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Sunday, July 10, 2011

नायक

रात लगभग साढ़े दस बजे यों अनजान, ब्‍लाग-परिचित का फोन आया, मेरी आधी नींद में पूछा जा रहा था, 'नायक का भेद'। मामला समझने के बदले मेल करने की बात कह कर मेरी ओर से शुभ रात्रि हुई। सुबह सिस्‍टम खोला तो मानों सचमुच नींद से जागा, मेल था- ''वार्तानुसार, नायक भेद के बारे में थोड़ा आपसे जानने की इच्छा जाहिर कर रहा हूँ, ... नायकों का चरित्र, हाव भाव, प्रकृति कैसी होती है ... आशा है, आपका स्नेह भरा मार्गदर्शन प्राप्त होगा ...''

मेल पर औपचारिकतावश यह जरूर लिखा कि- नाटक और साहित्‍य, दोनों से मेरा कोई सीधा रिश्‍ता नहीं है (संस्‍कृत शास्‍त्रों से भी), इसलिए मुझे यह अब भी स्‍पष्‍ट न हो सका है कि इस चर्चा के लिए आपने मुझ असम्‍बद्ध को क्‍यों उपयुक्‍त माना, खैर...

लेकिन यह कह कर इस सुनहरे अवसर को खोना समझदारी तो नहीं होती, क्‍योंकि अपने अधिकार का विषय न हो तो हाथ आजमाना आसान हो जाता है, बात न बने तो कोई बात ही नहीं और बन पड़ी तो क्‍या कहने। जो जवाब तब सूझा, उसमें जोड़ दिया कि इरादा बना और समय निकाल पाया तो कुछ और तैयारी कर पोस्‍ट लगा दूंगा। आइये, चलें सीधे उसी नायक विमर्श पर-

नायकों के चार प्रकार में अनुकूल, दक्षिण, शठ और धृष्‍ट मिलता है। इनमें अनुकूल, निष्‍ठावान और धृष्‍ट उसके विपरीत गुणों वाला नायक है, जबकि दक्षिण की निष्‍ठा का आकलन प्रेयसी के विशेष संदर्भ में होता है और उसके विपरीत गुणों वाला शठ कहलाता है। ध्‍यान रहे कि नायक अगुवा तो है ही लेकिन इसका एक प्रचलित तथा मान्‍य अर्थ तब भी और अब भी हीरो के रूढ़ तात्‍पर्य, 'आशिक' का भी है। यानि ऐसा लगे कि इस प्राणी का अवतरण प्रेम करने के लिए ही हुआ है, चालू शब्‍दों में 'वाह रे मेरे छैला', 'जियो रे मजनूं'।

अधिक चर्चित नायक प्रकार- धीरोदात्‍त, धीरप्रशान्‍त, धीरललित और धीरोद्धत का उल्‍लेख मूलतः अग्निपुराण का बताया जाता है, भरत मुनि ने भी शायद चर्चा की हो, विशिष्‍ट प्रयोजन हेतु मूल ग्रंथों, उनकी प्रामाणिक टीका देखना होगा, लेकिन शब्‍दार्थ से कामचलाऊ बात कुछ इस तरह हो सकती है -
नायक का प्राथमिक गुण धीर है, जिसका अर्थ होगा शूरवीर या बहादुर, साहसी, दृढ़ आदि। नायक की शूरवीरता में और क्‍या जुड़ा होगा, इसी पर नायकों के चार प्रकार बनते हैं-
धीरोदात्‍त- सुविचारों वाला। सुनील दत्‍त, मनोज कुमार या राजेन्‍द्र कुमार जैसा। धीरप्रशांत- शांत। अशोक कुमार, बलराज साहनी, संजीव कुमार, गिरीश कर्नाड, बाबू मोशाय या फिल्‍म इम्तिहान के विनोद खन्‍ना, सदमा के कमल हसन जैसा। धीरललित- क्रीड़ाप्रिय, लापरवाह। धर्मेन्‍द्र, गोविंदा या फिल्‍म रंगीला के आमिर, दबंग के सलमान जैसा। धीरोद्धत - अभिमानी। राजकुमार, शत्रुघ्‍न सिन्‍हा, रजनीकांत जैसा।

