tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post6785714804541046620..comments2024-03-29T11:26:01.369+05:30Comments on सिंहावलोकन: परमाणुRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-66110957828698180072023-09-22T08:10:22.511+05:302023-09-22T08:10:22.511+05:30अद्भुत लेख । दो हजार छह में ब्लॉगिंग शुरू की और नौ...अद्भुत लेख । दो हजार छह में ब्लॉगिंग शुरू की और नौ में छोड़ भी दी । देख रही हूं के 2011 में भी सारे मित्र ब्लॉगर इस मंच पर सक्रिय रहे । मैं हैरान हूं के उन बरसों में , जब मैं चिट्ठाचर्चा कर रही थी आपका ब्लॉग कैसे मेरी नजर में नहीं आया होगा ..<br />नीलिमा चौहान , आँख की किरकिरी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-82286619402853601392013-08-27T08:57:54.931+05:302013-08-27T08:57:54.931+05:30रोचक एवं सारगर्भित आलेख!
Sir, Thanks for leading m...रोचक एवं सारगर्भित आलेख!<br />Sir, Thanks for leading me here:)अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-36406774608424125602011-07-05T18:23:57.503+05:302011-07-05T18:23:57.503+05:30क्या बात है सर, ऐसे तो कभी सोचा नहीं था,
आभार,
व...क्या बात है सर, ऐसे तो कभी सोचा नहीं था,<br />आभार,<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-23366796344895219162011-07-04T15:26:16.572+05:302011-07-04T15:26:16.572+05:30''गुणों का सिर्फ सम्मान होता है जबकि पसंद ...''गुणों का सिर्फ सम्मान होता है जबकि पसंद कमजोरियां की जाती हैं।''<br />लाख टके की बात,आभार.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-85476032764421581602011-07-03T10:56:28.315+05:302011-07-03T10:56:28.315+05:30स्वयं को विद्वान समझने वाले लोगो के दिमाग की बाहरी...स्वयं को विद्वान समझने वाले लोगो के दिमाग की बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रान की संख्या पूर्ण होने से उनका दिमाग नव विचार ग्रहण करने मे अक्रिय रहता है ऐसे लोगो की संख्या बहुतायत मे होने के कारण ही विश्व आज इस हालत मे पहुंच गया हैArunesh c davehttps://www.blogger.com/profile/15937198978776148264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-21898321159326190622011-07-03T07:26:44.610+05:302011-07-03T07:26:44.610+05:30जिंदगी का रासायनिक निबंध है, परंतु १००% सत्य है।जिंदगी का रासायनिक निबंध है, परंतु १००% सत्य है।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-86981936816573051262011-07-02T17:21:23.800+05:302011-07-02T17:21:23.800+05:30बहुत सुंदर, अच्छा लगाबहुत सुंदर, अच्छा लगामहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-26072154936318966672011-07-02T11:29:48.361+05:302011-07-02T11:29:48.361+05:30बहुत ही बढ़िया लिखा है ! शेयर करने के लिए शुक्रिया...बहुत ही बढ़िया लिखा है ! शेयर करने के लिए शुक्रिया !<br />मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : <a href="http://blinddevotion.blogspot.com/2011/06/complete-love.html" rel="nofollow" title="Blind Devotion Blog - Love, Affection and Admiration for Someone">Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love) </a>Sachin Malhotrahttps://www.blogger.com/profile/03009133788693822541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-644109093150173352011-07-01T01:06:01.362+05:302011-07-01T01:06:01.362+05:30रसायन शास्त्र से मेरा संबंध बहुत अच्छा तो नहीं रहा...रसायन शास्त्र से मेरा संबंध बहुत अच्छा तो नहीं रहा है मगर संयोजक बंध सामाजिक बंध से भी लगते हैं. आभार.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-42907598620440008242011-06-29T18:14:13.147+05:302011-06-29T18:14:13.147+05:30it is very difficult to comment on it but as per m...it is very difficult to comment on it but as per my view as we lived our whole life it looks like it sir you have deep thought and better experience and i was part of this discussion iam thankfull to you ramakant singhRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-82252292385230092312011-06-29T03:18:03.649+05:302011-06-29T03:18:03.649+05:30जीवन का पूरा सार...