tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post2679325909066885277..comments2024-03-26T11:26:04.832+05:30Comments on सिंहावलोकन: बिटियाRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger55125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-11894513245860125052013-05-03T18:16:29.690+05:302013-05-03T18:16:29.690+05:30 तू वर्षा की लडी शस्य का पोषण करने आती है
... तू वर्षा की लडी शस्य का पोषण करने आती है<br /> तपती- जलती वसुन्धरा को शीतलता पहुंचाती है ।<br /> अन्नपूर्णा हो तुम साक्षात <br /> शरत पूर्णिमा की हो रात।<br /> विप्लव की देती राह तुम्हीं सदाचार सिखलाती हो <br /> कौन यहाँ कितने पानी में तुम दर्पण दिखलाती हो । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/01128062702242430809noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-76440656258689289812011-10-09T12:20:32.455+05:302011-10-09T12:20:32.455+05:30बहुत सुन्दर भावमयी रचना...बहुत सुन्दर भावमयी रचना...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-60014338565470985432011-04-25T08:34:55.843+05:302011-04-25T08:34:55.843+05:30सच में अच्छी रचना है, आपने ध्यान दिलाया इसके लिए...सच में अच्छी रचना है, आपने ध्यान दिलाया इसके लिए आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-83028169433916202202011-03-26T17:37:40.368+05:302011-03-26T17:37:40.368+05:30.........
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chachha hamra bhi du go bitiy............<br />.........<br /><br />chachha hamra bhi du go bitiya hai......<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-11298503659807495362011-03-25T21:08:58.068+05:302011-03-25T21:08:58.068+05:30बहुत ही प्यारी कविता है और उतनी ही प्यारी पोस्ट भी...बहुत ही प्यारी कविता है और उतनी ही प्यारी पोस्ट भी. इस तरह अगर सभी लोग बेटी का सम्मान करने लगें तो औरतों की बहुत सी समस्याओं का समाधान स्वयमेव हो जाए. आभार !aradhanahttp://draradhana.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-60088796403846168052011-03-25T08:22:42.315+05:302011-03-25T08:22:42.315+05:30सुंदर कविता और यथार्थ विचार। बिना गृह के वंश का क्...सुंदर कविता और यथार्थ विचार। बिना गृह के वंश का क्या? और वह गृहणी के बिना संभव नहीं। प्रकृति तो नारी वंश ही चाहती है। हम ने ही उसे उलट दिया है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-14725209112636307152011-02-27T12:28:20.596+05:302011-02-27T12:28:20.596+05:30meri bitiya pyari bitiya ,kitane pyar se papa kaha...meri bitiya pyari bitiya ,kitane pyar se papa kahati bitiya ,mere our aap ke vichar betiyo ke liye ek jaise hai jan kar khushi huyi bahut achchhi kavita hai .IRA Pandey Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/08619248491079311219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-86137019828904593882011-01-22T18:11:06.556+05:302011-01-22T18:11:06.556+05:30@ AJAY JHA JI NE SAHI BAAR BAAR PADHNE LAYA HAI
