tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post696252558609467016..comments2024-03-15T12:16:49.606+05:30Comments on सिंहावलोकन: बेरोजगारीRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-17598483071119510462012-05-01T12:57:20.246+05:302012-05-01T12:57:20.246+05:30इस घटना के साथ दिल्ली विश्वविद्यलय छात्र स्व गोस्व...इस घटना के साथ दिल्ली विश्वविद्यलय छात्र स्व गोस्वामी द्वारा मंडल के विरोध में किये गए आत्मदाह की भी चर्चा की जानी चाहिए तभी बेरोजगारी और बेरोजगार रह जाने की भीति पर पूरी मानसिक यंत्रणा को समग्र रूप से देखा जा सकेगा और "राजा नहीं फकीर है देश की तकदीर है " जैसे बलिदानी,कवी ,साहित्यकार और जाने क्या -क्या ? की असलियत कोराजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-21472404134864220512012-04-27T10:12:18.184+05:302012-04-27T10:12:18.184+05:30संवेदनहीनता की सीमा कहाँ तक जायेगी समझनहीं पाती .क...संवेदनहीनता की सीमा कहाँ तक जायेगी समझनहीं पाती .कहीं से कोई आसरा मिलता तो शायद वह इतना बड़ा कदम न उठाता.अत्यंत दुखद !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-86873004013851954852012-04-27T07:47:48.518+05:302012-04-27T07:47:48.518+05:30सवाल मजबूत हो कर ही उत्तर की तलाश के लिए मजबूर कर...सवाल मजबूत हो कर ही उत्तर की तलाश के लिए मजबूर करते हैं, वरना कठिन सवाल मानकर, आसान प्रश्नों को हल कर, पासिंग मार्क ले कर, व्यवस्था प्रगति के रास्ते तय कर लेती है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-62414608617687218432012-04-27T07:33:09.203+05:302012-04-27T07:33:09.203+05:30प्रश्न तो कई हैं हैं किन्तु उत्तर....?प्रश्न तो कई हैं हैं किन्तु उत्तर....?BS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-48355499058345097312012-04-27T07:09:54.747+05:302012-04-27T07:09:54.747+05:30संवेदनहीनता दुखद है , न जाने कितने कमेश्श्वर सिंह ...संवेदनहीनता दुखद है , न जाने कितने कमेश्श्वर सिंह ,,,इस व्यवस्था में आत्मदाह करते रहेंगे...... कब तकudaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-688684856600132042012-04-26T23:29:59.702+05:302012-04-26T23:29:59.702+05:30बेरोजगारी के आगे की स्थिति अराजकता है.
यहाँ से चमच...बेरोजगारी के आगे की स्थिति अराजकता है.<br />यहाँ से चमचागिरी का दौर शुरू होता है. दो जून की रोटी के खाते वक़्त शायद इंसान अपने द्वारा की जा रही नौकरी के काम से एक बरगी असंतुष्टि भी अंतर्मन में महसूस करता होगा..लेकिन परिवार के आगे वो इन सब बातों को भूलने की कोशिश में लगा रहता हैं..सुबह फिर उस "नौकरी" की और आगे बढ़ जाता है...<br />कम से कम समकालीन दौर में तो येही हो रहा हैं....बड़ा अधिकारी छोटे अधिकारी को निचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता है..<br />ये शासकीय और गैर शासकीय दोनों जगह लागु है..<br />बेहद अच्छा विषय<br />सादर<br />बिकास के शर्माUnknownhttps://www.blogger.com/profile/17491387973702078608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-38051019174991724152012-04-26T23:22:15.871+05:302012-04-26T23:22:15.871+05:30At a time when Print and Electronic Media is incom...At a time when Print and Electronic Media is incompetent to raise such issues and help enable individual to be Strengthen, such an initiation from your side (individually) is milestone to the development of alternate media...<br />Gone are the days when Media used to write on such issues. In CG itself (esp Korba and Bilaspur)none of the newspapers are publishing news concerning irregularities in wages and other issues that may be of some help to people working out there in these specific areas.<br />Sir, Salute you for this Post.<br />Learning a lot from your posts...<br />Regards<br />Bikash K. SharmaUnknownhttps://www.blogger.com/profile/17491387973702078608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-19595625581573552932012-04-26T21:17:41.538+05:302012-04-26T21:17:41.538+05:30बेरोजगारी बड़ा भद्दा सब्द है यह न सिर्फ रुपए से स...बेरोजगारी बड़ा भद्दा सब्द है यह न सिर्फ रुपए से सम्बद्ध है बल्कि आदमी को यह अहसास भी करता के दुनिया के उसका होना या न होना कोई मायने नहीं रखता.यही निर्थकता का अहसास ही इसकी सबसे बुरी चीज है.