tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post6224169366879350448..comments2024-03-29T11:26:01.369+05:30Comments on सिंहावलोकन: गांव दुलारूRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-53896711871445428572011-09-02T10:32:29.518+05:302011-09-02T10:32:29.518+05:30बहुत सुंदर, मुझे अपनी गुदरी माई याद आ गई।बहुत सुंदर, मुझे अपनी गुदरी माई याद आ गई।Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-41486895816066190212011-07-30T17:17:13.192+05:302011-07-30T17:17:13.192+05:30ऐसा लिखना ठीक नहीं है। क्यों मैं हर बार पढ़ने पर ए...ऐसा लिखना ठीक नहीं है। क्यों मैं हर बार पढ़ने पर एक पोस्ट लिखने की सोचूँ, यह ठीक नहीं।<br /><br />आधे से अधिक तो जटिल लगा और शुरु से पढ़ने पर पता चल गया कि बहुत ध्यान से और गम्भीरता से पढ़ने पर पता चलेगा। लेकिन आधे के बाद कुछ पल्ले पड़ा। साफ साफ कहूँ तो शुरु में कठिन लगा और किसी लेखक ने लिखा है, लगा।<br /><br />"अंतर तो हर जगह दिखाई देता है। रोज-दिन विकास की मंजिलें तय हो रही हैं। लोग पहले से अधिक चतुराई या कहें बुद्धिमानी सीख-जान चुके हैं।"<br /><br />यह वाक्य आज का लगा।<br /><br />"<br />बहुत पहले हमारे एक गुरुजी ने किसी पुराने शिलालेख के हवाले से बताया था- 'जानते हो, तुम्हारे गांव का इतिहास सात सौ साल पुराना है, जब कलचुरि राज-परिवार के अकलदेव ने मंदिर, तालाब व उपवन की रचना कर, इसे बसाया था।"<br /><br />यह देखकर याद आया कि मेरे गाँव से सटे गाँव का नाम है -शुम्भा। कहा जाता है कि यहाँ शुम्भ रहता था। याद आया? वही शुम्भ-निशुम्भ। दुर्गा सप्तशती।<br /><br />अब कुछ खुद का भी।<br /><br />हम भारतियों की आदत है(विदेशियों की भी हो सकती है लेकिन मैं नहीं जानता)कि हम शहर में रहकर गाँव को याद करते हैं और गाँव में रहकर शहर को। लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ कि आज अगर आपको गाँव वापस हमेशा के लिए रहना पड़े तो आप रहेंगे? जानता हूँ , आप बहाने खोजेंगे, बेटे-बेटी, पढ़ाई-लिखाई बहुत सी बात कहेंगे। लेकिन आपने यह तीस साल पहले लिखा है इसलिए आप पर आरोप ज्यादा नहीं लगा सकता।<br /><br />मैं तो गाँव को अधिक नहीं याद कर सकता क्योंकि मेरे जन्म के साल मेरे माता-पिता बगल के शहर में आ गए। वैसे गाँव दूर भी नहीं है। जब चाहें चले जाएंगे। कुछ मिनटों में ही।<br /><br />मेरे सवाल का ध्यान रहे।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-36426142698296322612011-06-22T12:59:10.525+05:302011-06-22T12:59:10.525+05:30निर्विवाद थी उसकी गंभीरता इसीलिये
भय पैदा कर लेती...निर्विवाद थी उसकी गंभीरता इसीलिये<br />भय पैदा कर लेती थी हर बार-<br />मुझे भी डर लगा उस रात जब गंभीरता से कहा दोस्त ने<br />कम होती जा रही हैं गौरय्याँ हमारे बीच।<br />उम्मीद की तरह दिखाई दी<br />एक गौरया दूसरी सुबह, जब<br />दुःस्वप्नों की ढेर सारी नदियाँ तैरकर<br />पार कर आया था मैं रात के इस तरफ।<br />मैंने चाहा कि वह आए मेरे कमरे में-<br />ताखे पर, किताबों की आलमारी पर,<br />रौशनदान पर,<br />आए आंखों की कोटर में, सीने के खोखल में,<br />भाषा में, वह आए और अपना घोसला बनाकर रहे।<br />मैंने चाहा कि वह आए और इतने अंडे दे<br />कि चूज़े अपनी आवाज़ से ढक दें-<br />दोस्त की गंभीर चिंता।<br />इतने दिनों में उसे बुलाने की<br />भाषा लेकिन मैं भूल गया था।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-23595899215988901322011-06-18T16:13:07.532+05:302011-06-18T16:13:07.532+05:30कई गांवों की, परिस्थितियों की, व्यक्तित्वों की, बद...कई गांवों की, परिस्थितियों की, व्यक्तित्वों की, बदलते संसार की कहानी... पढते वक्त प्रेमचंद याद आये...Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-34210368032681774672011-06-15T20:27:22.154+05:302011-06-15T20:27:22.154+05:30मन एक अजीब खुशबू से भर गया. शायद वह कारखाना बंद भ...