स...@ AJAY JHA JI NE SAHI BAAR BAAR PADHNE LAYA HAI <br />सहेजे जाने लायक पोस्ट जिसे बार बार पढने को जी चाहेगा इसलिए सहेज रहा हूं । बहुत ही सुंदर पोस्टसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-86255964986254695712011-01-11T11:05:37.362+05:302011-01-11T11:05:37.362+05:30bahut sunder rachna.....bahut sunder rachna.....Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-80089696906507035082011-01-09T14:43:16.210+05:302011-01-09T14:43:16.210+05:30बहुत अच्छा लगा यह पढ़ कर, मुझे गर्व है अपनी बेटी प...बहुत अच्छा लगा यह पढ़ कर, मुझे गर्व है अपनी बेटी पर.Purushottam Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/04911539922350232103noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-24774401915931223502010-12-28T20:24:44.405+05:302010-12-28T20:24:44.405+05:30अभी कुछ दिन पहले घर में एक किताब हाथ लगी.. जिसमे म...अभी कुछ दिन पहले घर में एक किताब हाथ लगी.. जिसमे मेरे खानदान का लगभग चालीस पुस्तों का ब्यौरा था.. खुशी-खुशी उसमें अपने जाने पहचाने नाम खोजना-पढ़ना शुरू किया.. और दो मिनट बाद ही जब यह Realize किया कि किसी भी महिला(माँ, बुवा, चाची, दादी, बहिन) का नाम नहीं है तो उसी पल उसे वापस वहीं रख दिया जहाँ से उठाया था, और पिताजी से उस किताब के घर में होने का औचित्य पूछने लगा..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-59149200228933089182010-12-01T15:54:43.474+05:302010-12-01T15:54:43.474+05:30बिटिया शीर्षक यह गीत मन को छु गयाा इसी तरह श्री हर...बिटिया शीर्षक यह गीत मन को छु गयाा इसी तरह श्री हरिहर वैष्णव द्वारा बिटिया की विदाई संबंधी सुश्री कमला कोर्राम द्वारा गाये हल्बी लोक गीत का सार भी मन को छूता हैाumeshpradhan83https://www.blogger.com/profile/02551510263840447513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-39735496766325127422010-11-02T13:39:45.076+05:302010-11-02T13:39:45.076+05:30(इ-मेल से प्राप्त)
हरिहर वैष्णव ...(इ-मेल से प्राप्त)<br />हरिहर वैष्णव दिनांक : 08.10.10<br />सरगीपाल पारा, कोंडागाँव 494226, बस्तर छ.ग.<br />फोन : 07786242693, मोबा : 9300429264<br />ईमेल : lakhijag@sancharnet.in<br />आदरणीय राहुल सिंह जी<br />भाई जयप्रकाश त्रिपाठी जी की रचना बिटिया' ने अभिभूत कर दिया। इसे कृपा पूर्वक पाठकों तक पहुँचाने के लिये आप कोटिशः धन्यवाद के पात्र हैं। मेरी दोनों बेटियों का विवाह सात वर्षों पूर्व हुआ है किन्तु आज भी जब कभी वे यहाँ आ कर वापस होती हैं, तब हम दोनों पतिपत्नी की आँखों में आँसुओं का सागर बरबस उमड़ ही पड़ता है। ऐसे में मुझे मेरी सासू माँ की रुलाई भी याद आ जाती है। वे भी, बावजूद इसके कि हमारे विवाह को वर्षों गुजर गये और हम अब नानानानी भी बन चुके, मेरी पत्नी को विदा करते हुए हर बार सुबक पड़ती थीं। बेटी दरअसल केवल बेटी नहीं, वह तो मातृस्वरूपा है; माँ है। करुणामयी ममतामयी माँ! कितनी रिक्तता और तिक्तता भर जाती है जीवन में बेटी के बिना! किन्तु क्या करे बेटी का