tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post2238146808399821525..comments2024-03-26T11:26:04.832+05:30Comments on सिंहावलोकन: बाल-भारतीRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-25372372942730281072023-12-20T19:28:55.026+05:302023-12-20T19:28:55.026+05:30अटपट राजा झटपट न्याय अटपट राजा झटपट न्याय Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-37837940992871532602023-12-20T19:27:01.568+05:302023-12-20T19:27:01.568+05:30बम्हनी बंजर का मेला,,, कान्हा किसली,,सर्कस,, बारहम...बम्हनी बंजर का मेला,,, कान्हा किसली,,सर्कस,, बारहमासा भी था,, अगहन गन्नों में रस भरता,, धानों को लहराता।और बर्फ की चादर लेकर,पूस तभी आ जाता।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-45211315666221061522023-12-20T19:23:27.663+05:302023-12-20T19:23:27.663+05:30पाठ दो, सत्यवान सावित्री,, नींबू की कहानी,,राइट बं...पाठ दो, सत्यवान सावित्री,, नींबू की कहानी,,राइट बंधु,, असीरगढ़,,कौआ और हिरण,, जैसे पाठ हुआ करते थे और पाठ्य-पुस्तक निगम नहीं होने के कारण नर्मदा प्रिंटिंग वर्क्स जबलपुर से प्रकाशित होती थी सभी पुस्तकें,,Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-55260600412040868862023-12-20T19:20:33.981+05:302023-12-20T19:20:33.981+05:30पहले स्कूल या विद्यालय नहीं बल्कि पाठशाला शब्द प्र...पहले स्कूल या विद्यालय नहीं बल्कि पाठशाला शब्द प्रचलित था।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-68121831518317674902023-12-20T18:13:56.273+05:302023-12-20T18:13:56.273+05:30मोबाइल नंबर 9977518145मोबाइल नंबर 9977518145Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-28453975730129304352023-12-20T18:13:27.654+05:302023-12-20T18:13:27.654+05:30श्री छगनलाल बड़नेरे शिक्षक, शासकीय नवीन माध्यमिक श...श्री छगनलाल बड़नेरे शिक्षक, शासकीय नवीन माध्यमिक शाला आदमपुर,,,, जन्मदिनांक 0309/1963,,Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-32564722433260327162023-12-20T18:12:20.469+05:302023-12-20T18:12:20.469+05:30शिक्षक जब कक्षा में आए, पत्र साथ में अपने लाए। किस...शिक्षक जब कक्षा में आए, पत्र साथ में अपने लाए। किसी मित्र ने पत्र लिखा था, एक चित्र भी साथ रखा था।हॅंसता था वह मित्र, चित्र में,, सबको नमस्ते था लिखा पत्र में,,,आजा आ राजा,मामा ला बाजा। कर मामा ढम ढम।नाच राजा छम छम।<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-90760668500192205132022-11-20T16:15:29.331+05:302022-11-20T16:15:29.331+05:30पूरा अपने बचपन की याद दिला देते हो Sir ji, आपके और...पूरा अपने बचपन की याद दिला देते हो Sir ji, आपके और हमारे बचपन में बहुत अंतर है मैं 2001 में पहली पढ़ने गया था,फिर भी बाल भारती की वही परंपरा..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-23752045152944968572018-12-26T10:08:02.611+05:302018-12-26T10:08:02.611+05:30bahut hi badhiya sir. aajkal aise pustak bante hi ...bahut hi badhiya sir. aajkal aise pustak bante hi nahi. Site Adminhttps://www.blogger.com/profile/08015704382666417755noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-44860936337696294892015-03-06T19:38:20.261+05:302015-03-06T19:38:20.261+05:30सबसे महत्वपूर्ण बात आप लिखना भूल गए .. उस समय के प...सबसे महत्वपूर्ण बात आप लिखना भूल गए .. उस समय के पचास से भी ज्यादा प्रतिशत बच्चों के जन्मदिनांक 1 जुलाई लिखे जाते थे .. B K Johnhttps://www.blogger.com/profile/08033742982200217017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-52374834033793697232014-05-13T19:24:21.413+05:302014-05-13T19:24:21.413+05:30मैं काफी समय से इस किताब कि प्रति पप्राप्त करणे की...