मन एक अजीब खुशबू से भर गया. शायद वह कारखाना बंद भी हो गया था. पीताम्बर का क्या हुआ होगा!P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-62212377358910445792011-06-14T16:32:35.271+05:302011-06-14T16:32:35.271+05:30आज भी यथार्थ। कितनी बारीकी से तब और अब को उकेरा है...आज भी यथार्थ। कितनी बारीकी से तब और अब को उकेरा है भैया आपने। कमोबेश आज भी कितने गांव की यही स्थिति है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-5799454085979253712011-06-14T15:26:11.885+05:302011-06-14T15:26:11.885+05:30कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से...कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था <br />इसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-33956225820481276832011-06-14T15:25:23.813+05:302011-06-14T15:25:23.813+05:30मजा गया पढ़कर
मेरा भी बचपन में कुछ समय गाँव में गु...मजा गया पढ़कर<br />मेरा भी बचपन में कुछ समय गाँव में गुजरा है कभी कभी सोचता हूँ कि गाँव का जीवन ही अच्छा था सहर कि भागदौड़ बहरी जिंदगी से मन को छू रहा है आपका आलेख राहुल जी<br />बहुत बहुत आभार आपकासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-57705641064645865982011-06-14T14:08:51.669+05:302011-06-14T14:08:51.669+05:30A typical Rahul Singh's way of expression.A typical Rahul Singh's way of expression.G. M A N J U S A I N A T Hhttps://www.blogger.com/profile/11692328927562384645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-35238999812644642832011-06-13T20:49:01.067+05:302011-06-13T20:49:01.067+05:30ukt rachana ko padhate huye kabhi rekhachitra, kab...ukt rachana ko padhate huye kabhi rekhachitra, kabhi sansmaran to kabhi aanchalik katha jaisa aanand aaya. sadhuvad. laxmikant.लक्ष्मीकांत त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/18152316920002579619noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-31116208820739092272011-06-12T22:51:36.155+05:302011-06-12T22:51:36.155+05:30है बसा भारत हमारे गांवों में।है बसा भारत हमारे गांवों में।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-64472758403753365192011-06-12T09:33:15.203+05:302011-06-12T09:33:15.203+05:30अच्छी लगी गाँव की स्टोरी .अच्छी लगी गाँव की स्टोरी .ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-71691239416076601292011-06-11T22:51:20.746+05:302011-06-11T22:51:20.746+05:30ईमेल पर प्राप्त श्री महेश शर्मा जी की टिप्पणी-
अ...ईमेल पर प्राप्त श्री महेश शर्मा जी की टिप्पणी-<br />अकलतारा में अपना गांव और पिताम्बर में खुद को देख कर, यादों के भंवर में डूब रहा हूँ,और मुझे लगता है कि ऐसे पोस्ट नई पीढ़ी के लिए भी अधिक उपयोगी है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-20879369591121254732011-06-11T18:13:57.561+05:302011-06-11T18:13:57.561+05:30हर बार की तरह उसी अंदाज में फिर से रचना में जान डा...हर बार की तरह उसी अंदाज में फिर से रचना में जान डालकर हमारे सामने पेश करने का वही खुबसूरत अंदाज |<br />लेख पढ़कर हम भी अपने गाँव पहुच गये थे बहुत अच्छा एहसास हुआ आपका बहुत - बहुत शुक्रिया आपकी मेहनत को सलाम |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-69977958245159476652011-06-11T00:12:23.537+05:302011-06-11T00:12:23.537+05:30आपने गाँव की सैर करा दी.लगा जैसे मेरे अपने गाव की ...आपने गाँव की सैर करा दी.लगा जैसे मेरे अपने गाव की बात हो.लेखन शैली ऐसी कि दिल को छू गई.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-37535329195497942402011-06-10T09:00:47.249+05:302011-06-10T09:00:47.249+05:30बहुत सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है! मुझे गाँव ...बहुत सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है! मुझे गाँव जाने का कभी अवसर नहीं मिला इसलिए आपके पोस्ट के दौरान गाँव घूमना हो गया! बेहद पसंद आया!