पिता? उसे तो हर हाल में एक न एक दिन अपनी लाड़ली को विदा करना ही पड़ेगा, न? यही तो नियति है बेटी के पिता की! <br /> त्रिपाठी जी की इस कविता की प्रत्येक पंक्ति, बल्कि कहूँ तो प्रत्येक शब्द ही भावविभोर कर देने वाले हैं। इस रचना में उन्होंने जो संदेश दिया है, बेटा और बेटी के बीच भेदभाव करने वालों के लिये; वह सचमुच बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन तक मेरा धन्यवाद पहुँचाने का कष्ट कीजियेगा।<br />इस रचना के साथ आपने बिलासपुर के वकील साहब से सम्बन्धित प्रेरक प्रसंग को जोड़ कर तो मणिकांचन संयोग की स्थिति निर्मित कर दी है। <br />प्रसंगवश, मैं इस पत्र के साथ अभी हाल ही में (03.10.10) को हँगवा नामक गाँव में अपने -ारा ध्वन्यांकित एक लोक गीत संलग्न कर रहा हूँ। शायद आप भी इसे सुनना चाहें। यों तो यह लोक गीत बस्तर की जनभाषा हल्बी में है किन्तु मुझे लगता है कि इसे समझने में कठिनाई नहीं होगी। तो भी, इस गीत का सार दे देना आवश्यक समझता हूँ। यह लोक गीत है लगन के बाद बेटी को विदा करने का। इसे गाया है सुश्री कमला कोराम ने। विदा करती हुई माँ कहती है कि रायसोड़ी सुआ (तोते की एक प्रजाति, जो बहुत बातें करने के लिये जाना जाता है) घर से निकल कर जा रही है। फिर वह प्रश्न करती है कि वह उसके -ारा उपयोग में लाये जाने वाले विविध उपकरण, पात्र आदि किसे सौंपे जा रही है? उत्तर भी वही देती है कि वह (बेटी) उसके -ारा उपयोग में लाये जा रहे विविध उपकरण, पात्र आदि परिवार के लोगों को सौंपे जा रही है। <br /> अन्त में इस मातृ शक्ति को कोटिशः प्रणाम। <br /> सादर,<br /> हरिहर वैष्णवAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-73371829731247716162010-10-23T19:22:39.877+05:302010-10-23T19:22:39.877+05:30मान मेरा सम्मान है बिटिया, अब मेरी पहचान है बिटिया...मान मेरा सम्मान है बिटिया, अब मेरी पहचान है बिटिया।<br />ना मानो तो आ कर देखो, मां-पापा की जान है बिटिया॥<br />बहुत सुन्दर मेरी जान भी मेरी बेटियाँ हैं। जब सभी लोग इस बात को पहचान लेंगे तो समाज मे सुखद परिवरतन आयेगा।प्रकाश जी को बधाई, शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-75280116790722285942010-10-16T18:23:24.183+05:302010-10-16T18:23:24.183+05:30जय प्रकाश जी की इस सुन्दर और प्रेरक कविता से परिचय...जय प्रकाश जी की इस सुन्दर और प्रेरक कविता से परिचय करवाने के लिए आपका आभार ..बेटियां सही मायने में इस सृष्टि की सबसे अनमोल चीज है ..लेकिन आवारा पूंजी के बढ़ते प्रभाव और सामाजिक जिम्मेवारियों के प्रति लगातार घटते लगाव से सामाजिक वातावरण इतना दूषित होता जा रहा है बेटियों की चिंता हर इज्जतदार मां बाप को हरवक्त सताती रहती है ...सरकारी प्रयास भी खोखला साबित हो रहा है बेटियों को सही सुरक्षा और समर्थन देने की दिशा में ..समाज में कुछ बहुत ही ठोस स्तर पर जागरूकता लाने की जरूरत है बेटियों के सुरक्षा और सहायता की दिशा में ....खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ...honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-68429243594412065982010-10-15T21:59:27.735+05:302010-10-15T21:59:27.735+05:30.