उदाहरणों से फिल्‍मी नायकों की कुछ और कोटियां-
त्रिलोक कपूर, प्रेम अदीब, मनहर देसाई, अभिभट्टाचार्य, जीवन (नाटकीय नारद) जैसे धार्मिक स्‍पेशल/
सोहराब मोदी, पृथ्‍वीराज कपूर, पारसी थियेटर शैली के इतिहास-पुरुष/ रंजन, जान कवास, महिपाल, कामरान, चन्‍द्रशेखर, जयराज, तलवारबाज स्‍टंट हीरो/
देवदास वाले ट्रेजडी किंग पहले सहगल फिर दिलीप कुमार, बैजू बावरा के भारत भूषण, गुरुदत्‍त/
भोला हीरो वाले राजकपूर/
रंग-रंगीले सदाबहार देवानंद/
पहलवान हीरो दारासिंग, शेख मुख्‍तार/
कामेडियन हीरो अलबेले मास्‍टर भगवान, किशोर कुमार, जानीवाकर, जिनके नाम से फिल्‍म भी बनी और महमूद/
विश्‍वजीत, जाय मुखर्जी, ऋषि कपूर वाले चाकलेटी हीरो/
किंग खान टाइप संजय और फिरोज खान/
राजेश खन्‍ना जैसे रोमांटिक हीरो/
सचिन, रणधीर, वो सात दिन या बेटा वाला अनिल कपूर किस्‍म का देहाती हीरो/
शम्‍मी कपूर, जितेन्‍द्र, मिथुन जैसे डान्‍सर हीरो/
अमोल पालेकर, फारुख शेख जैसा पड़ोसी लड़का/
नान ग्‍लैमरस साधु मेहर, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पंकज कपूर/
अभिताभ, शाहरुख, नाना पाटेकर जैसे एंग्री यंग मैन, एंटी हीरो से ले कर 'हीरो' जैकी श्राफ तक और 'नायक नहीं खलनायक' तक- भी बन सकती हैं।

दो नाम दुहराना है बहुरूपिए संजीव कुमार का नया दिन नई रात के लिए और कमल हसन का दशावतार के लिए, लेकिन मल्‍टी डायमेन्‍शनल हीरो के रूप में तो दिलीप कुमार और अमिताभ बच्‍चन का ही नाम दुहराना होगा। नये जमाने के उदाहरण नहीं हैं, क्‍योंकि वह तो आप सबको मालूम ही है और अगर नहीं तो 'हम साथ-साथ हैं।'

शास्‍त्रों की बात है यहां, इतने पर ही नहीं रुकती, कुछ अवान्‍तर से नायक के 40 भेद हो जाते हैं। बस, बस, होते रहें शास्‍त्रों में 40, यहां न तो उसका निरूपण है न सूचीकरण, बस मामूली सी एक ब्‍लाग पोस्‍ट। लेकिन इस शास्‍त्रीय सांचे में फिट होने को कई और नेता-अभिनेता, जननायक-राजनायक, योगी-भोगी नायक तैयार हैं, सबको दिमागी दरवाजे पर वेटिंग में रखा है हमने, किसी को एंट्री नहीं। अब आप चाहें तो खेलें जिग-सा पजल, और बिठाएं सबको उनके उपयुक्‍त खांचों में। हम अपनी पोस्‍ट पर विराम लगाते हैं।

47 comments:

  1. नायकों के बहाने से मेरी चर्चा भी हो गयी।:)
    साधुवाद

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  2. जैसी आपसे आशा थी, एक अलग से विषय पर एक अनूठी प्रविष्टि।

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  3. आप अधिकृत कंसल्टैंट प्रसिद्ध हो रहे हैं, कुछ फ़ीस वगैरह रख लीजिये:)

    जो किसी खांचे में फ़िट न हो सके, उसे नायक माना जायेगा? कंसल्टेंसी शुरू होने से पहले पहले जिज्ञासा शांत करना चाहता हूँ:)

