tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post174616040662506837..comments2024-03-15T12:16:49.606+05:30Comments on सिंहावलोकन: तकनीकRahul Singhhttp://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-31749417971430284942011-12-18T21:17:29.586+05:302011-12-18T21:17:29.586+05:30बहुत ही बढ़िया लेख राहुल भाई बधाई ,
सोचनीय विषय तो...बहुत ही बढ़िया लेख राहुल भाई बधाई ,<br />सोचनीय विषय तो यह भी है कि जिस मानव सभ्यता को विकसित होने में सदियाँ लग गयी उसे हम कितनी तेजी से मिटने की ओर बढ़ रहें है<br />नित्य भूलते जा रहें है अपने संस्कारों को पर अंत में आपकी ही बात याद आ जाती है कि आशा से आकाश टिका है<br />पुनः उम्दा लेख के लिए बधाईishwar khandeliyahttps://www.blogger.com/profile/01408727603986293583noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-20914431700594238802011-11-12T18:47:51.922+05:302011-11-12T18:47:51.922+05:30शानदार आलेख बहुत ही अच्छी जानकारियां मिली राहुल जी...शानदार आलेख बहुत ही अच्छी जानकारियां मिली राहुल जीसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-24373557050257824592011-11-12T08:07:39.403+05:302011-11-12T08:07:39.403+05:30पढता रहा हूँ और पढता ही रहूँगा आपका यहाँ ब्लॉग ......पढता रहा हूँ और पढता ही रहूँगा आपका यहाँ ब्लॉग .....एक जीवंत चित्र खींच दिया आज आपने तकनीक का ...मानवीय विकास के प्रत्येक पहलु की जानकारी देता आपका यह आलेख संग्रहणीय है ....!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-90678216897700185182011-11-11T11:05:34.863+05:302011-11-11T11:05:34.863+05:30bahut hi goodh jankaari, hamesha ki tareh hamare g...bahut hi goodh jankaari, hamesha ki tareh hamare gyan ko ek naya ayam deti hui aapki is behtreen prastuti ko hamara namanamrendra "amar"https://www.blogger.com/profile/00750610107988470826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-15652019494051665272011-11-10T16:22:10.796+05:302011-11-10T16:22:10.796+05:30बहुत ही जानकारी भरा उपयोगी आलेख...बहुत ही जानकारी भरा उपयोगी आलेख...rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-73646991951552701892011-11-10T00:08:05.846+05:302011-11-10T00:08:05.846+05:30राहुल जी,मेरा आना सार्थक रहा सुंदर जानकारी मानव जी...राहुल जी,मेरा आना सार्थक रहा सुंदर जानकारी मानव जीवन की ...<br />बधाई ...मेरे नए पोस्ट "वजूद" में स्वागत हैधीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-80941746638746368612011-11-09T15:00:54.989+05:302011-11-09T15:00:54.989+05:30आपने विश्व,भारतऔर छत्तीसगढ़ में मानव इतिहास और इसम...आपने विश्व,भारतऔर छत्तीसगढ़ में मानव इतिहास और इसमें तकनीक के योगदान को को अकल्पनीय सरलता से बता दिया है.vidhahttp://vidhasvividha.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-63687056504130489112011-11-09T14:40:59.029+05:302011-11-09T14:40:59.029+05:30संकलनीय,ज्ञानवर्धक,सारगर्भित आलेख.ऐसा आलेख वृहद् ...संकलनीय,ज्ञानवर्धक,सारगर्भित आलेख.ऐसा आलेख वृहद् अध्ययन से ही संभव है. अब तो अगले ब्लॉग का इंतजार है.vidhahttp://vidha-vividha.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-2711484064872177622011-11-09T07:35:48.812+05:302011-11-09T07:35:48.812+05:30आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आ...आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-48743032756785591002011-11-07T11:30:09.534+05:302011-11-07T11:30:09.534+05:30@ स्मार्ट इन्डियन