एक पिता के मुख से अपनी बेटी के लिए निकली इतनी स....<br /><br />एक पिता के मुख से अपनी बेटी के लिए निकली इतनी सुन्दर रचना प्रशंसनीय है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-38767898830003209222010-10-14T17:28:59.993+05:302010-10-14T17:28:59.993+05:30कहानी बेहद रोचक है और प्रेरणादायक भी. आज पहली बार ...कहानी बेहद रोचक है और प्रेरणादायक भी. आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई...अच्छा लगा आपको पढ़कर.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-49411302357977641252010-10-12T17:58:25.329+05:302010-10-12T17:58:25.329+05:30कभी ज्ञान की बातें करती, कभी शरारत करती बिटिया।
एक...कभी ज्ञान की बातें करती, कभी शरारत करती बिटिया।<br />एक मधुर मुस्कान दिखाकर हर पीड़ा को हरती बिटिया॥<br /><br />Bahut sunder kavita. jayprakash jee se parichay karane ka aabhar. Vakil sahb kee kahanee bahut bahee. kamal ka tod nikala.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-66077342750439427992010-10-11T15:11:06.840+05:302010-10-11T15:11:06.840+05:30बहुत सुंदर कविता..बहुत सुंदर कविता..अर्चना तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-23443010275516598082010-10-11T11:12:16.644+05:302010-10-11T11:12:16.644+05:30कविता बहुत सुन्दर और जाने कितनों के मन की आवाज है ...कविता बहुत सुन्दर और जाने कितनों के मन की आवाज है . गद्य भी ऐसे लगा जैसे कोई सामने खड़े हो कर बात कर रहा है ...रोचकशारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-52874331196933000302010-10-11T01:28:17.745+05:302010-10-11T01:28:17.745+05:30जयप्रकाश त्रिपाठी जी लिखी बिटिया कविता बहुत ही प्र...जयप्रकाश त्रिपाठी जी लिखी बिटिया कविता बहुत ही प्रभावी लगी.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-18128319827702912532010-10-11T00:24:39.293+05:302010-10-11T00:24:39.293+05:30जय प्रकाश जी की यह बहुत सुन्दर रचना है । उन्हे बहु...जय प्रकाश जी की यह बहुत सुन्दर रचना है । उन्हे बहुत बहुत बधाई ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-48375673417319689062010-10-10T23:01:17.915+05:302010-10-10T23:01:17.915+05:30घर की बगिया में जो महके, सुन्दर कोमल फूल है बिटिया...घर की बगिया में जो महके, सुन्दर कोमल फूल है बिटिया।<br />पाप भगाने तीरथ ना जा, सब तीरथ का मूल है बिटिया<br />bilkul sahi..... vibhor ker diya is rachna neरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-38979295841072546282010-10-10T22:50:23.541+05:302010-10-10T22:50:23.541+05:30Bahut achhi rachna hai....kash sabhi bhartiya pare...Bahut achhi rachna hai....kash sabhi bhartiya parents isi tarah soch pate.......very touching and thought provoking poem.surjithttps://www.blogger.com/profile/08665583467852567928noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-60181639796536225592010-10-09T16:55:05.299+05:302010-10-09T16:55:05.299+05:30चाचू, अब मै क्या बोलूं? लड़का ह़ो या लड़की, बेटा ह़...चाचू, अब मै क्या बोलूं? लड़का ह़ो या लड़की, बेटा ह़ो या बिटिया ,है तो अपने ही जिगर का टुकडा. तथाकथित व्यावसायिक समझ या तथाकथित दुनियादारी की समझ एक बार बेटा और बिटिया में फर्क कर सकती है,पर प्रेम कोई फर्क नहीं कर सकता. प्रेम से भरा हुआ ह्रदय अपने और पराये में भेद नहीं कर सकता,फिर बेटे और बिटिया में क्या फर्क करेगा? सवाल तो प्रेमपूर्ण (मोहपूर्ण नहीं ) ह्रदय के होने या न होने का है. यदि प्रेमपूर्ण ह्रदय है, तो दूसरे की बिटिया भी अपनी लगने लगती है, यदि नहीं, तो अपनी बिटिया से भी व्यक्ति भेदभाव करने लगता है. <br /><br /> पुनः चाचू, बेटा ह़ो या बिटिया, मुझे लगता है, अभिभावकत्व कोई आसान काम नहीं. पिता बनना और अपने बच्चों का अभिभावक बनना मुझे लगता है, दो भिन्न बातें हैं.पिता बनना शायद आसान है,अभिभावक बनना मुश्किल. I think, a guardian needs to be spiritually, mentally, psychologically, financially, emotionally and physically fit to properly care the child, for an all-round development of the child. anyway , कुछ समय बाद मै भी अभिभावक बन जाऊँगा और कोशिश करूँगा एक अच्छा अभिभावक बनने की, आप सभी अभिभावकों के मार्गदर्शन मे. वैसे, एक बहुत सुन्दर पोस्ट, सुन्दर और हृदयस्पर्शी कविता के साथ.Balmukundhttps://www.blogger.com/profile/00879256773986591319noreply@blogger.com