tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post8257711909079126614..comments2024-03-26T11:26:04.832+05:30Comments on सिंहावलोकन: देश, पात्र और कालRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-69446891057156408732016-06-22T08:04:26.349+05:302016-06-22T08:04:26.349+05:30हम तो बमुश्किल, डगमग चल पा रहे हैं सतीश जी. आपकी द...हम तो बमुश्किल, डगमग चल पा रहे हैं सतीश जी. आपकी दौड़ सरपट है और मैराथानीय लंबी भी. :)Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-47666654088837138422016-06-22T07:30:22.111+05:302016-06-22T07:30:22.111+05:30@अनाड़ी, कदम-दर-कदम ठिठकते-भटकते, असमंजस सहित आगे ब...@अनाड़ी, कदम-दर-कदम ठिठकते-भटकते, असमंजस सहित आगे बढ़ता है, सभी सीखे तौर-तरीकों को आजमाते और उसके बरत सकने की खुद की काबिलियत को जांचते, एक से दूसरे उपाय पर जाते, कांट-छांट, यानि पूरी चीर-फाड़, विश्लेषण सामने प्रकट रखते।<br /><br />अनाड़ी-नौसिखुआ के हाथों पड़कर कोई वस्तु/विषय बेहतर खुल सकता है। अनाड़ी के हल में अन्य का प्रवेश-निकास आसानी से हो सकता है, विशेषज्ञ का हल कवचयुक्त, व्याख्या-आश्रित होता है।<br /><br />हम अाजकल इसी राह से गुज़र कर पगडंडी तलाश करते हुए , दौड़ना सीख रहे हैं .... अापका यह अंदाज़ बढ़िया लगा , अाभार पढ़ाने के लिएSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-33341963513545979382016-06-21T23:57:48.330+05:302016-06-21T23:57:48.330+05:30अनाड़ी-नौसिखुआ के हाथों पड़कर कोई वस्तु/विषय बेहतर ख...अनाड़ी-नौसिखुआ के हाथों पड़कर कोई वस्तु/विषय बेहतर खुल सकता है। अनाड़ी के हल में अन्य का प्रवेश-निकास आसानी से हो सकता है, विशेषज्ञ का हल कवचयुक्त, व्याख्या-आश्रित होता है।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-12931252191776507112016-06-21T22:07:51.166+05:302016-06-21T22:07:51.166+05:30आपके लौट आने से ख़ुशी हुई......स्वागत ! अभिनंदन !!...आपके लौट आने से ख़ुशी हुई......स्वागत ! अभिनंदन !!<br />सिंहावलोकन का ‘नया रूप’ अच्छा लगा ।<br />आपका लिखा छत्तीसगढ़ को नज़दीक से देखने का अवसर प्रदान करता है ।<br />‘नवनीत’ तब तक नवनीत रहा जब तक नारायण दत्त संपादक रहे ।<br />शुभकामनाएँ ।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.com