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  4. अच्छी नायक चर्चा

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  5. कोलेज के समय यह सब पढ़ा था अपनी अभिरुचि के कारण और मजबूरी के कारण (क्योंकि हिन्दी की प्राध्यापिका मेरी दूसरी माता, पुष्पा दी, की बड़ी बहन थीं और उनकी कक्षा में शोर मचाना या स्किप करना घर पर शिकायत तक पहुँच जाता था.. आज भी उदात्त, ललित, प्रशांत और उद्धत नायक याद हैं. फ़िल्मी कलाकारों के माध्यम से आपने उनकी प्रचलित छवि के आधार पर सही समझाया.. किन्तु फ़िल्मी कलाकारों में कई कलाकार इन प्रकारों की सीमाओं से बाहर जाते हुए भी दिखाई दिए हैं.. और कुछ एकदम सीमाबद्ध.. "मेरी सूरत तेरी आँखें" का रोल दिलीप साहब ने छोड़ दिया सिर्फ इसलिए कि वो उनकी उदात्त कोटि से मेल नहीं खाता था..
    हल्का फुल्का मगर जानकारी देता आलेख!!

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  6. कुलबुलाती और गुदगुदाती पोस्ट. न केवल ज्ञान वर्धित करती..अपितु ज्ञान को टटोलती और पढते-पढते जाने अनजाने नायकों में खुद को फीट करने के प्रलोभन से नहीं बचाने वाली पोस्ट.

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  7. नायक अबोध बालक के लिये पिता चाचा और बड़े भाई सा होता है वैसे बड़े भाई के प्रति बचपन मे कुछ विरोध या उससा बनने का भाव भी बालक मे होता ही है वैसे नायको की बात आज के युग मे फ़िल्मी अवतारो से अलग करना संभव ही नही है देश के नायक नालायक नजर आते हैं यहां तक प्रणब दा जैसा व्यक्ति भी कहीं न कहीं व्यवस्था मे जगह बनाता सा प्रतीत होता है

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  8. बढ़िया नवीन जानकारी के लिए आभार ......नायिकाओं ने क्या गलती की जो उन्हें भुला गए :-)
    शुभकामनायें !

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  9. बहुत सारी नई जानकारियों से अवगत हुआ।

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  10. चलो पता चल गया, अब जैसी इच्‍छा और अवसर हम अपने आपको उसी खाचें में फिट कर लेंगें. :)

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  11. फ़िल्मी नायकों के उल्लेख से विवरण चटपटा हो गया ..
    तनिक इस परिशिष्ट को भी देख लें !
    http://mishraarvind.blogspot.com/2010/02/blog-post_07.html

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  12. @ललित शर्मा जी
    क्या भाई वो रात को परेशां करके जगा के पूछने वाले महाशय आप ही थे? या 'धीरललित' के रूप में खुद को यहाँ पाकर खुश हो रहे हैं हा हा हा
    @सतीश सक्सेना जी-नायिकाओं पर आप लिख दीजिए ना
    @राहुल सर नायको का वर्गीकरण और उससे सम्बंधित जानकारी अच्छी लगी.नायक जिसको रोल मोडल मान कर एक वर्ग या व्यक्ति विशेष उस नायक की चारित्रिक विशेषताओं के लिए उनका अनुगमन करता है.अवगुणों से ओतप्रोत व्यक्ति भी किसी के लिए नायक हो सकता है .रावण की उपासना या खल पात्रों को महिमामंडित करने वाले लोगो के लिए वे उनके नायक हैं.
    किन्तु सही मायने में सदगुणी हर काम में माहिर और जिसके पास होने के अहसास मात्र से व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित महसूस करे और जो चरित्र उन्हें 'कुछ' करने सीखने को प्रेरित करे वे ही समाज में सदा नायक के रूप में प्रसिद्द हुए है. है ना?

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  13. Lalit Sharma jii ne aapke gyaan aur vidwattaa kii parikshaa lenii chaahii thii aapko sote se jagaa kar, aur aapne yeh post likh kar pariikshaa pass kar lii. Kyon Lalit jii, thiik kahaa na?

    Rahul Singh jii, dimaagii darwaaje par waiting mein rakhe naaykon se bhii parichit karaaiye na, please!

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  14. शास्त्रीय नायक कोटियों में आपने फिल्मी अभिनेताओं को बिलकुल सही-सही श्रेणी दी... इससे साधारण पाठक को 'नायक भेद' समझने में सुविधा हो गयी है.
    इस विषय पर कभी अधिक विस्तार से चर्चा करने मेरा मन भी है... उसके लिये मैंने ब्लॉग-जगत से उदाहरण लेने का सोचा है. देखें ये कार्य कब तक हो पाता है.