फिर भी आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान तो नहीं है .पर आदमी भी तो आखिर आदमी ही है. इस पर अटल बिहारी बाजपाई की कविता की लाइन मुझे याद आ रही है. आदमी को चाहिए की वह परिस्थियों से लड़े | अगर उसका एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गड़े || <br /> मेरी एन्क्यावन कविता से <br />कामेश्वर सिंह को श्रद्धांजलि सहित <br /><br /> - विवेक राज सिंह, अकलतराविवेकराज सिंहhttps://www.blogger.com/profile/15536634754311915828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-8915788741625004622012-04-26T14:46:56.826+05:302012-04-26T14:46:56.826+05:30बड़े हिम्मत का काम है खुद को मिटाना और
कितना त्रा...बड़े हिम्मत का काम है खुद को मिटाना और <br />कितना त्रासद है कोई सहारा न मिलना. <br />शायद मरने की पीड़ा जीने से ज्यादा रही होगी . <br />जियादा नहीं आसूं न छलकेंRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-92146761570742694592012-04-26T12:22:04.041+05:302012-04-26T12:22:04.041+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति |
शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ...आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति |<br />शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ||<br /><br />सादर <br /><br />charchamanch.blogspot.comरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-55641589202372449462012-04-26T10:16:49.071+05:302012-04-26T10:16:49.071+05:30निसंदेह.निसंदेह.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-81908613058301700692012-04-26T05:06:47.264+05:302012-04-26T05:06:47.264+05:30मार्मिक..... बहुत दुखद होती हैं ऐसी परिस्थितियांमार्मिक..... बहुत दुखद होती हैं ऐसी परिस्थितियां डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-30362125217571547432012-04-25T23:22:25.351+05:302012-04-25T23:22:25.351+05:30ये एक ऐसी समस्या है जिसका निदान खद्दर वेश धारी के ...ये एक ऐसी समस्या है जिसका निदान खद्दर वेश धारी के लिए कोई प्राथमिकता नहीं रखती।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-67235803681063978452012-04-25T21:57:41.156+05:302012-04-25T21:57:41.156+05:30मरना- आत्म हत्या समाधान नहीं ...मरना- आत्म हत्या समाधान नहीं ...Dr. Braj Kishorhttps://www.blogger.com/profile/06982842671013664280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-38910604591461087902012-04-25T19:35:29.465+05:302012-04-25T19:35:29.465+05:30Mushkilen chain reaction ki tarah aati hain ... ek...Mushkilen chain reaction ki tarah aati hain ... ek ke baad ek. Eki to berojgari upar se aatmdaah ke baad ki rajniti . Afsos ! <br />Is mahattvpoorn mudde ko hamse share karne ke liye aapka dhanyvaad chahaji ! Ummeed hai ki aisa aage na ho iske liye sab milkar prayas karenge .संज्ञा अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/02117184281589389785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-14147017735434587852012-04-25T14:36:40.878+05:302012-04-25T14:36:40.878+05:30berojgari ki aaG N JANE KITNU KO SWAHA KARTI HAIberojgari ki aaG N JANE KITNU KO SWAHA KARTI HAIगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-92036756412790371692012-04-25T11:05:22.134+05:302012-04-25T11:05:22.134+05:30आज के दौर में ये घटना होती तो कई टीवी कैमरे उस पर...आज के दौर में ये घटना होती तो कई टीवी कैमरे उस पर फ्लैश कर रहे होते, लेकिन उसकी आग़ बुझाने की किसी को फिक्र नहीं होती...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-7571964340264267912012-04-25T10:28:31.059+05:302012-04-25T10:28:31.059+05:30बड़ा मार्मिक कष्ट-प्रद, सारा यह दृष्टांत ।
असहनीय ...बड़ा मार्मिक कष्ट-प्रद, सारा यह दृष्टांत ।<br />असहनीय जब परिस्थित, सहज लगे प्राणांत ।<br /><br />सहज लगे प्राणांत, प्रशासन की अधमाई ।<br />या कोई षड्यंत्र, समझ मेरे ना आई ।<br /><br />पर प्राणान्तक कष्ट, झेल तू प्रियजन खातिर ।<br /> बिन तेरे परिवार, मिटा दे दुनिया शातिर ।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-2653284635419977502012-04-25T09:36:00.387+05:302012-04-25T09:36:00.387+05:30बेहद दुखदायी प्रकरण ...
