tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post5584997135542600013..comments2024-03-29T11:26:01.369+05:30Comments on सिंहावलोकन: आगत-विगतRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-34595809653083607242013-05-22T06:25:00.073+05:302013-05-22T06:25:00.073+05:30"प्रकृतिर्विकृतिस्तस्य रुपेण परमात्मनः।"..."प्रकृतिर्विकृतिस्तस्य रुपेण परमात्मनः।" "देश" जड है , " काल " अवधारणा है और <br /> " पात्र " मनुष्य है। कहानी हो या इतिहास , इन्हीं तीन का समुच्चय है , जहां यह <br />नहीं - शब्दातीत-शाश्वत । सम्यक एवँ सटीक शब्द-संयोजन । मैं इतिहास की विद्यार्थी नहीं <br />हूँ , मैं नहीं जानती थी कि इतिहास भी इतना रोचक हो सकता है । अनिवर्चनीय, अद्भुत ।<br />मजा आ गया । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-63352299014991623662013-01-19T19:33:27.963+05:302013-01-19T19:33:27.963+05:30 बचपन में मैं कहता था कि मैं पुरातत्ववेत्ता बनुंगा... बचपन में मैं कहता था कि मैं पुरातत्ववेत्ता बनुंगा, बाद में दिशा ही नहीं मिली और समय के प्रवाह में कुछ यूँ बहा कि पता नहीं कहाँ कहाँ बहता चला गया। आपकी पोस्ट का इंतजार रहता है पुरातत्व में डूबने के लिए, सुंदर प्रस्तुतिsourabh sharmahttps://www.blogger.com/profile/11437187263808603551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-57070491543348034552013-01-19T13:42:34.639+05:302013-01-19T13:42:34.639+05:30@ पुरातत्व, घर का ऐसा बुजुर्ग, जिसका सम्मान तो है,...@ पुरातत्व, घर का ऐसा बुजुर्ग, जिसका सम्मान तो है, ''हमारे देश का गौरवशाली अतीत और महान संस्कृति, हमारे धरोहर और हमारी सनातन परम्परा''... लेकिन परवाह शायद नहीं<br /><br />वाकई ...<br />हमारे देश में इस विभाग के कार्यान्वन के लिए जो धन आवंटित होता है शायद उसका 100 गुना भी कर दिया जाए तो भी कम होगा ! धरोहर ,परम्परा और संस्कृति की बाते करने वाले, अगला कदम लेना जानते ही नहीं :(<br />आभार और शुभकामनाएं ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-85064769817009263982013-01-18T11:07:54.782+05:302013-01-18T11:07:54.782+05:30फौरन ले पेसतर पुस्तक परकासित करे के उदिम कर डारव। ...फौरन ले पेसतर पुस्तक परकासित करे के उदिम कर डारव। ........<br /><br />sahi kahe hain bhaiji aapne.....<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-22410547760848359722013-01-17T10:08:20.109+05:302013-01-17T10:08:20.109+05:30अब्बड़ अकन बरा-सोंहारी ह तुँहर झाँपी म भराय हे। बन...अब्बड़ अकन बरा-सोंहारी ह तुँहर झाँपी म भराय हे। बने करत हो, एक-एक ठिक ल परसत हवव। सबो कोई ल एके सँग परस देहू त एला खावँ कि एला खाँव कस हो जाही। तभो ले आज नहीं त काली त परसे च्च लागिस हे, न? किताब के रूप म आही त सिरतोन म बहुँते मजा आही। अब जादा परीक्छा झन लेवव, भाई। फौरन ले पेसतर पुस्तक परकासित करे के उदिम कर डारव। <br />Harihar Vaishnavhttps://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-76218854517878982602013-01-17T10:06:12.925+05:302013-01-17T10:06:12.925+05:30अब्बड़ अकन बरा-सोंहारी ह तुँहर झाँपी म भराय हे। बन...अब्बड़ अकन बरा-सोंहारी ह तुँहर झाँपी म भराय हे। बने करत हो, एक-एक ठिक ल परसत हवव। सबो कोई ल एके सँग परस देहू त एला खावँ कि एला खाँव कस हो जाही। तभो ले आज नहीं त काली त परसे च्च लागिस हे, न? किताब के रूप म आही त सिरतोन म बहुँते मजा आही। अब जादा परीक्छा झन लेवव, भाई। फौरन ले पेसतर पुस्तक परकासित करे के उदिम कर डारव। <br />Harihar Vaishnavhttps://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-42221881062550865202013-01-17T08:50:34.096+05:302013-01-17T08:50:34.096+05:30 आदरणीय सिंह साहब को सादर अभिवादन सहित;
जिस प्रका... आदरणीय सिंह साहब को सादर अभिवादन सहित;<br /><br />जिस प्रकार कार्यालयीन काज में पीछे देख आगे बढ़ <br /><br />मतलब पूर्व में किये कार्य का अनुसरण करते चल की धारणा के साथ <br /><br />वर्तमान आवश्यकताओं के मिलाप के साथ इतिहास का महत्त्व है <br /><br />उसी प्रकार पुरातत्व के बारे में जानना भी अतिमहत्वपूर्ण है।<br /><br />बहुत ही सुन्दर आलेख ......आभार!<br /><br />सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-11745961357532515602013-01-17T08:49:00.422+05:302013-01-17T08:49:00.422+05:30This comment has been removed by the author.सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-24694760170276084552013-01-17T08:18:46.143+05:302013-01-17T08:18:46.143+05:30कई साल के पुरुत-पुरुत माढ़े आय वैष्णव जी, सादर आभ...कई साल के पुरुत-पुरुत माढ़े आय वैष्णव जी, सादर आभार.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-15682232226439775382013-01-17T08:15:51.522+05:302013-01-17T08:15:51.522+05:30श्री संजीव तिवारी ई-मेल परः