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  15. पुनश्च :
    इस विषय पर कभी अधिक विस्तार से चर्चा करने का मेरा मन भी है...

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  16. Bada hee alag vishay leke aalekh likha hai! Bada achha laga!

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  17. एक लोकोक्ति बार-बार सुनने को मिलती है - 'पंजाबी आदमी जब बंगाली बोलता है तो झूठ बोलता लगता है।' आपने इस लोकोक्ति को झुठला दिया। पुरातत्‍ववेत्‍ता जब 'नायक भेद' पर लिखता है तो क्षण भर को भी पुरातत्‍ववेत्‍ता नहीं लगता - 'साहित्‍य रस मर्मज्ञ' ही लगता है। किन्‍तु यह अपवाद ही है।

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  18. हमारे फिल्म जगत के कलाकारों के लिए जो फर्मा बनाया है बड़ा रोचक लगा.

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  19. वाह! आपने शुरु किया तो लगा कि साहित्यिक ग्रन्थों के नायक की बात करेंगे लेकिन आपने इसे सीधे अभिनेताओं के पास चले गए। आप संस्कृत तो जानते ही हैं और आपके अधिकार का विषय का तो लगता है ये।

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  20. वैसे नायक तो एक ही हैं। 'अनिल कपूर' और खलनायक तो कई हैं लेकिन फिलहाल 'अमरीश पुरी' नायक के लिए काफ़ी हैं।

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  21. अग्निपुराण से लेकर बालीवुड पुराण तक नायकों की छानबीन....!!!!
    आजकल के हाइब्रिड नायकों पर एक नालायक पुराण की रचना की प्रबल संभावना दिखती है।

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  22. ये तो बहुत ही अलग तरह की "नायक" चर्चा थी.. शोध किया होगा आपने.. कहाँ से? बताइयेगा वो भी..

    परवरिश पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
    आभार

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  23. कुछ हट कर .. लेकिन नयापन है । अच्छा लगा .. विविधता है .. आपकी अभिव्यक्तियों में .. । बधाई ..
    - डा. जेएसबी नायडू (रायपुर)

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  24. नायिकाओं के बारे में तो भरपूर मसाला मिल जाता है,पर आपने नायकों को याद करके उनका मान बढ़ाया है !

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  25. ईमेल पर महेश शर्मा जी-
    जब नायिका -भेद होता है,तो नायक भेद भी होगा ही, आज के समय में इन् भेदों की संख्या बदती जा रही है,कदम-कदम पर नया रुप धारण करना पड़ता है.
    अच्छे पोस्ट के लिए फिर बधाई.

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  26. शास्त्रीय ढंग से नायकों का चरित्र निरूपण, बहुत अच्छी व्याख्या।

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  27. महानायक के बाद नायक पर रोचक पोस्ट
    नायक के भेद को भेदने में गुरूजी की विशेषज्ञता... अपार खुशी,
    स्वविद्यार्थी अभिनय पाठ का महत्वतपूर्ण अध्याय साबित हुआ।

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  28. नायक भेद वाकई कहीं खोया हुआ था...नायिका पर बहुत लिखा जा चुका है पर नायक पर लिखने वाले वाकई कम है...बेचारा नायक. आज आपने शिकायत दूर कर दी.

    उदहारण से चीज़ें और स्पष्ट भी हो गयीं...बेहद अच्छा लगा ये पोस्ट पढ़ना.

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  29. बहुत अच्छी व्याख्या बढ़िया नवीन जानकारी के लिए आभार......

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  30. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  31. टिपिकल ब्लोगिया पोस्ट से आगे बढ़ कर ऐसी पोस्ट डालने की हिम्मत करने के लिए आप का अभिनंदन| आगे भी जब कभी ऐसी चर्चा हो, तो मैं आने का प्रयास अवश्य करूँगा| आप से भी निवेदन सूचित करने के लिए|

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  32. "नाटक और साहित्‍य, दोनों से मेरा कोई सीधा रिश्‍ता नहीं है"

    वाह वाह! सीधा रिश्ता नहीं होने पर भी इतना सब कुछ बताया, यदि सीधा रिश्ता होता तो पता नहीं कितना कुछ और बताते!