अच्छा आलेख.जीवन का पूरा सार...अच्छा आलेख.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-29169546620267869432011-06-28T19:56:17.955+05:302011-06-28T19:56:17.955+05:30सुंदर आलेख .. आपका कोई आलेख कभी भी कमजोर हो ही नही...सुंदर आलेख .. आपका कोई आलेख कभी भी कमजोर हो ही नहीं सकता .. ये मेरा विश्वास है ..<br />- डा. जेएसबी नायडूAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-3808425614409386662011-06-28T00:35:32.811+05:302011-06-28T00:35:32.811+05:30गुण तो स्थिर हैं कहीं नही जाने वाले अवगुण या कमजोर...गुण तो स्थिर हैं कहीं नही जाने वाले अवगुण या कमजोरियां हीं कम ज्यादा होती रहती हैं । रसायन शास्त्र( परमाणु शिध्दांत) और मानवीय व्यवहार की समानता खूब जमाई है । साध्य उपपन्न ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-84775428853879691122011-06-27T21:47:41.815+05:302011-06-27T21:47:41.815+05:30रसायन शास्त्र की भाषा में मानव व्यवहार को समझना रो...रसायन शास्त्र की भाषा में मानव व्यवहार को समझना रोचक रहा।<br />मैंने पाया है कि भौतिकी और गणित के बहुत सारे सिद्धांत और सूत्र मावन व्यवहार से मेल खाते हैं।<br />अक्रिय गैस कबीर के समान- कुछ लेना न देना मगन रहना ,<br />और आजकल के लोग सोडियम जैसे- पानी(अच्छाई) डालो तो जल जाते हैं और मिट्टी तेल(बुराई) के साथ रखने से शांत ।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-340490334092312172011-06-27T19:28:43.801+05:302011-06-27T19:28:43.801+05:30सो, गुणों का सम्मान करें और कमजोरियों से प्रेम करे...सो, गुणों का सम्मान करें और कमजोरियों से प्रेम करें।<br />जीवन का सार यही है...जिसने इसे धारण कर लिया....वो महानता की श्रेणी में खुद ब खुद आ जाता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-31636392668341196352011-06-27T17:07:36.354+05:302011-06-27T17:07:36.354+05:30कुछ टिप्पणियाँ तो ऐसी हो गईं कि समझ में ही नहीं आत...कुछ टिप्पणियाँ तो ऐसी हो गईं कि समझ में ही नहीं आतीं। रसायनशास्त्र ज्यादा हो गया है कहीं-कहीं।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-22176948906379229182011-06-27T16:13:59.592+05:302011-06-27T16:13:59.592+05:30ईमेल पर श्री महेश शर्मा जी-
यह भी उल्लेखनीय है कि ...ईमेल पर श्री महेश शर्मा जी-<br />यह भी उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रोन ऋण आवेशित होते है और प्रोटोन धन आवेशित.जो तत्व इलेक्ट्रोन देते है, उनका धन आवेश बढ़ जाता है और ऐसे मनुष्य सकारात्मक / धनात्मक कार्यों में सलग्न दिखते हैं. कमजोरियों को त्यागने पर भी इलेक्ट्रोन त्यागने जैसा ही असर होता है ,और मनुष्य धनात्मक हो कर अन्य महत्वाकांक्षी व्यक्तियों की नजर में चुभने लगता है और वे उसे अपना प्रतिद्वन्दी मानने लगते है. कमजोरियों को पसंद किए जाने का यह कारण भी होता है.जिन तत्वों के अन्तिम कक्ष में २,८,१८ .. ... ....(2*n*n) इलेक्ट्रोन होते है,वे सन्तुष्ट /उदासीन रह कर "न उधो का लेना न माधव को देना " को चरितार्थ करते हैं. <br />जिनके पास त्यागने योग्य कमजोरियाँ/इलेक्ट्रोन है,और जो इन्हें ग्रहण करने हेतु प्रस्तुत रह्ते है,उनमें प्रबल बन्ध बन जाता है,जिसे गठबन्धन भी कहाँ जा सकता है.<br />यह भी ध्यान देने योग्य है कि प्रोटोन के कारण ही परमाणु का कुछ वजन होता है ,अर्थात् मनुष्य की इज्जत उसके धनात्मक कार्यों से ही होती है.<br />रसायन शास्त्र के मध्यम से दुनियादारी को समझाने वाला शायद यह पहला ब्लाग होगा<br />बधाई स्वीकार करें.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-79442724501117612802011-06-27T11:28:57.848+05:302011-06-27T11:28:57.848+05:30अर्थात परमाणु की खोज भी भारत में ऋषि कणाद ने की ...