मैं काफी समय से इस किताब कि प्रति पप्राप्त करणे की कोशिश कर रही हूँ, क्य आप इसकी एक स्कैन कॉपी मुझे भेज सकते हैं. काफी ज़रूरी है, ये मानसिक रूप से असमर्थ बच्चोँ के लिए गीता का काम कर सकती है, प्लीज़ मई ईमेल पर इसे भेज दीजिए बहुत उपकार होगा आपका मेरा ईमेल है manisha4aug@gmail.com Manishahttps://www.blogger.com/profile/11385817017822538140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-31573125403081256182013-08-03T08:41:19.245+05:302013-08-03T08:41:19.245+05:30" ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो भले छीन ..." ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी ,मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो क़ागज़ की क़श्ती वो बारिश का पानी ।" जगजीत सिंह की गाई हुई इस गज़ल की आपने याद दिला दी । बडे गुरुजी होरी लाल और उनके साथ प्रिया प्रसाद एवम् तिलकेश्वर गुरुजी मेरे दाखिले के लिए,हमारे घर आए थे और मैं बडे गुरुजी की ऊँगली पकड कर पहली बार मदरसा गई थी, उस समय मैं चार बरस की थी पर चल-चित्र की तरह एक-एक दृश्य आज भी ताज़ा है । प्रिया प्रसाद गुरुजी का 'ग' गणेश का लिखना और तत्काल तख्ता में गणेश का चित्र बना देना मुझे अभी भी दिखता है । अक्षर-ज्ञान के बाद बिना मात्रा वाला पाठ " अमर घर चल । हठ मत कर । " फिर " आ जा आ राजा , मामा ला बाजा । कर मामा ढम-डम , नाच राजा छम-छम ।" फिर आखिर में "क्ष त्र ज्ञ " के अभ्यास के लिए गीत वाला यह पाठ था -" शिक्षक जब कक्षा में आए , पत्र साथ में अपने लाए । किसी मित्र ने पत्र लिखा था , एक चित्र भी साथ रखा था । हँसता था वह मित्र चित्र में ,बच्चों को था लिखा पत्र में । ज्ञानचंद का तुम्हें नमस्ते , सदा रहो मुझ जैसे हँसते ।" शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-29678293857371466932012-02-02T22:32:11.638+05:302012-02-02T22:32:11.638+05:30sir dhanywad aapane mughe is punit kam ka hissa ba...sir dhanywad aapane mughe is punit kam ka hissa banaya.sundar jyan ke liye badhai.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-45227990271746624032012-01-16T23:17:33.124+05:302012-01-16T23:17:33.124+05:30बहुत अच्छा लगा,बहुत अच्छा लगा,kp shahjithttps://www.blogger.com/profile/07940933650182371331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-41427045226204581472012-01-16T23:17:00.020+05:302012-01-16T23:17:00.020+05:30बहुत अच्छा लगा,बहुत अच्छा लगा,kp shahjithttps://www.blogger.com/profile/07940933650182371331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-46427112155487115312011-08-01T17:00:22.118+05:302011-08-01T17:00:22.118+05:30पहले तो लगा कि यह बाल भारती पत्रिका पर कुछ है लेकि...पहले तो लगा कि यह बाल भारती पत्रिका पर कुछ है लेकिन यहाँ तो मनोहर पोथी जैसी चीज निकली। छत्तीसगढ़ की लिपि वाली बात अधिक उचित नहीं क्योंकि लिपि बनाना अब मुश्किल काम नहीं है और यह क्षेत्रवादी भावना के प्रसार जैसा है। और छ से छत्तीसगढ़, यह तो नया प्रयोग लगा लेकिन यह भी क्षेत्रवाद के साथ साथ छत्तीसगढ़-प्रेम(मोह?) जैसा …।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-38098392036337999142010-08-26T10:31:32.583+05:302010-08-26T10:31:32.583+05:30सरजी, संजीव तिवारीजी ने आपके ब्लॉग का पता दिया। बच...सरजी, संजीव तिवारीजी ने आपके ब्लॉग का पता दिया। बचपन के साथ पुरानी पाठ्यपुस्तकों की भी यादें मन में बसी हैं। फ़्लैश बैक प्रभाव वाली पोस्ट है। यदि आपके पुरानी बालभारती है, तो उसे स्कैन करके अपलोड कर सकें तो सभी लोग पढ़ सकेंगे।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16469390879853303711noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-82900149323114380902010-08-06T17:30:34.774+05:302010-08-06T17:30:34.774+05:30रायपुर से प्रकाशित पत्रिका 'साप्ताहिक इतवारी ...