tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post2373790794869049248..comments2024-03-26T11:26:04.832+05:30Comments on सिंहावलोकन: शेर राजाRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-69233717359727942022-04-06T09:58:53.280+05:302022-04-06T09:58:53.280+05:30बहुत सही भाव हैं...
कविता में शेर शिकार करता है ...बहुत सही भाव हैं... <br />कविता में शेर शिकार करता है अपनी भूख मिटाने को... <br />भले ही वह शिकार उसकी प्रजा हिरण है <br />मानव समाज में सत्ताधारी की भावना कुछ अलग होती है... <br /> वह अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार नहीं करता <br /><br />वह शिकार करता है अपने अहंकार के लिए अपने मनोविनोद के लिए अपनी शक्ति के विस्तार के लिए.. हमारे समय में रूस का हमला यूक्रेन पर इसी तरह का है... राजा की प्रजा लाचार हिरण की तरह ही है. उसके सामने शिकार होने एवं नहीं होने का कोई ऑप्शन नहीं होता... <br /> कौन सा शेर राजा पूछता है आज किस हिरण की बारी है किस हिरण को मोक्ष प्राप्त करना है... <br /><br /> पर शेर तो एक ही हिरण को मोक्ष देता है. हमारे पुतिन सामूहिक तौर पर टैक्स लेकर सामूहिक तौर पर मोक्ष देते हैं. अलग राजा... Dr. Braj Kishorhttps://www.blogger.com/profile/06982842671013664280noreply@blogger.com