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Tuesday, September 7, 2010

मर्म का अन्वेषण

चित्रकार, फोटोग्राफर, पत्रकार रमन किरण एक हिन्दी पत्रिका 'जंगल बुक' हर महीने निकाल रहे हैं, एक और त्रैमासिक कला पत्रिका 'नया तूलिका संवाद' निकालने की तैयारी कर चुके हैं।
रमन, कवि हैं उनके दो कविता संग्रह 'मेरी सत्रह कविताएं' और 'सत्रह के बाद' आ चुके हैं और पिछले दिनों उनका तीसरा संग्रह 'मर्म का अन्वेषणः 37 कविताएं' आया।

उनके इस नये संग्रह की कुछ कविताएं-

(14/37)
एक पत्ता उम्मीद का
इतना भारी पड़ा
नये-नये पत्ते आने लगे


(15/37)
हैलोजन की रोशनी
कुछ तो सोचो
सड़क भी सोती है

(20/37)
जंगल हूं मैं।
मेरे तन पर,
मोर नाचते हैं।
रेंगते हैं सर्प,
जानवर पलते हैं
मेरे अन्दर
तपोभूमि था मैं।
कभी मेरे साये में,
जीता था आदमी ।।

(21/37)
तवे पर,
रोटी सेंकने के लिए,
गर्म किया जाता है,
तवे को ही।

(33/37)
धागा तोड़ोगे
गांठ बांध लो
जोड़ नहीं सकते

व्ही व्ही रमन किरण, बिलासपुर में मां सतबहिनिया दाई मंदिर के पास, देवरी खुर्द में रहते हैं। उनका मोबाइल नं. +919300327324 और मेल आईडी raman.kiran@yahoo.com है। उनकी कविताएं मुझे पसंद हैं।

24 comments:

  1. सुंदर और अद्भुत कविताएं हैं। परिचय कराने के लिए धन्‍यवाद।

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  2. कविताएं वाकई अच्छी है। असर छोड़ती हुई ठीक त्रिवेणियों की तरह।

    शुक्रिया भाई साहब परिचय करवाने के लिए।

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  3. Dearest Rahul Bhaia,
    Thanks for you mail.
    I like Raman Kiran's जंगल हूं मैं poem (20/37) very well. I am just coming from
    the Kishanganj and Shahabad Tehsils of the Baran district of
    Rajasthan. The jungles are helpless. All indigenous trees are
    finished. They are ruthlessly cut by the contractors in collaboration
    with forest officials. The Saharias are living helpless life. They are
    uprooted from jungles. Their lands are grabbed by the outsiders for
    cultivating soya and other crops.
    I am just trying to connect my experience with this poem and see
    wonderful connection between the two.
    Congratulation to the sensible poet!!!

    You also deserve thanks for posting such great work.

    Thanks with warm regards,

    Dr. Kailash Kumar Mishra,
    Managing Trustee,
    Bahudha Utkarsh Foundation,
    New Delhi
    Mobile 09868963743

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  4. apki post is kavita sankalan ko padhi ke liyai preit karti hai.

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  5. उम्दा कविताएं हैं रमन जी की।
    प्रकृति से जोड़ती हुई।

    परिचय कराने के लिए आभार

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  6. बहुत सुन्दर क्षणिकायें।

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  7. सुन्दर लघु रचनाएं. परिचित कराने का आभार.,

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  8. बहुत सुन्दर क्षणिकायें।

    परिचय कराने के लिए धन्‍यवाद।

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  9. जब आगाज़ इतना सुन्दर है तो अन्जाम कैसा होगा………………सच गज़ब्कि चिन्तन शक्ति है।

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  10. vandna ji se sehmat hoon....jaankari ke liye dhanywaad1

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  11. बहुत सुन्दर कविताएं...

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  12. jahan na pahunche ravi, wahan pahunche kavi. kavita bahut kuchh na kahke bhi bahut kuchh kah jaati hai, kavita kuchh kahke bhi bahut kuchh adhooraa chhod jaati hai. saamanya se hatkar kuchh alag drishtibodh ka parichay karaati hain.

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  13. प्रशंसनीय पोस्ट !

    पोला की बधाई .

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  14. भाई रमन किरण जी की हिन्दी पत्रिका 'जंगल बुक' की एक प्रति मुझे भी डाक द्वारा प्राप्‍त हुई थी, बहुत सुन्‍दर कार्य है भाई रमन किरण जी का.

    इनकी कविताओं से आज रूबरू हुआ, प्रकृति से जुड़ाव के साथ ही चिंतन प्रस्‍तुत करती कवितायें हैं रमन जी की.

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  15. पहले लगा कि वे सत्रह के फेर में हैं पर तीसरी बार उन्होंने बीस और जोड़ दिया :)

    कवितायें आकर्षित करती हैं उन्हें कहिये ब्लाग बनायें या किसी और तरह से प्रिंट को डिजिटल फ़ार्म में लायें , रचनाएं ज्यादा लोगों तक पहुंचेंगी !

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  16. बहुत ही अच्छी छानिकाएं है परिचय देने के लिए आभार पुस्तक पढने पर शेष ईश्वर खंदेलिया

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  17. चित्रकार
    पत्रकार
    छायाकार
    रचनाकार
    का आकार
    गागर में सागर
    साधुवाद

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  18. रमन किरण जी के बारे में बिलासपुर के अन्य मित्रों ने भी बताया है. वे ईमानदारी से स्वीकारते है क़ि "जंगल बुक " कब तक निकलती रहेगी,यह तो नहीं पता, लेकिन अपनी कोशिश पूरी करते रहेंगे . उनका यह आत्मविश्वास सराहनीय है.
    आपने उनकी कविताओं को प्रस्तुत कर एक नयी पहिचान दी है.सामान्यतः ऐसा देखने को मिलता नहीं है .लोग आत्मप्रकाशन के पक्षधर होते है,दूसरे क़ी कृतियों के लिए समय नहीं निकल पाते.प्रस्तुत कवितायेँ विशेष ढंग क़ी है,और इनसे किरण जी का नया व्यक्तित्व उभरा है, और यह आपके कारण ही संभव हो सका है,अतः साधुवाद!
    महेश शर्मा 09425537851

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  19. .

    It's a wonderful experience to know him through you. Nice creations by him.

    Regards,

    .

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  20. jivan ka ek naya aayam....
    aisa bhi hota hai...
    ravindra pandey...

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