tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post5296348824768590272..comments2024-03-29T11:26:01.369+05:30Comments on सिंहावलोकन: रंगरेजी देसRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-55048751303781295872011-07-30T15:09:20.564+05:302011-07-30T15:09:20.564+05:30"बार-बार संदेश आने पर लगा कि इसे फारवर्ड करना..."बार-बार संदेश आने पर लगा कि इसे फारवर्ड करना ही होगा, कहीं मेरी राष्ट्रीयता संदिग्ध न हो जाए"<br />राष्ट्रीयता पर संदिग्धता के कारण मुझे तो पहला पैरा ही पसन्द आया और बालमुकुन्द की बातों में शुरु में कुछ कमी और बाद में कुछ सही सोच भी। ग्लोबल विलेज की बात पर और प्रतिभा की बात पर तो यहाँ नहीं कहना है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-22353244447563652382010-09-06T17:42:32.287+05:302010-09-06T17:42:32.287+05:30सहमत .. सौ फीसदी सही कह दिया आपने....!सहमत .. सौ फीसदी सही कह दिया आपने....!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-77843817865342888282010-09-06T08:18:58.904+05:302010-09-06T08:18:58.904+05:30गर्वानुभूति हुई । आपको धन्यवाद ।गर्वानुभूति हुई । आपको धन्यवाद ।खबरों की दुनियाँhttps://www.blogger.com/profile/02650413421178799430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-9653161501709597362010-09-04T10:20:29.322+05:302010-09-04T10:20:29.322+05:30मुझे स्वीकारने में कोई झिझक नहीं, बल्कि गर्व है क...मुझे स्वीकारने में कोई झिझक नहीं, बल्कि गर्व है कि यहां ऐसी भी टिप्पणियां आईं, जिनके सामने पोस्ट फीका और उनके बिना अधूरा सा ही लगने लगा. आदतन पीठ थपथपा देने वालों और दुआ-सलाम करते रहने वालों की टिप्पणी के साथ ऐसी एकाध-दो भी टिप्पणी पोस्ट पर आ जाए तो ब्लॉगिंग सार्थक है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-75879773323967754232010-09-02T20:42:12.082+05:302010-09-02T20:42:12.082+05:30.
गर्व तो होता है की हम भारतीय हैं। लेकिन इस तरह द....<br />गर्व तो होता है की हम भारतीय हैं। लेकिन इस तरह देश की प्रतिभाओं का पलायन देखकर अफ़सोस भी होता है। <br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-20527281089679270842010-09-02T09:14:19.805+05:302010-09-02T09:14:19.805+05:30पोस्ट में सार्थक गहन चिंतन प्रस्तुत किया है भईया...पोस्ट में सार्थक गहन चिंतन प्रस्तुत किया है भईया आपने, आपकी भावनाओं को नमन।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-88783021762463439022010-09-02T09:13:37.602+05:302010-09-02T09:13:37.602+05:30आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की ह...आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !<br /> बहुत बढ़िया लगा!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-58225043635338078842010-09-01T03:02:34.764+05:302010-09-01T03:02:34.764+05:30Bahut accha hai.Bahut accha hai.surjithttps://www.blogger.com/profile/08665583467852567928noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-35285547472117530732010-09-01T01:33:46.309+05:302010-09-01T01:33:46.309+05:30बहुत सुन्दर !!