रायपुर से प्रकाशित पत्रिका 'साप्ताहिक इतवारी अखबार' के 4 जुलाई 2010 के अंक में 'सत्रारंभ और पैमाना' शीर्षक से प्रकाशित हुआ है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-53888500669959769632010-07-08T20:22:13.486+05:302010-07-08T20:22:13.486+05:30सही सिहावलोकनसही सिहावलोकनडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-56802925966916757702010-07-08T12:36:25.715+05:302010-07-08T12:36:25.715+05:302 जुलाई को नवभारत, रायपुर समाचार पत्र के सम्पादकी...2 जुलाई को नवभारत, रायपुर समाचार पत्र के सम्पादकीय पृष्ठ पर ''याद है आज भी बाल-भारती का पाठ 'आजा आ राजा, मामा ला बाजा'' शीर्षक से यह प्रकाशित हुआ. इससे भी प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसमें सिर्फ प्रशंसा नही, एकाध आलोचना और अधिकतर सुझाव थे, सभी के प्रति आभार.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-44098905730584266112010-07-07T12:02:12.925+05:302010-07-07T12:02:12.925+05:30Bachpan ki yaden pustako ki baate padh kar mujhe b...Bachpan ki yaden pustako ki baate padh kar mujhe bhi 1943-47 ki pustako ki yaad aa gayi. Khoob likha hai aapne. <br />Vimal Pathak (Bhilai)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-61356564799909896072010-07-06T20:14:43.993+05:302010-07-06T20:14:43.993+05:30बढ़िया संस्मरण ! इतनी पुरानी बाल भारती को सुरक्षित ...बढ़िया संस्मरण ! इतनी पुरानी बाल भारती को सुरक्षित रखने वाले,कमाल के बंदें हैं !<br />यहां बस्तर में आप बस पत्थर उछाल दीजिए , जिस पर भी गिरेगा उसकी जन्म तिथि बेशक १ जुलाई ही निकलेगी :) वैसे कारण भी जेनुइन ही हैं ! <br />सिंह साहब यादें ताज़ा हुईं सही पर सबसे तगड़ा पंच यहां पड़ा " ट्यूशन से वापस आकर बच्चे ने सूचित किया- 'ओ हर ट्यूशन नो हय पापा, ओ तो स्कुल ए "उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-42618510529486328792010-07-06T17:40:06.843+05:302010-07-06T17:40:06.843+05:30बाल भारती से तो हमने भी शुरूआत की थी. बालभारती पां...बाल भारती से तो हमने भी शुरूआत की थी. बालभारती पांचवीं तक चलती थी. हर कक्षा के हिसाब से एक.<br />यदि आपको या आपके मित्र को नाग पंचमी छम्मक छम ढोल ढमाका ढम्मक ढम वाली कविता याद हो तो पूरी कविता कृपया यहाँ प्रकाशित करें या मुझे भेजें. हमारे एक मित्र इसे शिद्दत से याद करने व पाने की कोशिश कर रहे हैं.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-16913321999579342842010-07-06T17:17:09.257+05:302010-07-06T17:17:09.257+05:30क्या कहूँ ...बस मजा आ गया...
कई नई और रोचक जानकारि...क्या कहूँ ...बस मजा आ गया...<br />कई नई और रोचक जानकारियाँ मिलीं....<br />हमारे बिहार में 'बाल भारती' पहली कक्षा में चलती है पर उससे भी पहले के बिगिनर्स :) बच्चों के लिए एक किताब आती है जिसमें मुख्यतः वर्णमाला सिखाई जाती है. नाम है "मनोहर पोथी"...<br />पाठ बड़े मजेदार होते हैं उसके....<br />धन्यवाद ऐसी रोचक पोस्ट के लिए.......Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-3009989232906919382010-07-06T15:42:42.054+05:302010-07-06T15:42:42.054+05:30वाह कहां कहां घुमा लाते हैं आप भी....ए फार एप्पल औ...वाह कहां कहां घुमा लाते हैं आप भी....ए फार एप्पल और बी फार बाल की दुनिया से दूर, बहुत दूर.<br /><br />एक आने का एक कायदा हुआ करता था ब्लैक एण्ड व्हाइट प्रिंटिंग में, जिसका ज़िल्द वाला पन्ना भी बाक़ी पन्नों सा ही पतला होता था. ककहरा इसी से सीखते थे. स्कूल में जाकर जब पहली बार रंगीन किताब देखी तो उसका इंडेक्स ही याद कर डाला....मां, पिताजी, आगे देखो, बंदर वाला, भालू वाला, पंख, मोर का पंख...यह आज भी धुंधला सा याद है. बहुत समय बाद पता चला कि यह तो इंडेक्स होता है :)<br /><br />पिताजी चौथाई और आधे के पहाड़े भी याद करने पर भी ज़ोर देते थे पर जल्दी ही पूत के पांव पालने में नज़र आ गए उन्हें और उन्होंने ज़िद छोड़ दी. आज मेरे बच्चे कैलकुलेटरबाजी से बाज़ नहीं आते :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com