कामेश्वर जैसों को बचाने की...बेहद दुखदायी प्रकरण ...<br />कामेश्वर जैसों को बचाने की कोशिश कोई नहीं करता .Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-40564668838970516162012-04-25T09:20:24.272+05:302012-04-25T09:20:24.272+05:30उफ़ !
पीड़ा और अवसाद की गहन अनुभूति कराता आपका आले...उफ़ !<br />पीड़ा और अवसाद की गहन अनुभूति कराता आपका आलेख अनेक अनेक कामेश्वरों के गुमनाम अस्तित्व का पता देता है<br />अफ़सोस ! बहुत अफ़सोस !!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-84323267595717163102012-04-25T09:18:54.848+05:302012-04-25T09:18:54.848+05:30बेरोजगारी की पीड़ा समझना बहुत कठिन है, वह भी जब आप...बेरोजगारी की पीड़ा समझना बहुत कठिन है, वह भी जब आप पर ही सबका उत्तरदायित्व हो। मार्मिक घटना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-34804978446668273442012-04-25T09:15:14.538+05:302012-04-25T09:15:14.538+05:30संवेदना शून्य लोगों को जगाने के लिए यह एक अच्छा मा...संवेदना शून्य लोगों को जगाने के लिए यह एक अच्छा माध्यम है। रोज-रोज मरने से अच्छा है एक बार ऐसे मरो कि कम से कम मरने के बाद तो लोग महसूस करें कि उन्होने अपराध किया है। अब जिम्मेदारी हवाओं की है कि वे इस आग को कितनी देर तक जलाये रख सकते हैं। अग्नी कुण्ड में खुद को हवन कर देने वाले की इच्छा भी यही होती है कि आग जोर पकड़े और दुष्ट आत्माएं इसकी तासीर में जलकर स्वाहा हो जांय।<br /><br />कामेश्वर नहीं है लेकिन दुआ करें कि कामेश्वर का बलिदान दूसरे बेरोजगारों की राह आसान करे, उन्हे भी हार कर ऐसा अनर्थ कदम न उठाना पड़े।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-28691011971356487532012-04-25T09:12:58.522+05:302012-04-25T09:12:58.522+05:30दुर्भाग्यपूर्ण.दुर्भाग्यपूर्ण.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-79686365094894390952012-04-25T09:07:57.906+05:302012-04-25T09:07:57.906+05:30ओह ....भयावह ..वेलफेयर स्टेट ?ओह ....भयावह ..वेलफेयर स्टेट ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-86396485158042091632012-04-25T08:54:04.955+05:302012-04-25T08:54:04.955+05:30सवाल का जवाब बहुत भयावह है| बेरोजगारी की आग में ...सवाल का जवाब बहुत भयावह है| बेरोजगारी की आग में दाह निरंतर होता है और अकेले का नहीं होता, आश्रितों का भी होता है|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.com