अर्थात परमाणु की खोज भी भारत में ऋषि कणाद ने की थी अंग्रेज डाल्टन ने नहींगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-67771153827912875392011-06-27T00:18:30.013+05:302011-06-27T00:18:30.013+05:30फीड बर्नर को ई-मेल दे दिया है।फीड बर्नर को ई-मेल दे दिया है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-20735376818390698902011-06-27T00:15:51.246+05:302011-06-27T00:15:51.246+05:30अभी कुछ नहीं कह रहा हूँ। फालोवर बनने आया था पर यहा...अभी कुछ नहीं कह रहा हूँ। फालोवर बनने आया था पर यहाँ विजेट ही नही है। आप का ब्लाग तलाशना पड़ेगा बार बार।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-78047590436043276572011-06-26T14:05:01.576+05:302011-06-26T14:05:01.576+05:30:) क्या बात है, वैसे ये बता दूँ की केमेस्ट्री से म...:) क्या बात है, वैसे ये बता दूँ की केमेस्ट्री से मेरा कुछ खास लगाव नहीं रहा कभी..लेकिन आज केमिस्ट्री और यहाँ मिले ज्ञान ने मन प्रसन्न कर दिया.. :)<br /><br />कुछ दिनों से ऐसी ही कुछ ज्ञान की बातें बाईलोजी से सीखने को मिल रही हैं और उसमे मेरे मित्र रवि जी मुझे बातें समझाते हैं, अच्छा लग रहा है :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-90810680255904319732011-06-26T11:19:08.269+05:302011-06-26T11:19:08.269+05:30वाह क्या ललित निबन्ध है ..मजा आ गया और इंटर के दौर...वाह क्या ललित निबन्ध है ..मजा आ गया और इंटर के दौरान की रस सिद्धि भी याद हो आई !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-22105336753084392822011-06-26T10:52:10.143+05:302011-06-26T10:52:10.143+05:30सही कहा, नियम तो हल्के पर ही लागू होते हैं।
इस भ...सही कहा, नियम तो हल्के पर ही लागू होते हैं।<br /><br />इस भारी पोस्ट को पढकर अच्छा लगा। आभार।<br /><br />---------<br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">विलुप्त हो जाएगा इंसान?</a></b><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">ब्लॉग-मैन हैं पाबला जी... </a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-59900483493054404542011-06-26T10:38:25.108+05:302011-06-26T10:38:25.108+05:30आज़ भी हलके वाले ही नियम मानते हैं, भारी वालों पर ...आज़ भी हलके वाले ही नियम मानते हैं, भारी वालों पर तो तभी नियम काम करता है जब उनपर आ पड़ती हैं. <br /><br />इसके लिये 'मानस शास्त्र' में एक दूसरी कथा आती है :<br /><br />एक बार तेज़ भूकंप आया. दिल्ली के बोर्डर पर बसे कौशाम्बी के ऊँचे अपार्टमेंट्स हिल गये. सुप्रीम कोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जो बड़े सुकून से सबसे ऊपर वाले फ्लेट में समय बिता रहे थे.<br />वे सहसा चिल्लाए "गार्ड, गार्ड!" लेकिन लिफ्टमैन और गार्ड सभी सीड़ियों के रास्ते ज़मीन पर भाग गये. अकेले बचे जज महोदय. खैर कुछ दरारों को छोडके अपार्टमेन्ट ज़्यादा प्रभावित नहीं हुए.<br />हलके ओहदे वाले गार्ड और लिफ्टमैन ने अपनी नौकरी गवां दी. भारी ओहदे पर रहे जज ने रिटायर होने के बावजूद दो हलकों को सज़ा सुना दी. 'समरथ को नहीं दोष गुसाईं'।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-56504767014960899852011-06-26T10:37:53.785+05:302011-06-26T10:37:53.785+05:30वैसे भी भारी पर नियम, हमेशा कहां लागू हो पाते हैं,...वैसे भी भारी पर नियम, हमेशा कहां लागू हो पाते हैं,<br />@ मनमोहन के पास दो गधे थे. एक हलका एक भारी. हलका वाला काम ज्यादा करता था. भारी वाला खाता अधिक था. <br />एक बार मनमोहन ने दोनों गधों पर नमक लादा और शहरी बाज़ार में बेचने के लिये नदी पार करने को गधों को उसमें घुसा दिया. <br />दोनों को एक-एक डंडा भी मारा. हलके वाले ने फुरती से नदी पार की. भारी वाले ने नमक हरामी की. मस्ती में लेट गया. नमक घुल गया.<br />भार कम होते ही मस्ती अधिक हो गयी. खैर मनमोहन ने भी उसे विधाता का लेखा जान भारी को माफ़ कर दिया. <br />लेकिन जब देखो डंडे हलके वाले को ही पड़ा करते क्योंकि वह काम सही करता था और फायदा भी उसीसे होता था.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com