पुरातत्ववेत्ता ल बने फ...श्री संजीव तिवारी ई-मेल परः<br />पुरातत्ववेत्ता ल बने फलियारे हावव भईया.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-88497598287339747332013-01-17T06:53:36.038+05:302013-01-17T06:53:36.038+05:30सार्थक आलेख!सार्थक आलेख!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-23638082557619946832013-01-16T23:27:42.896+05:302013-01-16T23:27:42.896+05:30चकित कर देने वाले आपके चिन्तन-मनन को प्रणाम। कोटिश...चकित कर देने वाले आपके चिन्तन-मनन को प्रणाम। कोटिश: प्रणाम।Harihar Vaishnavhttps://www.blogger.com/profile/13169075818494539448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-58843618851864483052013-01-16T21:29:03.848+05:302013-01-16T21:29:03.848+05:30This comment has been removed by the author.Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-28737350345345260542013-01-16T21:24:38.101+05:302013-01-16T21:24:38.101+05:30इतिहास बोध और लेखन पर एक विद्वतापूर्ण आलेख! इतिहास बोध और लेखन पर एक विद्वतापूर्ण आलेख! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-72720811955893761492013-01-16T17:18:42.257+05:302013-01-16T17:18:42.257+05:30अर्थात् आगत और विगत के बीच मे जो शान्ति बनती है वह...अर्थात् आगत और विगत के बीच मे जो शान्ति बनती है वही इतिहास का निर्माण करती है।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-34829623161432964082013-01-16T15:18:31.509+05:302013-01-16T15:18:31.509+05:30प्रागैतिहासिक कालखण्ड की वर्तमान एवं भविष्य से त...प्रागैतिहासिक कालखण्ड की वर्तमान एवं भविष्य से तारतम्यता हमेशा है व रहेगी। अप्रत्यक्ष रुप से हम इस तारतम्यता में सम्मिलित भी हैं। परन्तु इतिहास तथा इससे सम्बद्ध शोध, अनुसन्धान, खोज और शोधार्थी, अनुसन्धानकर्ता, खोजकर्ता के बाबत स्वाभाविक संभाषणों एवं प्रदर्शनों की अनदेखी से दु:ख होता है। यह वैसे ही है कि हम घर में रहते हैं पर उसके निर्माण की प्रक्रिया से कितना प्रभावित होते हैं....निसन्देह बहुत कम या मन ही मन। आवश्यकता इतिहास को व्यापक स्तर पर रुचिकर बनाने की है।<br /> आपके विचार कालखण्डों के सन्दर्भ में अत्यन्त संवेदित हैं।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-74843582920525996212013-01-16T13:46:24.739+05:302013-01-16T13:46:24.739+05:30एक एक अनुच्छेद अपने आप में समर्थ है और पूरी व्याख्...एक एक अनुच्छेद अपने आप में समर्थ है और पूरी व्याख्या के साथ लिखा जा सकता है। हमारा मन अभी भी वही चाहता है जो सदियों पहले लिख दिया गया है..सच है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-44388780630597403722013-01-15T23:28:28.689+05:302013-01-15T23:28:28.689+05:30आपने सच ही कहा पुरातत्व, घर का ऐसा बुजुर्ग, जिसका...आपने सच ही कहा पुरातत्व, घर का ऐसा बुजुर्ग, जिसका सम्मान तो है, ''हमारे देश का गौरवशाली अतीत और महान संस्कृति, हमारे धरोहर और हमारी सनातन परम्परा''... लेकिन परवाह शायद नहीं। कई बार मुख्य धारा में आ कर वह आहत होने लगता है, तब लगता है कि हाशिये में रह कर उपेक्षित नहीं, बेहतर सुरक्षित है।<br />आपके सानिध्य में कुछ बातें समझ में आने लगी हैं फिर भी इतिहास या पुरातत्व पर कुछ कहने की औकात नहीं पड़ना और देखना भाता है आपका यह लेख सचमुच हमारे जैसे विद्यार्थी के लिए संग्रहनीय और अनुकरणीय है , तथ्यगत सूक्ष्म बातों के लिए नमन स्वीकारें Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-72012842717065116412013-01-15T22:21:54.216+05:302013-01-15T22:21:54.216+05:30राहुल जी, ये पोस्ट मुझे सबसे अच्छी लगी... आज तक की...राहुल जी, ये पोस्ट मुझे सबसे अच्छी लगी... आज तक की आप की सभी सुन्दर पोस्ट में शिखर पर... मार्वलस...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-44280605128544800482013-01-15T22:14:12.448+05:302013-01-15T22:14:12.448+05:30क्या बात...क्या बात...वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com