tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post2829035154146739928..comments2024-03-29T11:26:01.369+05:30Comments on सिंहावलोकन: नाग पंचमीRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-80500371853583129512023-12-23T23:31:40.513+05:302023-12-23T23:31:40.513+05:30और एक कविता यह कदंब का पेड़और एक कविता यह कदंब का पेड़Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-81301871389444773972023-12-23T23:30:48.110+05:302023-12-23T23:30:48.110+05:30यह कदंब का पेड़यह कदंब का पेड़Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-91552381730007338752023-12-23T23:27:38.396+05:302023-12-23T23:27:38.396+05:30औरऔरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-62742328094655525782023-08-21T11:58:20.330+05:302023-08-21T11:58:20.330+05:30मेरी बेतुकी याददाश्त की चर्चा कर आपने मेरा जख्म कु...मेरी बेतुकी याददाश्त की चर्चा कर आपने मेरा जख्म कुरेद दिया है । मैं जरूरी और गैर जरूरी में अब भी फर्क नहीं कर पाता ।<br /> आम तौर पर व्यवहारिक जगत में ये सब कुछ दिमाग में भरा रखना , लगता है दिमाग को over crowded कर देता होगा पर ये जहन से चिपकी हुई हैं ।<br /> शायद मुन्नाभाई वाला केमिकल लोचा जैसा कुछ है ।आप इतना जानते हैं ,बतायें कुछ ऐसा ही तो नहीं है ।<br />इतने स्नेह से स्मरण के लिये आभार ।<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-22884243611323886842023-08-21T10:54:40.752+05:302023-08-21T10:54:40.752+05:30जय जय भैया ,,,नमस्कार,,,,रविन्द्र मामा को नमस्कारजय जय भैया ,,,नमस्कार,,,,रविन्द्र मामा को नमस्कारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-14005166523076506082023-04-14T22:56:47.612+05:302023-04-14T22:56:47.612+05:30Lalla tu bahar ja na kahi kavita poori post karen ...Lalla tu bahar ja na kahi kavita poori post karen plz<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-35523094556708184972022-02-24T13:18:55.925+05:302022-02-24T13:18:55.925+05:30मैंने भी अपने समय में पड़ा है 🙏😌मैंने भी अपने समय में पड़ा है 🙏😌Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01976103766610012139noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-88734179285839359602021-09-23T23:09:16.214+05:302021-09-23T23:09:16.214+05:30मैरे बचपन की कशिता। पहलवान वाली।धन्यवाद। पूरी कवित...मैरे बचपन की कशिता। पहलवान वाली।धन्यवाद। पूरी कविता भैजने का कष्ट करें। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01556297401368727600noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-46044739724423469992021-09-06T21:05:54.850+05:302021-09-06T21:05:54.850+05:30पुरानी यांदे ताजा हो गई।इधर उधर जहां कहीं, दिखी जग...पुरानी यांदे ताजा हो गई।इधर उधर जहां कहीं, दिखी जगह चले वहीं।<br />कमीज को उतार कर, पचास दंड मारकर।<br />अजी उठे अजब शान है, अरे ये पहलवान है।<br />*यह कविता पूर्ण भेजने का कष्ट करेंAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/06009149573791954083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-26081218466973125502020-09-21T21:49:47.446+05:302020-09-21T21:49:47.446+05:30बहुत खोज के बाद ये कविता मिली,बहुत अच्छी लगी,कुश्त...बहुत खोज के बाद ये कविता मिली,बहुत अच्छी लगी,कुश्ती के दाँवपेंच जहन में तरोताज़ा हो गये क्योंकि गांव में अक्सर कुश्ती लड़ते रहते थे।शुक्रगुजार हूँ आप सभी का।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00836996957532940774noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-15026259680265376652020-07-25T13:41:38.762+05:302020-07-25T13:41:38.762+05:30
सूरज के आते भोर हुआ
लाठी लेझिम का शोर हुआ