श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई...बहुत सुन्दर !!<br /><br />श्रीकृष्णजन्माष्टमी की बधाई .<br /><br />जय श्री कृष्ण !!!ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-14828512104871407532010-08-31T21:15:53.983+05:302010-08-31T21:15:53.983+05:30चाचू,आपका पोस्ट पढ़कर कुछ बातें दिमाग में आई हैं....चाचू,आपका पोस्ट पढ़कर कुछ बातें दिमाग में आई हैं. पहली बात- जब हम 'वसुधैव कुटुम्बकम' या 'ग्लोबल विलेज' की बात करते हैं, तो कहीं न कहीं हमको अपने दृष्टिकोण को ऊपर उठाना पड़ेगा और क्षेत्रवासी की जगह पृथ्वीवासी होने को अधिक प्राथमिकता देनी होगी. दूसरी बात - क्षेत्रवाद का बहुत बड़ा कारण लोगों का आर्थिक और अन्य किस्म का पिछड़ापन है, जिसके लिए वो खुद को दोष देने के बजाय बाहर से आने वालों को दोष देते हैं. खुद की योग्यता बढ़ाना मुश्किल काम है, किसी को अपने पिछड़ने के लिए दोष देना ज्यादा आसान. लोग आसान रास्ता अधिक चुनते हैं. तीसरी बात - प्रतिभा हर जगह, हर क्षेत्र में होती है. EVERY CHILD IS A GENIUS. <br />प्रतिभा का किसी जगह विशेष से संबंधित होना एक सांयोगिक घटना है, गर्व करना तब और अधिक उचित होगा जब उस प्रतिभा को तराशने में भी कुछ भूमिका हो. ये आंकड़े प्रतिभा पलायन को भी सूचित करते हैं. क्या हम अपनी प्रतिभाओं को सही वातावरण उपलब्ध करा पा रहे हैं, सोचनीय विषय है. अंतिम बात - यदि ये मेरी संकीर्णता हो तो माफी चाहूंगा, परंतु अंगरेजों के इस देश को जीतने में बहुत बड़ी भूमिका उन भारतीय सैनिकों की भी थी, जो रोजी-रोटी के लिए अंगरेजों की सेना में नौकरी करते थे. आज भी बहुत सारे भारतीय अपनी रोजी-रोटी के लिए यूएसए में काम करते हैं और उस देश को सर्वाधिक शक्तिशाली और समृद्ध बनाए रखने में अपना बहुत बड़ा योगदान देते हैं. वास्तव में ये यूएसए और आइबीएम के लिए गर्व का विषय ज्यादा है कि हमारे यहो के लोग वहां काम करना चाहते हैं, वो बढि़या,अच्छी रोजी-रोटी और उचित पारिश्रमिक दे सकते हैं. हमारे लिए तो सोचनीय विषय है कि ''हमारे देश का मानव संसाधन, किसी और देश को अमीर और शक्तिशाली बना रहा है, और मजे की बात तो यह है कि हम उस पर गर्व भी कर रहे हैं''. USA KNOWS HOW TO UTILIZE THE NATURAL N HUMAN RESOURCE, FOR SELF-BENEFIT, NOT ONLY OF THEIR COUNTRY, BUT OF ANY COUNTRY. WE ARE EVEN UNABLE TO UTILISE THE HUMAN RESOURCE OF OUR OWN COUNTRY. मुझे लगता है कि यह भी एक VICHAARNIYA विषय हो सकता है.Balmukundhttps://www.blogger.com/profile/00879256773986591319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-39664877204129075052010-08-31T21:00:58.090+05:302010-08-31T21:00:58.090+05:30सहमत ..सहमत ..Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-78519487260959927972010-08-31T19:31:56.128+05:302010-08-31T19:31:56.128+05:30पढ़कर अच्छा लगा .
बधाई!पढ़कर अच्छा लगा .<br />बधाई!राजू रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/06383761662659426684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-83418207133261626542010-08-31T14:04:33.688+05:302010-08-31T14:04:33.688+05:30हम अस्मिता के साथ अपना प्रभुत्व परंपरा, प्रतिभा औ...हम अस्मिता के साथ अपना प्रभुत्व परंपरा, प्रतिभा और उद्यम जैसी अहिंसक क्षमता से अर्जित करते आए हैं और करेंगे.<br />...aapki puri baato se sahamat hun.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-20486332056884030342010-08-31T13:49:06.198+05:302010-08-31T13:49:06.198+05:30हम अस्मिता के साथ अपना प्रभुत्व परंपरा, प्रतिभा औ...हम अस्मिता के साथ अपना प्रभुत्व परंपरा, प्रतिभा और उद्यम जैसी अहिंसक क्षमता से अर्जित करते आए हैं और करेंगे....गहन चिंतन...सामयिक प्रस्तुति....