Pages

Saturday, April 8, 2017

शहर

शहर में शहर रहता है
शहर में सिर्फ शहर होता है
हर शहर का अपना वजूद है
उसका अपना वजूद, अपने होने से

चिरई-चुरगुन, तालाब-बांधा, मर-मैदान
गुड़ी-गउठान, पारा-मुहल्ला
बाबू-नोनी, रिश्ते-नाते
शाम-ओ-सहर सब
या समाहित या शहर बदर
अब शहर में बस शहर ही शहर

9 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन मंगल पाण्डेय और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete
  2. वाह दिल को छू लेने वाली पोस्ट ...

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया सर, दो पंक्तियां पेश हैं
    शहर के डगर-डगर पर
    शहर-शहर है हमसफर

    ReplyDelete