यह नागप...<br />सूरज के आते भोर हुआ<br />लाठी लेझिम का शोर हुआ<br />यह नागपंचमी झम्मक-झम<br />यह ढोल-ढमाका ढम्मक-ढम<br />मल्लों की जब टोली निकली।<br />यह चर्चा फैली गली-गली<br />दंगल हो रहा अखाड़े में<br />चंदन चाचा के बाड़े में।।<br /><br /><br /> <br />सुन समाचार दुनिया धाई,<br />थी रेलपेल आवाजाई।<br />यह पहलवान अम्बाले का,<br />यह पहलवान पटियाले का।<br />ये दोनों दूर विदेशों में,<br />लड़ आए हैं परदेशों में।<br />देखो ये ठठ के ठठ धाए<br />अटपट चलते उद्भट आए<br />थी भारी भीड़ अखाड़े में<br />चंदन चाचा के बाड़े में।।<br /><br />वे गौर सलोने रंग लिये,<br />अरमान विजय का संग लिये।<br />कुछ हंसते से मुसकाते से,<br />मूछों पर ताव जमाते से।<br />जब मांसपेशियां बल खातीं,<br />तन पर मछलियां उछल आतीं।<br />थी भारी भीड़ अखाड़े में,<br />चंदन चाचा के बाड़े में॥<br /><br />यह कुश्ती एक अजब रंग की,<br />यह कुश्ती एक गजब ढंग की।<br />देखो देखो ये मचा शोर,<br />ये उठा पटक ये लगा जोर।<br />यह दांव लगाया जब डट कर,<br />वह साफ बचा तिरछा कट कर।<br />जब यहां लगी टंगड़ी अंटी,<br />बज गई वहां घन-घन घंटी।<br />भगदड़ सी मची अखाड़े में,<br />चंदन चाचा के बाड़े में॥<br /><br />वे भरी भुजाएं, भरे वक्ष<br />वे दांव-पेंच में कुशल-दक्ष<br />जब मांसपेशियां बल खातीं<br />तन पर मछलियां उछल जातीं<br />कुछ हंसते-से मुसकाते-से<br />मस्ती का मान घटाते-से<br />मूंछों पर ताव जमाते-से<br />अलबेले भाव जगाते-से<br />वे गौर, सलोने रंग लिये<br />अरमान विजय का संग लिये<br />दो उतरे मल्ल अखाड़े में<br />चंदन चाचा के बाड़े में।।<br /><br />तालें ठोकीं, हुंकार उठी<br />अजगर जैसी फुंकार उठी<br />लिपटे भुज से भुज अचल-अटल<br />दो बबर शेर जुट गए सबल<br />बजता ज्यों ढोल-ढमाका था<br />भिड़ता बांके से बांका था<br />यों बल से बल था टकराता<br />था लगता दांव, उखड़ जाता<br />जब मारा कलाजंघ कस कर<br />सब दंग कि वह निकला बच कर<br />बगली उसने मारी डट कर<br />वह साफ बचा तिरछा कट कर<br />दंगल हो रहा अखाड़े में<br />चंदन चाचा के बाड़े में।।<br /><br />- सुधीर त्यागीHarshVyas09https://www.blogger.com/profile/08370686947911673591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-771117368229973752019-07-16T00:28:30.689+05:302019-07-16T00:28:30.689+05:30Bhare bhare SE gaal he, tani
Hui Si chal he kahi J...Bhare bhare SE gaal he, tani<br />Hui Si chal he kahi Jo chot kha Gaye to muskura Ke bhul Gaye ye sher Ke samaan he are ye pahalwan he<br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09139336388717136314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-88818112666939471022018-08-10T10:40:48.352+05:302018-08-10T10:40:48.352+05:30पुन: बचपन में ले जाने के लिये आपको सादर नमन। एक कव...पुन: बचपन में ले जाने के लिये आपको सादर नमन। एक कविता मुझे भी याद आ गई है:-<br />अम्मा <br /><br />बडी भली है अम्मा मेरी <br />ताजा दूध पिलाती है| <br />मीठे मीठे फल लेकर <br />मुझको रोज खिलाती है| <br /><br />कपड़े भी पहनाती अच्छे <br />मीठे गीत सुनाती है| <br />रोज सुनाती नई कहानी <br />मेरा दिल बहलाती है| <br /><br />रोज घुमाने ले जाती है <br />मेरा मन बहलाती है| <br />मेरा राजा बच्चा कहकर <br />मुझको सदा बुलाती है| <br /><br />कभी ज़रा बीमार पड़ते <br />झटपट दवा पिलाती है| <br />बड़ी भली है अम्मा मेरी <br />मुझको बहुत ही भाती है| <br /><br /><br />अरविंद कुमार शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-66298771916028668972018-07-15T18:35:04.102+05:302018-07-15T18:35:04.102+05:30Purani yaad taza ho gayi