मैंने जानबूझकर ज्ञान कहा ना कि ...@ स्मार्ट इन्डियन <br />मैंने जानबूझकर ज्ञान कहा ना कि विज्ञान !<br /><br />@ राहुल सिंह जी ,<br />तो क्या मैं यह मान लूं कि अनपढ़ आदमी अज्ञानी होता है :) <br /><br />मेरा अभिमत यह है कि विचार और व्यवहार में से पहल हर हाल में विचार / बोध / अनुभूति की ही होगी ! यही ज्ञान है ! आप उसे बाद में अपनी सुविधा अनुसार विज्ञान के खांचे में फिट करते रहिये और तकनीक से तुलना भी :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-79723160369785946812011-11-07T09:09:24.665+05:302011-11-07T09:09:24.665+05:30@ स्मार्ट इंडियन जी ,
चीन की दीवार पर आपसे मिली उ...@ स्मार्ट इंडियन जी ,<br />चीन की दीवार पर आपसे मिली उपयोगी जानकारी के लिए आभार, अब दुरुस्त कर लिया है.<br />अरविंद मिश्र जी के प्रश्न पर अपनी बात उन्हें मेल की थी कि ''निसंदेह तकनीक पहले, उदाहरण के लिए लीवर का इस्तेमाल तो एक अनपढ़ भी जानता है, आदि मानव भी करता रहा है, लेकिन उसका विज्ञान बाद में समझा गया''<br />अन्य टिप्पणियों के संदर्भ में- '' इस पोस्ट में प्रयास है कि कालक्रम के साथ विश्व, भारत और छत्तीसगढ़ को एक साथ घटाया जाय और वह भी साहित्यिक स्रोतों के आधार पर नहीं, यथासंभव पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर''Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-73721648537905575752011-11-06T23:01:22.514+05:302011-11-06T23:01:22.514+05:30आलेख भी और कई टिप्पणियाँ भी सोचने को बाध्य करती है...आलेख भी और कई टिप्पणियाँ भी सोचने को बाध्य करती हैं। <br />राहुल जी, चीन की दीवार के अंतरिक्ष से दिखने की बात चेन ईमेल्स द्वारा फैलाया हुआ एक भ्रम मात्र है। नासा का यह आधिकारिक पेज देखिये:<br /> <a href="http://www.nasa.gov/vision/space/workinginspace/great_wall.html" rel="nofollow">http://www.nasa.gov/vision/space/workinginspace/great_wall.html</a><br /> <br />अली जी,<br />विज्ञान के बिना भी तकनीक का प्रयोग हो सकता है। बाद में विज्ञान उसे परिभाषित कर सकता हैSmart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-92040097622624724842011-11-06T11:49:28.164+05:302011-11-06T11:49:28.164+05:30बहुत बधाई स्वीकारें राहुल जी आपने तो पूरा शोध ग्रन...बहुत बधाई स्वीकारें राहुल जी आपने तो पूरा शोध ग्रन्थ लिख डाला पुराने तकनीकी ज्ञान पर. लेकिन इस ज्ञान पर आश्चर्य किये बिना नहीं रहा जा सकता. <br /><br />असीम आभार इस सुंदर संकलन के लिये.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-15045744587129330032011-11-05T20:47:55.244+05:302011-11-05T20:47:55.244+05:30उत्कृष्ट लेखन. बधाइयाँ.उत्कृष्ट लेखन. बधाइयाँ.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-87972722247224646512011-11-05T20:34:23.655+05:302011-11-05T20:34:23.655+05:30@ अरविन्द जी ,
प्रकृति के अवलोकनकर्ता के रूप में म...@ अरविन्द जी ,<br />प्रकृति के अवलोकनकर्ता के रूप में मनुष्य में पहले विचार कौंधा और फिर उसने नियोजित ढंग से पत्थर लुढ़काया या कि पहले अनियोजित ढंग से पत्थर लुढ़का और इसके बाद विचार कौंधा ?<br /><br />अगर आप अनियोजित ढंग से पत्थर लुढकने को टेक्नीक का दर्जा दे दें तो फिर बात और है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-16845050143638607032011-11-05T17:16:24.687+05:302011-11-05T17:16:24.687+05:30मैं के.एम. मुंशी का कृष्णावतार पढ़ रहा था तो बारम्...मैं के.एम. मुंशी का कृष्णावतार पढ़ रहा था तो बारम्बार यह अहसास होता था कि कृष्ण विलक्षण बने - इस लिये भी कि उन्होने तकनीकी ज्ञान को तात्कालिक प्रयोग हेतु साधा था - बखूबी।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-28203263018102554882011-11-05T13:57:40.861+05:302011-11-05T13:57:40.861+05:30@ अली साहब:
"प्रकृति ही हमारी गुरु और ओरिजनल ...@ अली साहब:<br />"प्रकृति ही हमारी गुरु और ओरिजनल अविष्कारकर्ता है !" <br />सौ टका सच।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-55983362863488961812011-11-05T13:37:42.327+05:302011-11-05T13:37:42.327+05:30bahut badiya aitihasik jankari padne ko mili..