साधुवाद. <br />________________<br />'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-7778468095932353262010-08-31T12:02:50.084+05:302010-08-31T12:02:50.084+05:30This comment has been removed by the author.Balmukundhttps://www.blogger.com/profile/00879256773986591319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-18629513380964291332010-08-31T11:02:41.769+05:302010-08-31T11:02:41.769+05:30वसुधैव कुटुम्बकम् का नारा देते-देते हम कहां आ पहुं...वसुधैव कुटुम्बकम् का नारा देते-देते हम कहां आ पहुंचे!शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-80746233676748588532010-08-31T10:01:01.702+05:302010-08-31T10:01:01.702+05:30...बेहद सार्थक व प्रभावशाली अभिव्यक्ति, बधाई !!!...बेहद सार्थक व प्रभावशाली अभिव्यक्ति, बधाई !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-24235813408372635082010-08-31T09:56:54.878+05:302010-08-31T09:56:54.878+05:30अयं निजो परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु...अयं निजो परो वेति गणना लघुचेतसाम्।<br />उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥<br /><br />सृष्टि में कई लाख ग्रह हैं। परमात्मा की सृष्टि अनंत है। उनमें एक पृथ्वी है। इसलिए वह हमारा छोटा सा कुटुम्ब है। हम तो विश्व व्यापक हैं। हमारा कुटुम्ब दूर तक फैला है। चंद्र, मंगल, सब हमारे कुटुम्ब में आते हैं। पृथ्वी हमारा छोटा सा कुटुम्ब है- इतनी व्यापक दृष्टि हमारे पूर्वजों की थी। वेद में शब्द आया है- 'विश्वमानुष' अर्थात् 'मैं विश्व मानव हूं।' <br /><br />लेकिन मनुष्य अपने छुद्र स्वार्थों की पूर्ती के लिए सीमाएं बांध कर उनका उपयोग शुरु कर दे्ता है। कहा गया है "स्वदेशे पुज्यते राजा, विद्वानं सर्वत्र पुज्यंते।<br /><br />सारगर्भित पोस्ट के लिए आपको साधुवाद भाई साहबब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-22773159068945453512010-08-30T21:02:08.240+05:302010-08-30T21:02:08.240+05:30आपने अन्तिम वाक्य में संस्कृति व पोस्ट का निचोड़ र...आपने अन्तिम वाक्य में संस्कृति व पोस्ट का निचोड़ रख दिया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-71836817400282982962010-08-30T18:45:39.386+05:302010-08-30T18:45:39.386+05:30मनुष्य धरती पर पसरता क्यों है ? और धरती का कोई अंश...मनुष्य धरती पर पसरता क्यों है ? और धरती का कोई अंश किसी खास मनुष्य समूह की पुश्तैनी जागीर क्यों हो जाता है ? किसी भूखंड पर अपनी आमद और अपनी रिहायश के एन बाद आने वाले लोग उसे बहिरागत लगने लगते हैं ? एक होकर भी उसकी पर्सोनालिटी इतना स्प्लिटिंग इम्पैक्ट क्यों देती है ? वो धरती को भी खण्ड खण्ड होकर क्यों देखता है ? उसनें अपने लिए राष्ट्रीयताएं और अकारण के गौरवबोध क्यों गढ़ डाले हैं ? स्वयं से इतर देशभक्ति के प्रमाणपत्रों का वितरणाधिकार उसकी हदूद में क्यों है ?...और...और...और भी !<br /><br />सिंह साहब आज आपका आलेख पढकर कितना खुश हूं कह नहीं सकता ! हमारे अपने द्वैध को किस कदर ख़ूबसूरती से उधेड़ डाला है आपने ! मनुष्यता के एक्य और सोच का बड़प्पन ! कितने और बौद्धिक होंगे जो इतना सहज होकर अयाचित और अवांछित को ठुकराने का साहस रखते हों ! आपने अपनी बात तथ्यपरक ढंग से कही है, एक ऐतिहासिक और सम्यक दृष्टि बोध के साथ ! चिंतन के उथलेपन पर गहरी मार करते हुए आपके आलेख के लिये ! एक ही शब्द है मेरे पास ! साधुवाद ! साधुवाद ! साधुवाद !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-91365937981728435392010-08-30T18:25:36.935+05:302010-08-30T18:25:36.935+05:30Sahi kaha sir...
Mujhe apne bhartiy hone par garv...Sahi kaha sir... <br />Mujhe apne bhartiy hone par garv karne ke liye kisi gadit ki zaroorat nahi...Ravish Tiwarihttp://alfaazspecial.blogspot.com/noreply@blogger.com