Purani yaad taza ho gayi<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06615825565237756840noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-46288877026371932962010-11-15T00:15:28.541+05:302010-11-15T00:15:28.541+05:30पहली बार शायद आपके ब्लॉग पर आना हुआ और बहुत ही सुख...पहली बार शायद आपके ब्लॉग पर आना हुआ और बहुत ही सुखद रहा , पुराने दिनों की याद ताजा हो गयी !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-57295973681132799212010-11-14T12:25:05.720+05:302010-11-14T12:25:05.720+05:30सिसोदिया जी के इस परिचय के लिये आभार । हमे तो &quo...सिसोदिया जी के इस परिचय के लिये आभार । हमे तो " कमीज़ को उतार कर पचास दंड मारकर " बस इतना ही याद है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-42123555519505124482010-11-14T12:23:03.855+05:302010-11-14T12:23:03.855+05:30पहली बार आपका ब्लाग देखा सुखद अनुभूति हुयी। कविताय...पहली बार आपका ब्लाग देखा सुखद अनुभूति हुयी। कवितायें बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-8570726490239937442010-11-13T20:37:51.584+05:302010-11-13T20:37:51.584+05:30युनूस जी ने इसकी फरमाइश काफी पहले की थी, तब सारा न...युनूस जी ने इसकी फरमाइश काफी पहले की थी, तब सारा नेट और आसपास खंगाला था लेकिन यह नहीं मिली थी। अब आपने उपलब्ध करवा दिया। काफी कुछ याद आया इन्हें पढ़करSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-891912170933871702010-11-13T20:30:56.381+05:302010-11-13T20:30:56.381+05:30सुन्दर कवितायें।सुन्दर कवितायें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-70975470352983321952010-11-13T16:57:09.737+05:302010-11-13T16:57:09.737+05:30नागपंचमी याद आते ही अकलतरा में दल्हा पहाड़ की तलहट...नागपंचमी याद आते ही अकलतरा में दल्हा पहाड़ की तलहटी में लगने वाला मेला याद आ जाता है इस साल तो उत्साहजनक यह था कि अपनी अब तक कि उम्र में इतने लोगों को दल्हा जाते हुए मैं कभी नहीं देखा ऐसा लगा जैसे सारा इलाका ही प्रकृति की उस अनुपम छटा को निहारने को उत्सुक था इससे एक आस मन में जगी कि शायद हम अपने पारंपरिक त्यौहारों उत्सवों की तरफ फिर से कदम बढ़ा रहें हैं. रवि भैया कि बात ही और है सही में वे बिना गूगलिंग के गूगल है पुरानी यादों को ताजा करदेने वाले उम्दा पोस्ट के लिए हार्दिक बधाइयाँishwar khandeliyahttps://www.blogger.com/profile/01408727603986293583noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-32568368136122195222010-11-13T10:00:43.289+05:302010-11-13T10:00:43.289+05:30हम जब प्रायमरी स्कूल में पढ़ते थे तब यही बाल भारती...हम जब प्रायमरी स्कूल में पढ़ते थे तब यही बाल भारती पाठ्यक्रम में थी। उस समय ये सारे गीत कण्ठाग्र थे। आज आपने इन गीतों को यहां देकर बचपन की याद दिला दी। सिंह साहब, बहुत-बहुत आभार आपका।<br />आज लग रहा है ब्लागिंग में कूदना सार्थक हो गया।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-59540293242448888042010-11-13T08:50:55.213+05:302010-11-13T08:50:55.213+05:30वाह राहुल जी! प्रायमरी स्कूल के दिनों की याद दिला ...वाह राहुल जी! प्रायमरी स्कूल के दिनों की याद दिला दी। बालभारती में तो हमने भी इन कविताओं को पढ़ा था लगभग 50-51 साल पहले।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-46301266886560969602010-11-13T08:21:34.943+05:302010-11-13T08:21:34.943+05:30पहलवान वाली कविता तो गज़ब की है...नाग पंचमी भी बहु...पहलवान वाली कविता तो गज़ब की है...नाग पंचमी भी बहुत अच्छी लगी. मुझे भी बचपन की बहुत सी कवितायेँ याद आ गयी.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-77569121989165016102010-11-13T07:02:01.886+05:302010-11-13T07:02:01.886+05:30बहुत बहुत शुक्रिया।
एक रचना जिसके मिलने की उम्मी...बहुत बहुत शुक्रिया। <br />एक रचना जिसके मिलने की उम्मीद खत्म ही हो गई थी<br />वो आपकी वजह से मिल गयी। <br /><br />बहुत बहुत शुक्रिया। <br /><br />यूनुसYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-26746951329420823352010-11-13T06:43:26.305+05:302010-11-13T06:43:26.305+05:30कईयों को लपेटा है बढियां समेटा हैकईयों को लपेटा है बढियां समेटा हैArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com