pra...bahut badiya aitihasik jankari padne ko mili..<br />prastuti hetu aabhar!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-36985862699858764822011-11-05T11:54:45.283+05:302011-11-05T11:54:45.283+05:30अली भाई प्रकृति के जीवों से सीखी प्रविधियां बायोमी...अली भाई प्रकृति के जीवों से सीखी प्रविधियां बायोमीमिक्री कहलाती हैं -चिड़ियों से उड़ना ,सुरक्षा कामाफ्लेज ,चमगादड़ों से राडार आदि आदि और अनंत संभावनाएं अभी शेष हैं ......<br />कुछ लोग कहते हैं कि लुढकने वाले किसी पहले पत्थर ने मनुष्य में कुछ विचार कौन्धाया होगा और प्रौद्योगिकी रफ़्तार पकडती गयी होगी .....मतलब पहले टेक्नोलोजी आयी ??????Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-50766760058426387822011-11-05T11:24:48.434+05:302011-11-05T11:24:48.434+05:30एक पोस्ट में आपने मानव इतिहास को समेट दिया, यह पोस...एक पोस्ट में आपने मानव इतिहास को समेट दिया, यह पोस्ट भी ऐतिहासिक है। हमारे जैसे लोगों के बहुत काम की है। आभार, अभिनंदनब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-88026870457636447402011-11-05T10:31:07.963+05:302011-11-05T10:31:07.963+05:30लाजवाब पोस्ट..मनुष्य अपनी कल्पना को साकार करने ...लाजवाब पोस्ट..मनुष्य अपनी कल्पना को साकार करने सदैव प्रयत्नशील रहता है.और उसमें आशातीत सफलता भी मिलती है.पत्थर फिर चकमक फिर माचिस इसका जीता जागता उदाहरण है.आपके पोस्ट में लगा तस्वीर भी शायद यही बया कर रही है.एक बार फिर पोस्ट के लिए बधाई........Rakesh Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/01961346362476055583noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-68632241604955753972011-11-05T10:27:33.065+05:302011-11-05T10:27:33.065+05:30मुझे लगता है जितना आपने लिखा है उससे कै गुना अधिक ...मुझे लगता है जितना आपने लिखा है उससे कै गुना अधिक आपको पढ़ना पढ़ा होगा। खैर हम लोगो को तो एक ही जगह संकलित खजाना मिल गया। इतिहास पर इस सिंहावलोकन के लिये आभारArunesh c davehttps://www.blogger.com/profile/15937198978776148264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-78083757549275614652011-11-05T09:50:21.999+05:302011-11-05T09:50:21.999+05:30@ अरविन्द जी,
जन्मना तो पहले ज्ञान को ही चाहिए :)
...@ अरविन्द जी,<br />जन्मना तो पहले ज्ञान को ही चाहिए :)<br /><br />@ राहुल सिंह जी ,<br />आलेख के दूसरे से सातवें पैरे तक जिन देशों के उद्धरण दिए गये हैं उनकी अपनी भाषाओँ में भी प्रचलित तकनीक के लिए वैसी ही शब्दावलियां ज़रूर होंगी जैसी कि हमारी परम्परा में यह संस्कृत भाषा में उपलब्ध हैं या पाली प्राकृत वगैरह में होंगी ! कहने का आशय यह है कि विज्ञान और तकनीक मनुष्य के अपने इतिहास क्रम की भाषा में बांची / उद्धृत की और सहेजी जाती रही होंगीं ! अतः विज्ञान और तकनीक के विकास /संवर्धन /और पल्लवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती अगर मनुष्य ने इनसे भी पहले अपनी भाषा / बोली ना विकसित कर ली हो ! तो फिर मैं यह मानूंगा कि मनुष्य ने सबसे पहले अपने स्वरयंत्र(बिना ध्वनि वाला सांकेतिक ही सही)के उपयोग और उसके परिष्कार का ज्ञान और तकनीक विकसित (कापी ) की होगी !