<br /> मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://seawave-babli.blogspot.com/<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-16591697495246960452011-06-10T08:44:06.468+05:302011-06-10T08:44:06.468+05:30बचपन और जवानी हमने भी सौभाग्य से गाँव में गुजारी ह...बचपन और जवानी हमने भी सौभाग्य से गाँव में गुजारी है...डर-असल मैं सोचता हूँ कि गाँव का जीवन ही असली जीवन है,वहीँ हम अपने रिश्ते-नाते और रहने के तौर-तरीके सीख पाते हैं.<br />आपने बिलकुल औपन्यासिक शैली में लिखा है यह लेख.एक-एक बात मन को छू लेती है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-41009829720560508332011-06-10T05:59:53.105+05:302011-06-10T05:59:53.105+05:30श्री सुखनंदन राठौर जी की ईमेल पर प्राप्त टिप्पणी...श्री सुखनंदन राठौर जी की ईमेल पर प्राप्त टिप्पणी-<br />bhaiya ji ...pranam...bahut badhiya he...<br /><br />श्री राजीव रंजन जी (वाराणसी) की ईमेल पर प्राप्त टिप्पणी-<br />"पहले चोंगे पर शादी और छट्ठी-बरही के गीत बड़ी पुलक से सुनता था, अब लाउड-स्पीकर पर इन्कलाबी और विकास के नारे सुनकर बिदकता है।"<br />kya khoob Sir Ji!Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-58369339244108706212011-06-09T23:14:59.219+05:302011-06-09T23:14:59.219+05:30एक बेहतर पोस्ट...नास्टेल्जिया के साथ यथार्थ की भी ...एक बेहतर पोस्ट...नास्टेल्जिया के साथ यथार्थ की भी पहचान...Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-13267860164618003592011-06-09T22:28:39.146+05:302011-06-09T22:28:39.146+05:30पूरे देश का यही दृश्य है कमोबेश.... विकास की कीमत ...पूरे देश का यही दृश्य है कमोबेश.... विकास की कीमत चुकाता...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-90136377745493904352011-06-09T22:04:55.512+05:302011-06-09T22:04:55.512+05:30वाकई आज ये संस्मरण हमारे आस-पास के गाँवों से भी जु...वाकई आज ये संस्मरण हमारे आस-पास के गाँवों से भी जुड़े लगते हैं. आभार.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-12668035055064182612011-06-09T21:51:38.892+05:302011-06-09T21:51:38.892+05:30मन की यह पुरानी मौज, लगता कि पोस्ट के ख्याल से क...मन की यह पुरानी मौज, लगता कि पोस्ट के ख्याल से काफी लंबी है, काट-छांट करूं, ताजा लिखा होता तो शायद कोशिश भी करता, लेकिन छूट गए से गांव की बातें न छूटें, बनी रहें, सोचकर वैसा ही पोस्ट किया. मनोयोग से यह पढ़ा गया, आभार. (कहना जरूरी नहीं, लेकिन कुछ टिप्पणियों के कारण स्पष्ट कर रहा हूं कि स्थान और पात्र वैसे सच्चे नहीं, जितने शायद लग रहे हैं.)Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-76698042448799024602011-06-09T21:18:03.318+05:302011-06-09T21:18:03.318+05:30एक Docufeature की तरह शुरू हुआ आलेख,कब एक संस्मरण ...एक Docufeature की तरह शुरू हुआ आलेख,कब एक संस्मरण में तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला.. पीताम्बर के माध्यम से एक बदले हुए शब्दकोष को देखकर मन द्रवित हो गया!! ह्रदय में भावनाओं की जगह चार अंकों ने कब्ज़ा जमा लिया है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-34593199855667614832011-06-09T20:42:49.104+05:302011-06-09T20:42:49.104+05:30सही कहा, हमारे गांव की ही कहानी लगी। हमें हमारे गा...सही कहा, हमारे गांव की ही कहानी लगी। हमें हमारे गांवों की सांस्कृतिक, पारंपरिक धरोहर को अक्षुण्ण बनाए रखने का प्रयत्न करते रहना चाहिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-62296335873582431822011-06-09T12:32:07.292+05:302011-06-09T12:32:07.292+05:30rahul bhai,
purani bato ki yad bahut aati hai, aap...rahul bhai,<br />purani bato ki yad bahut aati hai, aapne bahut sundar chitran kiya hai, aapko mera sadhuwad.Ashwini Kesharwanihttps://www.blogger.com/profile/04291947276851549603noreply@blogger.com