रिपाठी (क्रम 2 पर) तथा रामप्रसाद पोटई (क्रम 3 पर) हैं। इस प्रकार पुष्टि होती है कि उक्त पांच संविधान सभा के नियमित तथा हस्ताक्षर की तिथि तक सदस्य रहे।


उक्त संविधान पुरुषों के यों अन्य फोटो भी उपलब्ध होते हैं, किंतु यहां उनकी फोटो आगे आए समूह चित्र से निकाली गई है। उक्त समूह चित्र में घनश्याम सिंह गुप्त की पहचान मेरे द्वारा निश्चित नहीं कर पाने के कारण उनकी अन्य तस्वीर ली गई है। फोटो के नीचे हस्ताक्षर संविधान की प्रति में किए गए हस्ताक्षर से लिए गए हैं।

यहां आए छत्तीसगढ़ के नामों में मुख्यमंत्री रहे रविशंकर शुक्ल, अकलतरा के बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल, दुर्ग के घनश्याम सिंह गुप्त, कांकेर के रामप्रसाद पोटई, रायगढ़ के के.एम. त्रिपाठी यानि किशोरी मोहन त्रिपाठी और सतनामी गुरु अगमदास अगरमनदास, उनका परिवार सामान्यतः जाना जाता है। रघुराज सिंह (Ragho Raj Singh), सरगुजा स्टेट के दीवान रहे तथा बाद में राजकुमार कॉलेज, रायपुर में प्रिंसिपल रहे, उनका परिवार अब रायपुर निवासी है।

सामने से पहली की पंक्ति-59 सदस्य, दूसरी पंक्ति-59, तीसरी पंक्ति-58, चौथी पंक्ति-54 तथा सबसे पीछे पांचवीं पंक्ति में 48, इस प्रकार कुल 278 व्यक्ति हैं। चित्र में पं. रविशंकर शुक्ल पहली पंक्ति में बायें से दाएं गणना में क्रम 39 पर, इसी तरह ठाकुर छेदीलाल दूसरी पंक्ति में क्रम 40 पर, किशोरी मोहन त्रिपाठी तीसरी पंक्ति में क्रम 7 पर और रामप्रसाद पोटई इसी तीसरी पंक्ति में क्रम 34 पर हैं। जैसा कि उपर उल्लेख है इस तस्वीर में घनश्याम सिंह गुप्त की पहचान निश्चित नहीं हो सकी है।

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत का संविधान पारित किए जाने के अवसर पर अपने भाषण में अनुवादकों का उल्लेख करते हुए कहा था माननीय श्री जी.एस. गुप्त की अध्यक्षता वाली अनुवाद समिति के द्वारा संविधान में प्रयुक्त अंग्रेजी के समानार्थी हिंदी शब्द तलाशने का कठिन कार्य किया गया है।

संबंधित अन्य जानकारी की प्रस्तुति ‘हमारे संविधान पुरुष और हिंदी‘ शीर्षक से अगली पोस्ट पर।

दैनिक सांध्य छत्तीसगढ़ में प्रकाशित


5 comments:

  1. किस्सागोई दंतकथा और गॉसिप से हटकर पूरी तरह अधिकृत तथ्यों के आधार पर निर्मित इस पोस्ट के लिए आपको अनेकानेक बधाइयां...

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  2. अति आवश्यक रहिस हे ये लेख ह. अगला पोस्ट के अगोरा हे.

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  3. बहुत बहुत बधाई आपको

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  4. अच्छी जानकारी ।

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  5. महत्वपूर्ण जानकारी के लिये धन्यवाद आदरणीय🙏

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