    बहरहाल नायिका भेद की कुछ तो जानकारी थी अब नायक भेद के विषय में भी कुछ ज्ञान मिल गया। ज्ञानवर्धन के लिए आपको धन्यवाद!

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  33. एक अलग से विषय पर अनूठी सी पोस्ट.अच्छा लगा कुछ हट कर पढ़ना.

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  34. नायक की परिभाषा जो आपने दी है और जो उदाहरण प्रस्तुत की है वह अद्वितीय है. शब्द पर पकड़ और पारखी दृष्टि जैसी आपके पास है काश मेरे पास भी होती...

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  35. नायक की आधुनिक सन्दर्भ में बढ़िया व्याख्या... इस दृष्टि से अपने सिनेमा के नायको को नहीं देखा था कभी... नयापन है विषय और वस्तु में...

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  36. पहले तो लगा कि वर्षों बाद आज उस विषय के पुनर्पाठ का सुअवसर मिला जो पढने के क्रम में हमारे कोर्स का हिस्सा हुआ करता था,पर बाद में विषय विस्तार में आपने फ़िल्मी नायकों का उदहारण दे जिस प्रकार विषय को विस्तार दिया, एक अलग ही रंग मिला...

    रोचक पोस्ट के लिए धन्यवाद...

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  37. बहुत ही सुंदर व रोचक व्याख्या,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  38. ईमेल पर डॉ. ब्रजकिशोर जी-
    यह तो फिल्मों का पुरातात्विक और सांस्कृतिक अध्ययन वाला पोस्ट बना है, खूब.

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  39. बात भरत मुनि से जब आरंभ की तो नायकों में सबसे बड़े नायक सोलह कलाओं से युक्त लीला धारी श्रीकृष्ण को भी नायक कहा गया है और उनके नाटक नौटंकी की सीमा तो... आप बड़ी चालाकी से शुरू तो करते हैं कुछ अधिक बताते नहीं बस विचारोत्तेजना में फंसा कर चल देते हैं।

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  40. बहुत बढि़या नायक विमर्श।

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  41. सभी नायक व्यर्थ जान पड़ते हैं आज़... देश को ऐसा नायक चाहिए... जो दहशतगर्दियों में अपना खौफ पैदा कर सके.. जो सरल स्वभाव के लोगों को सुरक्षा दे सके... जो झूठे जाहिल और अकर्मठ लोगों (नेताओं) को ठिकाने लगा सके...
    आज़ देश को वो नायक चाहिए जो शस्त्र पूजा करता हूँ और शास्त्र भी.
    आज मुम्बई के सभी नायक (फिल्मी) घरों में दुबके हैं... उनमें धीरोदात्त ढूँढ़ना व्यर्थ है... फिर भी कई ऐसे अभिनेता जनमानस में बड़ी श्रद्धा पाते हैं... मैं मानता हूँ कि यदि फिल्म जगत के नायक जनता के दिलों के भी नायक होना चाहते हैं तो वे प्रशासन पर दबाव बना सकते हैं... एक जनक्रांति खड़ी कर सकते हैं.... जनता फिल्मी कलाकारों की अधिक सुनती रही है. लेकिन वे केवल मीडिया के सामने ही गला फाड़ने के अभ्यस्त हो चुके हैं... कुछ करने से रहे.

    आशा जग सकती है ... कोई तो पहल करता दिखे.

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  42. नायकों का ऐसा आंकलन? वाह..
    हमेशा आपकी पोस्ट मुझे चकित कर देती है..
    ऐसी विषयों पर भी आप कितनी सहजता से लिख लेते हैं...मैं सीखता हूँ बहुत कुछ..

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  43. बहुत सुन्दर रचना .

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  44. फ़िल्मी कलाकारों के माध्यम से चरित्र समझना ...
    बहुत अच्छी लगी आपकी ये पोस्ट ...

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  45. आपकी पोस्ट पर जिस आशा से आता हूँ...हमेशा उस पर खरी उतरती है....वैसे ही यह भी!!!

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  46. राहुल जी , नायक तो एक पात्र होता है . पात्र का व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्त्व से क्या सम्बन्ध ? एक अच्छा कलाकार सभी तरह के पात्र निभा सकता है जैसे संजीव कुमार थे .
    इसलिए यह विभागीकरण पात्रों का होना चाहिए .

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