<br /><br />अवधिया जी मानव मस्तिष्क को विचित्र क्यों कहते हैं ? यह तो प्रकृति का अविष्कार और हमें उसकी अनुपम भेंट है ! मेरा हमेशा से यह मानना है कि ज्ञान और तकनीक के विकास के नाम में मनुष्य के पास अपना मौलिक कुछ भी नहीं है वह एक अनुसरणकर्ता विद्यार्थी या नक़ल चोर मात्र है जो प्रकृति के मौलिक उत्पादों / अविष्कारों / कृतियों की प्रतिकृतियां बनाता आ रहा है ! सच कहूं तो प्रकृति के ज्ञान और तकनीक पर आश्रित होकर उसका एक्सटेंसन /उसकी नक़ल करने वाला जीव मात्र है मनुष्य :)<br /><br />अब ज़रा प्रकृति के मौलिक अविष्कारों के नमूने देखें... <br /><br />दुनिया का पहला स्वर यंत्र...हमारा वोकल कार्ड जो संकेतों को ध्वनियों में कोडित कर प्रसारित करता है :)<br /><br />पहला रिसीविंग एंटेना...हमारे कान जो ध्वनियों को रिसीव करके पुनः संकेतों में डिकोदित करके सोर्स सेंटर में जमा करा देते हैं :)<br /> <br />पहली भार उठाने वाली क्रेन...हमारे हाथ पैर जिनके बिन हम क्या होते और क्या करते :)<br /><br />पहला कम्प्यूटर...हमारा मस्तिष्क :)<br /><br />पहली बायनाकुलर...हमारी आँखें :)<br /><br />पहला क्रशर यंत्र ,शोधन यंत्र ,ऊर्जा उत्पादक यंत्र...हमारे दांत जबड़े आंतें और अन्य आंतरिक सिस्टम जो हमारे जीवन के लिए ऊर्जा उत्पादित करता है :)<br /><br />पहला घर ? पहले कपड़े ? पहला पेय ? पहला खाद्य ? पहला हथियार ? पहले रंग ? पहले आभूषण ? पहली स्याही ? पहला कागज ? पहला पेन ? ...<br /><br />और कितना भी सोचता जाऊं वो सब भी मौलिक रूप से प्रकृति प्रदत्त तकनीक और ज्ञान है जिसका हम सब मनुष्यों ने एक्सटेंसन किया है प्रतिकृतियां बनाईं हैं कार्बन कापी की है :)<br /><br />प्रकृति ही हमारी गुरु और ओरिजनल अविष्कारकर्ता है !<br /><br />बहरहाल आपने एक शानदार आलेख लिखा है उसके लिए साधुवाद !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-87576690152552353242011-11-05T09:24:46.675+05:302011-11-05T09:24:46.675+05:30यही ख़तम नहीं होता मानव मस्तिष्क ,ये तो निरंतर प्र...यही ख़तम नहीं होता मानव मस्तिष्क ,ये तो निरंतर प्रक्रिया है विकास की ! आपके ब्लॉग में मानव मस्तिस्क के बारे में ज्ञानवर्धक बाते लिखी है जिसको कलेक्ट करने में बहूत मेहनत एवं समय लगा है ! हमारे पुराने सभी विद्या विज्ञानं का एक हिस्सा है चाहे वो पुरातत्व हो या विज्ञानं की अन्य शाखा ही क्यों न हो , आज हम उस चकमक पत्थर से आगे बढ़कर द्रव hydrogen तक की स्थिति में पहुच गए है और उसके आगे .............बधाईprataphttps://www.blogger.com/profile/07364829574596443828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1560745184921178776.post-16030438505880669342011-11-05T06:08:07.626+05:302011-11-05T06:08:07.626+05:30प्रागैतिहासिक काल की तकनीकी जानकारी !
मिस्र के पिर...प्रागैतिहासिक काल की तकनीकी जानकारी !<br />मिस्र के पिरामिड तो वाक़ई अभी भी रहस्य हैं !<br /><br />बहुत परिश्रम किया गया है इस पोस्ट में ,आभार !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com